विद्यार्थियों को समय के साथ जागरूक होने की है जरूरत- डॉ. अर्पण जैन
मनोचिकित्सक डॉ. अर्पण जैन ने बताया कि विद्यार्थियो को समय के साथ जागरुक होने की जरुरत है।
मुजफ्फरनगर। रेड क्रॉस भवन में राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत शिक्षकों को एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. प्रशांत कुमार, डॉ अर्पण जैन, डॉ. मनोज, अंशिका मलिक व डॉ. अनिरुद्ध द्वारा मानसिक रोगों के बारे में शिक्षकों को विस्तार से जानकारी दी गई। एवं इन रोगों के प्रति छात्रों को जागरुक करने के लिए प्रेरित किया गया।
कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. प्रशांत कुमार ने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरुक नहीं है, बदलते परिवेश में मानसिक रोगों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है खासतौर पर छात्र इन रोगों का शिकार हो रहे है। ऐसे में छात्रों को काउसलिंग की आवश्यकता होती है ताकि समय पर उचित इलाज किया जा सके। शिक्षकों का दायित्व है कि मानसिक रोगों से पीड़ित छात्रों की तरफ ध्यान दें औऱ उन्हें इलाज के लिए प्रेरित करें। मानसिक रोग कोई स्थाई बिमारी नहीं है सही समय पर इलाज से यह रोग आसानी से ठीक हो जाते है औऱ कभी-कभी केवल काउसलिंग से ही इन रोगों को जड़ से खत्म किया जा सकता है।
मनोचिकित्सक डॉ. अर्पण जैन ने बताया कि विद्यार्थियो को समय के साथ जागरुक होने की जरुरत है। शिक्षकों को छात्रों को नशे से दूर रहने के लिए प्रेरित करना चाहिए। उन्होंने कहा क मानसिक रोह भी अन्य रोगों की तरह ठीक हो सकते है। कई तो महज काउसिंग से ही ठीक हो जाते है उन्हें दवा की जरुरत नहीं पड़ती, हालांकि मानसिक रोगों का इलाज लंबा चलता है लेकिन रोगी पूरी तरह ठीक हो जाता है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को छात्रों को प्रेरित करना चाहिए, कि यदि छात्रों को किसी वजह से कोई परेशानी है तो वह अपने अभिभावकों को बताए। यदि फिर भी समाधान नहीं निकल सके तो जिला अस्पताल की ओपीडी में परामर्श ले सकते है, जो पूरी तरह से निःशुल्क है।
साइकोथेरेपिस्ट डॉ. मनोज कुमार ने बताया कि मानसिक रोग के लक्षण बहुत अलग नहीं होते है। सामान्य लक्षणों में ही पहचान करनी होती है। मानसिक रोगों के लक्षणों में सिर दर्द, नींद कम आना या जद्यादा आना, चिड़चिड़ापन, उदासी, गुस्सा, डर लगना, शक संदेह करना, साफ-सफाई ज्यादा करना, नशा कना, विचित्र अनुभव करना, अजीव विचार या व्यवहार, मानसिक तनाव, अजीबोगरीब आवाजें सुनाई पड़ना, मिर्गी का दौरा, बार-बार बेहोशी आना, बुद्धि कम होना, आत्महत्या का ख्याल आना, बच्चों की व्यवहारात्मक समस्याएं, भूलना या यादाश्त में कमी, झाड़-फूंक या तांत्रिक के पास जाने की इच्छा, बिना कारण के हंसना, रोना, खुद से बाते करना, खुद को अलग-अलग रखना इत्यादि मानसिक रोगों के लक्षण हो सकते है। इस तरह के लक्षण मिलने पर तुरंत गहन जांच और इलाज की जरुरत होती है।