कैप्टन और पीयूष की जिद से उभरा बिजली संकट

किसानों ने रेल की पटरी पर डेरा डाला तो रेलमंत्री पीयूष गोयल ने ट्रेनों की सुरक्षा के नाम पर मालगाड़ियों का आवागमन 7 नवम्बर तक रोक दिया।

Update: 2020-11-05 03:15 GMT

चंडीगढ़। नेताओं की जिद का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ता है। पंजाब में किसान बिलों को लेकर शुरू हुआ विवाद बिजली संकट तक पहुंच गया है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने प्रदर्शनकारियों को समझाने का प्रयास किया होता तो वे रेल की पटरी पर डेरा न डालते। किसानों ने रेल की पटरी पर डेरा डाला तो रेलमंत्री पीयूष गोयल ने ट्रेनों की सुरक्षा के नाम पर मालगाड़ियों का आवागमन 7 नवम्बर तक रोक दिया। मालगाडियां रुक गयीं तो कोयले की आपूर्ति ठप हो गयी और थर्मल पावर डाउन हो गये। बिजली जब बन ही नहीं रही है तो उसकी आपूर्ति कैसे की जाए। उद्योग-धंधे भी प्रभावित हो रहे हैं। मुख्यमंत्री ने उद्योगों की परेशानी को देखते हुए किसानों से ट्रैक खाली करने की अपील की थी लेकिन आंदोलनकारियों को रोकना आसान नहीं होता। आंदोलन नहीं रुका तो मालगाड़ियां नहीं चलीं और पंजाब में जबर्दस्त बिजली कटौती करनी पड़ रही है। इसी के चलते मुख्यमंत्री दिल्ली में धरना देने पहुंच गये हैं।

पंजाब और केंद्र सरकार के बीच कृषि कानूनों के बाद बिजली को लेकर घमासान होता दिख रहा है। मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह जंतर-मंतर पर धरना देने के लिए दिल्ली पुहंचे। कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के लगातार विरोध के चलते केंद्र सरकार ने पंजाब में रेल सेवा रोक दी है। पंजाब में रेल सेवा रोके जाने के बाद से ब्लैक आउट का खतरा बढ़ गया है। इस मुद्दे पर धरना देने के लिए सीएम अमरिंदर कांग्रेस विधायकों और पार्टी के अन्य नेताओं के साथ दिल्ली पहुंचे थे। पंजाब में तीन से चार घंटे तक बिजली की कटौती होने लगी है। इससे खाद की किल्लत होने लगी है। उद्योगों में सामान का स्टॉक बढ़ने लगा है। पंजाब सरकार ने इन सब मसलों को लेकर केंद्र के खिलाफ विरोध जताना शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू धरने के लिए जंतर मंतर पहुंच गए। जबकि धरना पर बैठने से पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस सांसदों के साथ राजघाट पहुंचे। कांग्रेस के विधायक भी राजघाट से जंतर मंतर पहुंचे थे।

ध्यान देने की बात है, रेलवे ने पंजाब में चल रहे किसान आंदोलन के कारण मालगाड़ियों की आवाजाही 7 नवंबर तक रोक दी है। केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया है कि अगर पंजाब सरकार रेलवे ट्रैक और मालगाड़ियों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है तभी मालगाड़ियों का परिचालन किया जाएगा। मालगाड़ियां बंद होने से पंजाब में थर्मल पावर प्लांट्स को कोयले की सप्लाई नहीं हो पा रही है जिससे बिजली उत्पादन प्रभावित हो रहा है। पंजाब में जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति पर भी असर पड़ रहा है। पंजाब से सब्जी और अनाज की सप्लाई भी नहीं हो पा रही है।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की ओर से पंजाब सरकार के शिष्टमंडल से मुलाकात के लिए समय नहीं मिलने के बाद धरना देने का फैसला किया गया। कैप्टन अमरिंदर का यह धरना केंद्र सरकार की ओर से राज्य में मालगाड़ियों का परिचालन बंद करने के विरोध में है। मालगाड़ियां बंद होने से पंजाब में थर्मल पावर प्लांट्स को कोयले की सप्लाई नहीं हो पा रही है जिससे बिजली उत्पादन प्रभावित हो रहा है। पंजाब में जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति पर भी असर पड़ रहा है। पंजाब से सब्जी और अनाज की सप्लाई भी नहीं हो पा रही है।

कैप्टन अमरिंदर का यह धरना केंद्र सरकार की ओर से राज्य में मालगाड़ियों का परिचालन बंद करने के विरोध में और राष्ट्रपति की ओर से पंजाब विधानसभा में केंद्रीय कृषि अधिनियम के खिलाफ पारित बिल को लेकर है।

कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब में आग भड़की। मुख्यमंत्री कैप्टन अमेरिंदर सिंह ने इस आग में घी डाला क्योंकि वे भी किसानों की हमदर्दी हासिल करना चाहते थे। इसी के चलते वहां के 30 अक्टूबर को किसान रेल की पटरी पर बैठ गये। किसानों के आंदोलन के चलते रेल मंत्री पीयूष गोयल ने मालगाड़ियों का परिचालन बन्द कर दिया था।

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि हम मोर्चाबंदी करने नहीं आए हैं। हमने अपने मुद्दे सुलझाने के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात करने का समय मांगा था, लेकिन उन्होंने समय नहीं दिया। मैंने अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से समय नहीं मांगा कैप्टन ने कहा कि पंजाब में पहले की तरह बिजली आपूर्ति बहाल करने के लिए हमने नेशनल ग्रिड से बात की, लेकिन समाधान नहीं हुआ। पंजाब को नेशनल ग्रिड का 10000 करोड़ रुपये देना है। मार्च से जीएसटी का पैसा भी नहीं मिला है लेकिन पंजाब की विकट स्थिति केंद्र सरकार को नजर नहीं आ रही है। केंद्र पंजाब के साथ सौतेला व्यवहार कर रहा है, जिसे किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कैप्टन ने कहा कि मालगाड़ियों की आवाजाही रुकने से कोयले की आपूर्ति नहीं हो रही है। इस वजह से सभी पावर प्लांट पूरी तरह बंद हो गए हैं। जरूरी उत्पादों और सब्जियों की सप्लाई में भी बाधित है। किसानों ने मालगाड़ियों को नुकसान नहीं पहुंचाने का आश्वासन दिया है। इसके बावजूद रेल मंत्रालय ने ट्रेनों की आवाजाही बहाल नहीं की है। इससे पंजाब में ब्लैक आउट का खतरा बढ़ गया है।

उधर, किसान यूनियन के साथ पंजाब सरकार की बैठक विफल रही। किसानों ने फिर पंजाब सरकार को निजी थर्मल पावर प्लांट के रेलवे ट्रैक खाली नहीं करने को कहा है। किसान भवन में हुई बैठक में मंत्रियों से वार्ता के बाद किसान संगठनों ने गुरुवार को होने वाले देशव्यापी आंदोलन की रणनीति बनाई। सरकार के मंत्री सुखबिंदर सिंह रंधावा और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के राजनीतिक सलाहकार कैप्टन संदीप संधू से वार्ता के बाद भाकियू उगराहां के प्रधान जोगिंदर सिंह उगराहां ने बताया कि हमारी बैठक बेनतीजा रही। बैठक में स्पष्ट कर दिया है कि वह निजी थर्मल प्लांटों के रेल ट्रैक से नहीं उठेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार अपने सरकारी थर्मल प्लांटों को चलाएं, उसमें हम किसी भी तरह की अड़चन पैदा नहीं कर रहे और जिस तरह से केंद्र सरकार का रवैया रहा है, उसमें स्पष्ट होता है कि वह जानबूझकर मालगाड़ियों को नहीं भेज रही है। हमारे उठने की बात को लेकर सरकार बार-बार दबाव बना रही है। हमने स्पष्ट कर दिया है कि हम निजी थर्मल प्लांटों के साफ तौर पर खिलाफ हैं और आगे भी रहेंगे।

जोगिंदर सिंह ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि हम बाकी किसान संगठनों के फैसले के साथ हैं। हम भले ही 30 किसान संगठन साथ में नहीं है लेकिन हम एक दूसरे-के फैसले को मानते हैं। इससे पहले हमारे निर्णयों में बाकी किसान संगठन भी साथ रहे। उन्होंने यह भी एलान किया कि अगर सरकार आने वाले समय में हमारे ऊपर शक्ति करेगी तो हम उसे भी झेलने को तैयार है लेकिन अपनी बात से पीछे नहीं हटेंगे। (हिफी)

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