नौसेना समुद्र में किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार- वाइस एडमिरल

दक्षिणी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, वाइस एडमिरल एमए हम्पीहोली ने रविवार को कहा कि भारतीय नौसेना....

Update: 2023-12-03 07:14 GMT

कोच्चि। दक्षिणी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, वाइस एडमिरल एमए हम्पीहोली ने रविवार को कहा कि भारतीय नौसेना का मजबूत समुद्री सुरक्षा तंत्र समुद्र में किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूर्ण रूप से सुसज्जित और हमेशा तैयार है।

हम्पीहोली ने 04 दिसंबर को नौसेना दिवस समारोह के मद्देनजर यहां प्रथम प्रशिक्षण स्क्वाड्रन पोत आईएनएस तीर पर एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह बात कही। भारतीय नौसेना भारत-पाक युद्ध के दौरान 04 दिसंबर, 1971 की रात को कराची बंदरगाह पर विनाशकारी हमला किया था जिसकी याद में प्रति वर्ष नौसेना दिवस मनाया जाता है।

भारतीय नौसेना की मिसाइल नौकाओं ने अन्य नौसेना जहाजों के समर्थन के साथ इस साहसी हमले को अंजाम दिया था और पाकिस्तानी नौसेना के कई जहाजों को नष्ट कर दिया था और कराची बंदरगाह में संग्रहीत ईंधन भंडार और गोला-बारूद के भंडार को नष्ट कर दिया था।

हम्पीहोली ने हिंद महासागर क्षेत्र में विभिन्न परिचालन अभियानों के लिए दक्षिणी नौसेना कमान के जहाजों और विमानों की व्यापक तैनाती पर भी प्रकाश डाला, जिसमें पेशेवर बातचीत, प्रशिक्षण का आदान-प्रदान, समुद्री साझेदारी अभ्यास, सामुदायिक बातचीत कार्यक्रम, विदेशी नौसेनाओं के साथ दोस्ती शामिल हैं।

उन्होंने मित्र समुद्री देशों के क्षमता निर्माण और क्षमता वृद्धि में नौसेना की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला, जिसमें मित्र समुद्री देशों के कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया, उन्हें उपकरण प्रदान किए गए और प्रधानमंत्री के ‘सागर’ दृष्टिकोण के अनुरूप जरूरत के समय मदद का हाथ बढ़ाया गया।

उन्होंने कहा कि सीआईएनसी ने एक प्रशिक्षण कमान के रूप में एसएनसी द्वारा की गई बहुआयामी प्रशिक्षण गतिविधियों और पहलों का अवलोकन प्रदान किया। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में 47 से ज्यादा देशों के लगभग 20,000 विदेशी कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है। उन्होंने कहा कि 2022-23 में 39 देशों के अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षुओं ने 26 नौसेना प्रशिक्षण स्कूलों में प्रशिक्षण प्राप्त किया है, जिससे स्पष्ट है कि भारत मित्र देशों के लिए पसंदीदा प्रशिक्षण गंतव्य के रूप में उभरा है।

उन्होंने स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत के जलावतरण के बाद प्राप्त की गई महत्वपूर्ण उपलब्धियों, कई एसएआर प्रयासों में एसएनसी के योगदान और नागरिक प्रशासन को आकस्मिक समय में प्रदान की गई सहायता को रेखांकित किया।

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