इस्लाम का हिस्सा नहीं है हिजाब- कॉलेज में दशकों से चल रही यूनिफॉर्म
चल रहे हिजाब विवाद को लेकर सरकार की ओर से कहा गया है कि हिजाब पहनना इस्लाम की मजहबी मान्यताओं के लिए जरूरी नहीं है
बेंगलुरु। हाईकोर्ट में चल रहे हिजाब विवाद को लेकर सरकार की ओर से कहा गया है कि हिजाब पहनना इस्लाम की मजहबी मान्यताओं के लिए जरूरी नहीं है और इसी बात को ध्यान में रखते हुए सरकार की ओर से स्कूल एवं कालेजों के भीतर हिजाब पर रोक लगाने संबंधी आदेश जारी किया गया था। राज्य सरकार का पक्ष रख रहे एडवोकेट जनरल ने हाईकोर्ट के सामने आज यह दलील रखी है।
शुक्रवार को हाईकोर्ट में चल रहे हिजाब विवाद को लेकर राज्य सरकार का पक्ष रखते हुए एडवोकेट जनरल प्रभूलिंग नवादगी ने कहा है कि सरकार की राय है कि हिजाब पहनने का अधिकार संविधान के आर्टिकल 19-1 के अंतर्गत नहीं आता है। चीफ जस्टिस की ओर से सरकार से यह पूछा गया था कि आखिर किस तर्क के आधार पर उसकी ओर से 5 फरवरी को यह आदेश जारी किया गया था, जिसमें कहा गया है कि सांप्रदायिक सद्भाव को भंग करने वाली किसी भी ड्रेस को शैक्षणिक संस्थानों में मंजूरी नहीं दी जाएगी। इस पर एडवोकेट जनरल ने कहा कि उडुपी के राजकीय पीयू कॉलेज में वर्ष 2013 से ही ड्रेस कोड सिस्टम लागू है। लेकिन इसे लेकर आज तक कालेज के भीतर कोई विवाद नहीं हुआ था। हिजाब को लेकर पहली बार वर्ष 2021 के दिसंबर माह में ही विवाद खड़ा किया गया है। उन्होंने कहा है कि कालेज की कुछ लड़कियों ने प्रिंसिपल से बात की और कहा कि उन्हें हिजाब पहनने की परमिशन मिलनी चाहिए। इसके बाद कॉलेज डेवलपमेंट कमेटी में यह मुद्दा उठाया गया। इस संबंध में हुई बैठक में कहा गया कि वर्ष 1985 के बाद से ही छात्र यूनिफॉर्म पहनकर कॉलेज में आ रहे हैं। इसके साथ ही कमेटी ने पुराने चले आ रहे नियम को नहीं बदलने का फैसला लिया है।