शिवाजी का नाम सुन भारतीयों की धमनियों में फड़कने लगता है खून- CM योगी

उन्होने कहा “ हम सज्जनों का संरक्षण करेंगे और दुर्जनों का विनाश करने में भी संकोच नहीं करेंगे।;

Update: 2023-10-27 01:11 GMT

लखनऊ।  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज भारत के महान अमर सेनानियों में एक ऐसा नाम है, जिसे सुनते ही हर सच्चे भारतीयों की धमनियों में खून फड़कने लगता है।

हिंदवी स्वराज के 350वें वर्ष पर लखनऊ में छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन पर आधारित महानाट्य ‘जाणता राजा’ के शुभारंभ अवसर पर योगी ने कहा “ कुछ शब्द हमारे लिए मंत्र बन जाते हैं। जब दंडकारण्य राक्षसी आतंक से आतंकित था, तब प्रभु श्रीराम को भी कहना पड़ा था, ‘निसिचर हीन करो महि, भुज उठाई प्रण कीन्ह’ यह एक ऐसा संकल्प था, जिसने विजयादशमी जैसा पर्व दिया। यही कार्य द्वापर में श्रीकृष्ण ने किया था ‘परित्राणाय साधुनां, विनाशाय च दुष्कृताम्’।

उन्होने कहा “ हम सज्जनों का संरक्षण करेंगे और दुर्जनों का विनाश करने में भी संकोच नहीं करेंगे। मध्यकाल में जब देश व सनातन धर्म के बारे में कहा जाता था कि अब इसका नाम शेष भी नहीं रहेगा। लोग इसे नष्ट कर डालेंगे तो कभी महाराणा प्रताप, कभी छत्रपति शिवाजी, गुरु गोविंद सिंह के नाम पर यह ज्योतिपुंज के रूप में उभरकर समाज का मार्गदर्शन करते रहे हैं। हम सबके लिए प्रेरणा बनते रहे हैं। सनातन धर्मावलंबी उन्हें प्रेरणा व प्रकाशपुंज मानकर उन चुनौतियों से जूझने की सामर्थ्य व शक्ति प्राप्त करता था। ”

योगी ने कहा कि कोई कालखंड ऐसा नहीं था, जब हम ऐसी दिव्य विभूतियों से वंचित रहे हों। आजादी की लड़ाई के दौरान भी देखा होगा कि 1857 के प्रथम स्वातंत्र्य समर में रानी लक्ष्मीबाई उद्घोष करती हैं कि झांसी हरगिज नहीं दूंगी। उस समय अंग्रेज झांसी पर कब्जा नहीं कर पाए। अंग्रेजों को झांसी छोड़नी पड़ी थी। रानी लक्ष्मीबाई ने झांसी पर अपना शासन स्थापित किया था। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के वाक्य तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आजादी दूंगा भारत की आजादी का उद्घोष बन गया था। लखनऊ से तिलक जी ने उद्घोष किया था स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, इसे मैं लेकर रहूंगा। कुछ ही वर्षों के बाद भारत को स्वतंत्रता मिलने में देर न लगी। इन महापुरुषों का उद्घोष हमारे लिए सदैव मंत्र बना है।

उन्होने कहा कि छत्रपति शिवाजी महराज ने भी 350 वर्ष पहले औरंगजेब जैसे बर्बर आतातायी शासक के सामने हिंदवी साम्राज्य की स्थापना की थी। एक तरफ औरंगजेब भारत की पहचान को सांस्कृतिक व आध्यात्मिक पहचान नष्ट करने के लिए उतावला दिख रहा था। उसे प्रतिदिन सनातन धर्मावलंबियों की कटी चोटी व जनेऊ दिखनी चाहिए थी, लेकिन दूसरी तरफ छत्रपति शिवाजी महाराज उसकी छाती पर चढ़कर हिंदवी साम्रज्य का उद्घोष कर रहे थे। यह असामान्य घटना थी। समझौते के बहाने एक आतातायी छत्रपति शिवाजी को मृत्यु के चंगुल में भेजना चाहता था। दुश्मन सबल हो पाता, उसके पहले शिवाजी ने उसका काम तमाम कर दिया। जब भी भारतीय समाज यह युक्ति अपनाएगा, कभी भी वह परेशान या अपमानित नहीं हो पाएगा। अपनी सुरक्षा, सम्मान व स्वाभिमान को बचाने में वह सफल होगा। 'जाणता राजा' उसकी झलक हमारे सामने प्रस्तुत करेगा।

दिव्य प्रेम सेवा मिशन के संस्थापक आशीष गौतम ने अतिथियों का स्वागत किया। इस अवसर पर कथा वाचक विजय कौशल जी महाराज, महंत संतोष दास जी महाराज, लखनऊ की महापौर सुषमा खर्कवाल, विधायक रघुराज प्रताप सिंह 'राजा भैया', योगेश कुमार शुक्ल, विधान परिषद सदस्य पवन सिंह, पूर्व मंत्री रमापति शास्त्री, युवा नेता नीरज सिंह आदि की मौजूदगी रही।

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