बोली हाईकोर्ट- CBI को पिंजरे की कैद से आजाद करें सरकार

सीबीआई को नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की तरह स्वायत्तता दिए जाने की जरूरत है जो कि केवल संसद के प्रति जवाबदेह है।

Update: 2021-08-18 06:58 GMT

चेन्नई। उच्चतम न्यायालय के पश्चात अब मद्रास हाईकोर्ट ने भी केंद्रीय जांच ब्यूरो अर्थात सीबीआई को लेकर की गई अपनी बड़ी टिप्पणी में कहा है कि पिंजरे में बंद सीबीआई को और अधिक स्वायत्तता दिए जाने की जरूरत है। हाईकोर्ट ने कहा है कि विपक्ष के अनुसार सीबीआई भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के हाथों का एक ऐसा राजनीतिक उपकरण बन गई है जिसे आजाद किए जाने की जरूरत है। अदालत ने कहा है कि सीबीआई को नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की तरह स्वायत्तता दिए जाने की जरूरत है जो कि केवल संसद के प्रति जवाबदेह है।

केंद्र सरकार को हाईकोर्ट ने निर्देश देते हुए कहा है कि न्यायालय का यह आदेश पिंजरे में बंद तोते सीबीआई को रिहा करने का प्रयास है। सीबीआई को और अधिक स्वायत्तता दिए जाने की जरूरत है। गौरतलब है कि वर्ष 2013 में कोलफील्ड आवंटन मामले की सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने केंद्रीय जांच ब्यूरो एजेंसी का वर्णन पिंजरे के तोते के रूप में किया था। उस समय विपक्ष में रहने वाली भाजपा ने एजेंसी पर कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा नियंत्रित होने का आरोप लगाया था। इतना ही नहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी ने भी सीबीआई के ऊपर अपना निशाना साधा था। अपनी टिप्पणी में उन्होंने इसे प्रधानमंत्री द्वारा नियंत्रित साजिश ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन करार दिया था। उच्च न्यायालय ने कहा है कि एजेंसी की स्वायत्तता उस समय ही सुनिश्चित होगी जब उसे वैधानिक दर्जा दिया जाएगा। न्यायालय ने आगे कहा है कि भारत सरकार को अधिक शक्तियों एवं अधिकार क्षेत्र के साथ वैधानिक दर्जा देने वाले एक अलग अधिनियम के अधिनियमन पर विचार करने और निर्णय लेने का निर्देश दिया जाता है। केंद्र सरकार प्रशासनिक नियंत्रण के बिना कार्यात्मक स्वायत्तता के साथ सीबीआई को स्वतंत्र करें।

Tags:    

Similar News