साकार हुआ सपना, लालदुहोमा बनेंगे मिजोरम के मुख्यमंत्री
मिजोरम में सरकार की बागडोर संभाल जा रहे भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी व राज्य के सबसे नये दल जोरम पीपुल्स मूवमेंट..
ऐजल। मिजोरम में सरकार की बागडोर संभाल जा रहे भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी और राज्य के सबसे नये दल जोरम पीपुल्स मूवमेंट के 74 वर्षीय नेता लालदुहोमा के 39 राजनीतिक संघर्ष ने राज्य की राजनीति को एक नयी दिशा दी है।
लालदुहोमा की पार्टी ने 40 सीटों वाली मिजोरम विधानसभा के चुनावों में शानदार प्रदर्शन करते हुए 27 सीटें जीती हैं और राज्य में कांग्रेस तथा मिजो नेशनल फ्रंट की द्विध्रुवीय राजनीति का सिलसिला खत्म कर दिया है।
उन्होंने अपना राजनीतिक जीवन कांग्रेस से शुरू किया था और बाद में उससे अलग हो गये। राजनीति में कदम रखने के लिए 1984 में भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) का आकर्षक करियर छोड़ दिया था। लालदुहोमा पहली बार 2003 में रातू निर्वाचन क्षेत्र से विधायक के रूप में चुने गये थे।
उन्होंने 1997 में अपने सहयोगी एंड्रयू लालहेरलियाना के साथ मिलकर मिजो नेशनल फ्रंट (नेशनलिस्ट ) का गठन किया और दोनों चुनाव में विजयी हुये। यह पार्टी मिजो नेशनल फ्रंट से अलग हुये नेताओं की पार्टी थी। इस पार्टी ने वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव में उन्हें पहले बार भाग लिया। वर्ष 2008 के चुनावों में उनकी पार्टी को फिर से दो विधानसभा सीटें मिली थीं, जिसमें श्री लालदुहोमा आइजोल पश्चिम-I निर्वाचन क्षेत्र से चुने गये थे। लालदुहोमा कांग्रेस में शामिल होने के बाद 1984 में पार्टी के टिकट पर लोकसभा के लिए निर्विरोध निर्वाचित घोषित किये गये थे।
उन्होंने कांग्रेस के साथ मतभेद के बाद 80 के दशक के मध्य में एक नया राजनीतिक संगठन मिज़ो नेशनल यूनियन बनाया। इसका बाद में ब्रिगेडियर टी सेलो के नेतृत्व वाली पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (पीसी) में विलय हाे गया और एक नयी पार्टी डेमोक्रेटिक पार्टी (डीपी) का उदय हुआ।
चुनाव में डीपी की विफलता के बाद श्री लालदुहोमा ने 1990 के दशक के मध्य में मिज़ो नेशनल फ्रंट में अपनी किस्मत आजमाई। पार्टी काे उस समय अपने संस्थापक अध्यक्ष लालडेंगा के निधन के बाद एक सक्षम नेतृत्व की जरूरत थी।
वह जल्द ही पार्टी अध्यक्ष पद के उम्मीदवार बन गये लेकिन लालडेंगा ब्रिगेड के तत्कालीन उपाध्यक्ष ज़ोरमथांगा को पार्टी का अध्यक्ष नामित किये जाने पर उसका विभाजन हो गया और उन्होंने 1990 के दशक के अंत में एमएनएफ को छोड़कर एमएनएफ (राष्ट्रवादी) बना ली, जिसे बाद में ज़ोरम नेशनलिस्ट पार्टी का नाम दिया गया।
वर्ष 2017 में, जेएनपी ने ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट बनाने के लिये अन्य छोटे राजनीतिक संगठनों के साथ विलय कर लिया और अगले साल विधानसभा चुनाव लड़ा तथा आठ सीटें जीतीं। पिछले पांच वर्षों में जेपीएम ताकतवर बनकर उभरी और इसी का नतीजा है कि हाल ही में संपन्न चुनाव में शानदार सफलता हासिल की। अब, कुछ ही दिनों में पूर्व पुलिस अधिकारी मुख्यमंत्री जैसे हॉट सीट पर काबिज होने के लिए पद एवं गोपनीयता की शपथ लेंगे।