कैप्टन कोरोना से लडे़ं या सिद्धू से
कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने पंजाब के गांवों तक तबाही का जबड़ा फैला दिया है।
चंडीगढ़। कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने पंजाब के गांवों तक तबाही का जबड़ा फैला दिया है। इसी के चलते मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्र सरकार को पंजाब के लिए वैक्सीन का कोटा बढ़ाने की फिर मांग की है। उन्होंने कहा कि मई महीने में टीकों की सप्लाई पंजाब को बहुत कम हुई है, जिस कारण राज्य में टीकाकरण का काम प्रभावित हो रहा है।
उन्होंने कहा कि लोग ज्यादा से ज्यादा टीका लगवाने के लिए तैयार हैं लेकिन अगर राज्य सरकार के पास टीके ही नहीं होंगे तो कैसे टीकाकरण का काम तेजी के साथ आगे बढ़ेगा? उन्होंने कहा कि ब्लैक फंगस को रोकने के लिए भी स्वास्थ्य विभाग को हिदायतें जारी कर दी गई हैं। वैक्सीन बनाने वाली कम्पनियों ने सीधे किसी राज्य को सप्लाई देने से इनकार कर दिया है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के सामने कोरोना की ही समस्या नहीं है बल्कि पार्टी के अंदर भी घमासान चल रहा है। पूर्व क्रिकेटर और मौजूदा समय के राजनेता नवजोत सिद्धू अपनी अलग खिचडी पका रहे हैं। कैप्टन ने भी साफ कर दिया कि इस बार वे पीछे हटने वाले नहीं हैं। अगले महीने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव भी होना है, इसलिए राहुल गांधी और सोनिया गांधी भी हस्तक्षेप नहीं करना चाहते हैं।
पंजाब में कोविड टीकाकरण के संबंध में पंजाब सरकार ने केंद्र पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। पंजाब सरकार चाहती है कि कोविड को फैलने से रोकने के लिए राज्य के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में वैक्सीन मुहैया होनी चाहिए क्योंकि लोग रोज वैक्सीन लगवाने के लिए आते हैं लेकिन आधे लोगों को निराश वापस जाना पड़ता है। अगर सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में रोज सुबह 9 से शाम 5 बजे तक वैक्सीन लगाने का काम चलता रहे तो इससे राज्य की अधिक से अधिक आबादी को वैक्सीन लगाने में मदद मिलेगी। समस्या यह है कि कोविड टीकों की निर्माता कंपनी में से एक 'मॉडर्ना' ने पंजाब सरकार को सीधे टीके भेजने से इन्कार कर दिया है। कंपनी के अनुसार उसकी नीति के तहत वह सिर्फ भारत सरकार के साथ ही समझौता कर सकती है न कि किसी राज्य सरकार या निजी पक्ष के साथ।
टीकाकरण के लिए पंजाब के स्टेट नोडल अधिकारी और सीनियर आईएएस अधिकारी विकास गर्ग ने बताया कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा राज्य में जल्द टीकाकरण यकीनी बनाने के लिए सभी संभावित स्रोतों से टीकों की खरीद के लिए विश्वव्यापी टेंडर तय करने की संभावनाओं का पता लगाने संबंधी निर्देश पर अमल करते हुए सभी टीका निर्माताओं से अलग-अलग कोविड टीकों की सीधी खरीद के लिए संपर्क किया गया था। यह संपर्क स्पुतनिक वी, फाईजर, मॉडर्ना और जाॅनसन एंड जाॅनसन के साथ किया गया लेकिन अभी तक सिर्फ माॅडर्ना की ओर से ही जवाब आया है।
उधर, पंजाब और हरियाणा के गांवों में कोरोना की दूसरी लहर अब तेजी से पांव पसार रही है। कोरोना की दूसरी लहर से सबसे ज्यादा प्रभावित वो गांव हुए हैं जहां के लोगों ने किसान आंदोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था। इन गांवों में कई लोगों की मौत हो चुकी है। बड़ी संख्या में लोगों में खांसी बुखार जैसे लक्षण हैं। किसान आंदोलन पिछले साल नवंबर से ही जारी है लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के बाद भी ये आंदोलन नहीं रुका। अब ये बहस तेज हो गई है कि क्या गांवों में कोरोना के बढ़ते मामलों के लिए किसान आंदोलन जिम्मेदार है?
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से नाराज चल रहे नवजोत सिंह सिद्धू ने पार्टी के विधायकों व कार्यकर्ताओं को दिल्ली जाने की सलाह दी है। अपने ट्विटर एकाउंट पर सिद्धू ने कहा है कि मंत्रियों व विधायकों को दिल्ली जाकर पार्टी हाईकमान को बताना चाहिए कि पंजाब में क्या चल रहा है। वहीं, कांग्रेस के प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ ने पार्टी नेताओं को उन नेताओं से सावधान रहने के लिए कहा है जो आपदा में अवसर ढूंढते हैं। पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा कि बैठकों में हाजिर लोगों के झूठे आंकड़े देकर यह नेता ऐसे अभियान की लीडरशिप करने का भ्रम पाल रहे हैं, जो कि असल में कोई अभियान है ही नहीं। जाखड़ ने अल्टीमेटम देकर झूठी वाहवाही लूटने की कोशिश करने वाले नेताओं के बारे में पार्टी नेताओं को अवगत कराते हुए कहा कि पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाने वालों पर हाईकमान की नजर है और ऐसे नेताओं का साथ, घाटे का सौदा साबित होगा, इसलिए ऐसे नेताओं से दूर रहा जाए जो अपने निजी स्वार्थों की पूर्ति के लिए किसी का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
किसी समय 'ग्रैंड ओल्ड पार्टी' कहलाने वाली कांग्रेस न सिर्फ हाशिये पर आ गई है बल्कि इसकी राजस्थान, चंडीगढ़, हरियाणा आदि इकाइयों में लगातार कलह जारी है और अब कुछ दिनों से पंजाब की कांग्रेस सरकार में भी मचा घमासान चर्चा का विषय बना हुआ है। पहले जहां नवजोत सिंह सिद्धू के मामले पर पंजाब कांग्रेस के अधिकांश नेता मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह के साथ थे परंतु अब अनेक नेताओं ने विभिन्न मुद्दों पर अमरेंद्र सिंह के विरुद्ध बोलना शुरू कर दिया है।
इसी सिलसिले में 18 मई को कैबिनेट मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी तथा जेल मंत्री सुखजिंद्र सिंह रंधावा के घर दर्जन भर कांग्रेसी नेताओं की बैठकें हुईं जिनमें सुखजिंद्र सिंह रंधावा सहित 2 मंत्री, राज्यसभा सांसद प्रताप सिंह बाजवा तथा परगट सिंह सहित कुछ विधायक भी शामिल हुए। प्रताप सिंह बाजवा ने विधायक परगट सिंह को मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह के सलाहकार संदीप संधू द्वारा दी गई धमकी तथा नवजोत सिद्धू के विरुद्ध विजीलैंस कार्रवाई का मुद्दा उठाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह गलत लोगों के साथ काम कर रहे हैं। लोग अकालियों का हिसाब मांग रहे थे, हमने अपनों के ही विरुद्ध मोर्चे खोल दिए हैं।
कोरोना की दूसरी लहर ने देश की स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव कई गुणा बढ़ा दिया है। अब तक जहां हजारों लोगों ने अपनी जान गंवाई है वहीं सैंकड़ों की संख्या में डाक्टर और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े लोग भी इसकी चपेट में आकर अपने प्राणों का बलिदान दे चुके हैं।
भारतीय चिकित्सक संघ (आई.एम.ए.) के अनुसार कोविड-19 की पहली लहर में 748 डाक्टरों की मौत हुई थी जबकि दूसरी लहर में मात्र दो महीनों में 269 डाक्टरों की मौत हो चुकी हैै। इस तरह अब तक कोरोना वायरस की चपेट में आकर 1017 डाक्टरों की मौत हो चुकी है जबकि अन्य स्टाफ इसके अलावा है। ओआई.एम.ए. के अध्यक्ष डा. जे.ए. जयालाल के अनुसार, वैश्विक महामारी की दूसरी लहर सभी के लिए बेहद घातक साबित हो रही है, खासकर अग्रिम मोर्चे पर तैनात स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए। कोविड की मौजूदा लहर की इतनी कम अवधि में ही हमने इतने अधिक चिकित्सक खो दिए हैं।
कोरोना के बढ़ते मामलों से ग्रस्त मरीजों का उपचार करने के लिए डाक्टरों और नर्सों की कमी का सामना तो करना पड़ ही रहा है, इस बीच देश के कई हिस्सों में डाक्टरों के इस्तीफे देने की घटनाएं भी लगातार बढ़ रही हैं। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के सामने मई मोर्चे एक साथ खुले हैं। (हिफी)