कोरोना का झपटटा-मशहूर गीतकार का निधन-कविता मंच को दूसरा आघात
कोरोना वायरस के संक्रमण की दूसरी लहर निरंतर अपना कहर बरपाते हुए आगे बढ़ रही है।
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के संक्रमण की दूसरी लहर निरंतर अपना कहर बरपाते हुए आगे बढ़ रही है। रोजाना रिकॉर्ड संख्या में लोग संक्रमित मिल रहे हैं तो अनेक लोगों की जान भी कोरोना की चपेट में आकर जा रही है। देश के जाने-माने गीतकार डा.कुंवर बेचैन ने कई दिनों तक कोरोना के साथ लड़ाई लड़ते हुए आखिर में हार मान ली। नोएडा के कैलाश अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराए गए मशहूर गीतकार ने आज अंतिम सांस ली।
बृहस्पतिवार को देश के जाने माने कवि और गीतकार डा.कुंवर बेचैन का कोरोना संक्रमण की चपेट में आकर निधन हो गया। मशहूर गीतकार को 12 अप्रैल को आई कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट के बाद दिल्ली के लक्ष्मीनगर स्थित सूर्या अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मशहूर गीतकार के साथ उनकी संक्रमित पत्नी संतोष कुमार कुंवर भी अस्पताल में भर्ती थी। हालत में सुधार नहीं होने पर डॉ कुंवर बेचैन को आनंद विहार स्थित कॉसमॉस अस्पताल में शिफ्ट किया गया था। वहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई थी। इस बात की जानकारी मिलने पर कुमार विश्वास ने अपने परिचित तमाम डॉक्टरों से मदद की अपील की। मगर कहीं से भी कामयाबी हाथ नहीं लग सकी।
फिर उन्होंने ट्विटर पर मदद मांगी तो नोएडा के कैलाश अस्पताल के मालिक डॉक्टर महेश शर्मा ने उनकी मदद के लिए आगे आते हुए अपने अस्पताल में डा. कुंवर बेचैन को बेड दिलवाया। जबकि उनकी पत्नी की हालत स्थिर है। वह अभी सूर्या अस्पताल में ही भर्ती हैं। डॉ कुंवर बेचैन गाजियाबाद के नेहरू नगर में रहते थे। कई दिनों तक कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ते हुए जीवन पाने के लिए संघर्ष कर रहे डॉ कुंवर बेचैन ने बृहस्पतिवार को कोरोना के आगे हार मान ली और उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। गौरतलब है कि हाल ही में एक और बड़े गीतकार राजेंद्र राजन का भी निधन हो गया है। काव्य मंच को एक साथ यह दो बड़े झटके लगे हैं। सहारनपुर निवासी प्रख्यात गीतकार एवं कवि राजेंद्र राजन का 2 सप्ताह पूर्व बीमारी के चलते निधन हो गया था। वह करीब 65 वर्ष के थे। चुनाव के दौर में उनके द्वारा गाया गया गीत आने वाले हैं शिकारी मेरे गांव में काफी लोकप्रिय रहा है।