आइए कश्मीर, अब तो इग्लू भी हैं
खूबसूरतवादियों वाला कश्मीर अब तमाम बंधनों से मुक्त हो चुका है। यहां पर पर्यटकों का आना पहली पसंद हुआ करता था;
कश्मीर। खूबसूरतवादियों वाला कश्मीर अब तमाम बंधनों से मुक्त हो चुका है। यहां पर पर्यटकों का आना पहली पसंद हुआ करता था लेकिन अभी हाल (2 फरवरी, 2021) को संसद में सरकार ने ही जानकारी दी कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद पर्यटकों की संख्या में कमी आयी है। इसके पीछे कई कारण रहे हैं। पहला कारण तो वैश्विक बीमारी कोविड-19 है जिसने हर क्षेत्र को प्रभावित किया है और कश्मीर के पर्यटन पर भी इसका असर पड़ा है। दूसरा कारण हमारे पड़ोसी देश की बदनीयती है जिसके चलते आतंकवादी घटनाएं होती रहती हैं। अब तो हमारे इस 'भले' पड़ोसी ने सुरंगोंके माध्यम से आतंकवादियों को भेजने का कुप्रयास किया।
भारतीय सुरक्षा बलों ने सुरंग वाली योजना को सफल नहीं होने दिया है। यह संदेश दुनिया भर में गया। साथ ही कश्मीर की डल झील पूरी तरह जम गयी है और लगभग 33 वर्षों बाद ऐसा नजारा पर्यटकों को मिलेगा। इसके अलावा अब इग्लू कैफे भी तैयार है। इसलिए कश्मीर में आइए और बेहतरीन पर्यटन का आनंद लीजिए।
केंद्र सरकार ने मंगलवार (2 फरवरी) को बताया कि जम्मू एवं कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद इस संघ शासित क्षेत्र में पर्यटकों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई और इसका सबसे अधिक असर कश्मीर घाटी में हुआ है। राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में पर्यटन मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने बताया कि पिछले कुछ माह से पर्यटकों की आवक में वृद्धि दर्ज की गई है। पटेल ने कहा, ''पांच अगस्त 2019 से जम्मू एवं कश्मीर में आने वाले पर्यटकों की संख्या में गिरावट आई है। जम्मू की तुलना में यह प्रभाव कश्मीर घाटी में अधिक दिखा, हालांकि पिछले कुछ माह से जम्मू एवं कश्मीर में पर्यटक आगमन में क्रमिक रूप से वृद्धि हो रही है। उन्होंने बताया कि जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख संघ शासित क्षेत्र के प्रशासन के अनुसार-अगस्त 2019 से अब तक कश्मीर में 84, 326 पर्यटक आए जबकि जम्मू में 87,94,837 और लद्दाख में 1,00,931 पर्यटक आए।
इस दौरान धार्मिक यात्रा पर जम्मू आने वाले पर्यटकों की कुल संख्या 76,80,775 रही। पांच अगस्त 2019 के बाद इन संघ शासित क्षेत्रों में पर्यटन और हस्तशिल्प क्षेत्रों में समाप्त हुई नौकरियों का ब्योरा पूछे जाने पर मंत्री ने बताया कि रोजगार के नुकसान के आकलन के लिए पर्यटन मंत्रालय ने कोई औपचारिक अध्ययन नहीं किया है। पटेल ने हालांकि कहा कि हस्तशिल्प क्षेत्र में जम्मू एवं कश्मीर में इस अवधि के दौरान रोजगार की कोई उल्लेखनीय कमी नहीं आयी है। उन्होंने कहा, ''विभिन्न हस्तशिल्प कार्यकलापों में संलग्न कारीगर अपना कार्य कर रहे हैं और सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से उन्हें सहायता प्रदान कर रही है। केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से भी जम्मू एवं कश्मीर के कारीगरों को हरसंभव सहायता प्रदान करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। ज्ञात हो कि पांच अगस्त, 2019 को ही केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया था और जम्मू एवं कश्मीर को राज्य से संघ शासित प्रदेश बना दिया गया था। लद्दाख को भी संघ शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया था।
इससे कश्मीर में चहलकदमी बढ़ी है लेकिन नकारात्मकता भी बढ़ी। पीपुल्स कांफ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद लोन ने घोषणा की है कि उनकी पार्टी सात दलों के 'गुपकर गठबंधन' से अलग हो रही है। आरोप लगाया कि गठबंधन के कुछ घटकों ने जिला विकास परिषद (डीडीए) चुनाव में छद्म प्रत्याशी खड़े किए। लोन ने अपने फैसले की घोषणा गुपकर गठबंधन के प्रमुख और नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला को लिखी चिट्ठी में की है। अपने लेटर में लोन ने लिखा, ''यह तथ्य है कि गुपकर गठबंधन ने इस चुनाव में स्पष्ट रूप से सबसे अधिक सीटों पर जीत दर्ज की। हम आंकड़ों को छुपा नहीं सकते हैं और गुपकर गठबंधन द्वारा जीती गईं सीटों के अलावा, एक अन्य महत्वपूर्ण आंकड़ा पांच अगस्त (अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निष्क्रिय करने) के संदर्भ मतों की संख्या है जो गुपकर गठबंधन के खिलाफ है।
जम्मू-कश्मीर के कठुआ में नियंत्रण रेखा के पास फिर से एक सुरंग का पता चला है। सीमा सुरक्षा बल ने एक अभियान के दौरान सुबह बोबिया गांव में सीमा पार से बनाई गई 20 फुट गहरी सुरंग का पता लगाया है। इस सुंरग में घुसने का रास्ता ढाई फुट के करीब है। पाकिस्तान की तरफ से सुंरग का एक सिरा है, जबकि दूसरा सिरा लाइन के पास है। सुरंग में सुरक्षा बलों को एक कराची का बैग भी मिला है। इस सुरंग के मिलने से पाकिस्तान की साजिश का पता चलता है। इससे पहले अगस्त 2020 में सांबा के सीमावर्ती गांव बैन ग्लाड की सीमा पर एक सुरंग मिली थी। सीमा से पचास मीटर दूर मिली इस सुरंग में पाकिस्तान निर्मित बोरियां बरामद हुई थीं। पर्यटन कम होने का एक कारण यह भी रहा।
महामारी के बीच पर्यटन सबसे मुश्किल उद्योगों में से एक था, क्योंकि कोरोनोवायरस के प्रसार को रोकने के लिए लोग घर पर ही रहते थे। वहीं, अब रेस्तरां और होटल धीरे-धीरे खुल रहे हैं और मेहमानों का स्वागत कर रहे हैं, स्थानीय गंतव्यों के साथ यात्रियों के बीच लोकप्रियता बढ़ रही है। होटल व्यवसायी पर्यटकों को आकर्षित करने और एक यादगार छुट्टी बनाने के लिए नए और नए अनुभवों को महसूस करने की कोशिश कर रहे हैं। हाल ही में, गुलमर्ग में कोलाहोई स्की रिसॉर्ट, परिसर में एक नया इग्लू कैफे खुलने के बाद से यह सुर्खियों में छाया हुआ है। इस इग्लू कैफे में बर्फ और बर्फ से बने टेबल होते हैं, जिसमें आगंतुकों और ग्राहकों के लिए गर्म भोजन परोसा जाता है।
यह इग्लू कैफे लगभग 15 फीट ऊंचा और 26 फीट गोल है। यह नया रेस्तरां आर्कटिक आश्रयों से कुछ स्थानीय स्पर्शों से प्रेरित है। दीवार पर एक धनुषाकार द्वार और पैटर्न के साथ, इस अनोखे कैफे में 4 टेबल और लगभग 16 मेहमान के लिए जगह है। होटल मालिक ने पहले केवल पर्यटकों को आकर्षित करने के इरादे से इग्लू बनाने की शुरुआत की थी। लेकिन, गुलमर्ग में हुई बर्फबारी ने उनको और कुछ करने को प्रोत्साहित किया। उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए कहा, कि 20 मजदूर और 15 दिन के परिश्रम के बाद एक अच्छा कैफे बनकर तैयार हो गया। इग्लू कैफे को आम लोगों के लिए खोल दिया गया है। बताया जा रहा है कि बड़ी संख्या में स्थानीय लोग और पर्यटक इस कैफे में चाय-नाश्ता और लंच डिनर करने के लिए आ रहे हैं। वहीं, सोशल मीडिया पर लोग इस इग्लू कैफे को लेकर काफी एक्साइटेड हैं। (हिफी)