मुख्यमंत्री, मंत्री, कांग्रेसी विधायक किसानों को छोड़कर भागे : शिअद
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, उनके मंत्री और कांग्रेसी विधायक किसानों को मैदान-ए-जंग में अकेला छोड़कर भाग गए
चंडीगढ़। शिरोमणी अकाली दल (शिअद) ने आज आरोप लगाया कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, उनके मंत्री और कांग्रेसी विधायक किसानों को मैदान-ए-जंग में अकेला छोड़कर भाग गए और अधिकांश कांग्रेसी नेता कृषि विधेयकों के खिलाफ आज के किसानी संघर्ष में किसी भी धरने पर नजर नहीं आए।
यहां जारी बयान में शिअद के वरिष्ठ उपाध्यक्ष तथा प्रवक्ता डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि यह बेहद हैरानी वाली बात है कि आज सिर्फ पंजाब के ही नही बल्कि देश भर में किसानों ने अपने साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ संघर्ष किया, जिसकी घोषणा बहुत पहले ही हो गई थी और शिअद ने भी इस संघर्ष में 'चक्का जाम' कार्यक्रम के जरिये हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी भी किसानों के हितों के लिए डटकर खड़ी रही पर पंजाब के मुख्यमंत्री, उनके मंत्रिमंडल के साथी तथा कांग्रेस के विधायक आज के किसान धरनों के प्रदर्शन से अलग-थलग रहे, जो बेहद निंदनीय है।
डॉ. चीमा ने कहा कि यह कोई हैरानी वाली बात नही है क्योंकि इससे पहले संसद में कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व और पंजाब के कांग्रे सांसद कृषि विधेयकों के खिलाफ वोटिंग से भाग गए थे।डॉ. चीमा ने कहा कि संसद में भी पार्टी के प्रमुख नेताओं ने विधेयकों के खिलाफ बोलने से परहेज किया था और सिर्फ पंजाब के सांसद ही बिलों के खिलाफ बोले पर वोटिंग के समय सदन से भाग गए।डॉ़ चीमा ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र में शिवसेना, जो कांग्रेस की सहयोगी पार्टी है, विधेयकों के पक्ष में थी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को शिवसेना नीत सरकार से महाराष्ट्र से अपना समर्थन वापस ले लेना चाहिए था।
डॉ. चीमा ने कहा कि पंजाब में भी पार्टी ने सिर्फ लोगों की आंखों में धूल झोंकने का काम किया है क्योंकि कांग्रेस दिल से चाहती थी कि इस तरीके का कानून बने। उन्होंने कहा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार ने 2017 में एपीएमसी एक्ट में संशोधन किया तथा 2019 में राष्ट्रीय स्तर पर चुनाव घोषणा पत्र में भी विरोधाभासी घोषणा की थी।डॉ़ चीमा ने कहा कि शिअद ने संसद में कृषि विधेयकों के खिलाफ वोट भी डाला और हरसिमरत कौर बादल ने केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा भी दिया।
वार्ता