बदली परंपरा-मंदिरों में अब सलाम आरती बंद- यह नई आरती हुई शुरू

टीपू सुल्तान के शासनकाल से कर्नाटक के सभी मंदिरों में चली आ रही सलाम आरती की परंपरा पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

Update: 2022-12-11 06:38 GMT

नई दिल्ली। टीपू सुल्तान के शासनकाल से कर्नाटक के सभी मंदिरों में चली आ रही सलाम आरती की परंपरा पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। हिंदू मंदिरों की देखरेख करने वाली सर्वाेच्च सरकारी संस्था ने 6 महीने पुराने एक प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए अब इस आरती को संध्या आरती के तौर पर आरंभ कराया है।

दरअसल कर्नाटक के सभी मंदिरों में टीपू सुल्तान के शासनकाल के समय से फारसी नाम से पुकारे जाने वाली सलाम आरती को अब राज्य के मंदिरों में प्रतिबंधित कर दिया गया है। राज्य के भीतर मंदिरों की देखरेख करने वाली सर्वाेच्च सरकारी संस्थान ने तकरीबन 6 महीने पुराने एक प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए टीपू सुल्तान के शासनकाल के समय से फारसी नाम से पुकारे जाने वाली सलाम आरती की परंपरा का नाम बदलकर संस्कृत में रखे जाने को अपनी मंजूरी प्रदान की है। राज्य धार्मिक परिषद के सदस्य और विद्वान सूर्यनारायण भटट ने कहा था कि यह नाम टीपू सुल्तान के शासनकाल के दौरान हिंदू मंदिरों पर थोपे गए थे। उन्होंने कहा था कि सलाम शब्द हमारा नहीं है। भाजपा शासित राज्य में जिला प्रशासन द्वारा मेलकोट में ऐतिहासिक नारायण स्वामी मंदिर से प्राप्त नामांतरण प्रस्ताव को परिषद को सौंप दिया था। इस फैसले के बाद अब कर्नाटक के हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग को अब सीएम बसवराज मुंबई से अंतिम मंजूरी मिलने का इंतजार है।

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