CCTV मामला: हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव गृह को अदालत में किया तलब

न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैठाणी की पीठ ने देहरादून निवासी प्रद्युम्न बिष्ट की ओर से दायर याचिका की सुनवाई करते हुए ये निर्देश जारी किये हैं

Update: 2022-03-08 16:15 GMT

नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने अदालतों में सीसीटीवी कैमरे नहीं लगाये जाने के मामले में शीर्ष अदालत के आदेश का अनुपालन नहीं करने के मामले में मंगलवार को प्रदेश के प्रमुख सचिव गृह को 16 मार्च को व्यक्तिगत रूप से अदालत में तलब किया है।

न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैठाणी की पीठ ने देहरादून निवासी प्रद्युम्न बिष्ट की ओर से दायर याचिका की सुनवाई करते हुए ये निर्देश जारी किये हैं। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि अदालतों की कार्यवाही सीसीटीवी की निगरानी में की जानी चाहिए। इससे अदालती कार्यवाही में पारदर्शिता के साथ निष्पक्षता भी बनी रहेगी लेकिन देहरादून की अदालत ने उसकी इस मांग को खारिज कर दिया।

याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को यह भी बताया गया कि देहरादून में दहेज उत्पीड़न को लेकर उसके खिलाफ एक अधिवक्ता की सुपुत्री की ओर से 2011 में अभियोग पंजीकृत किया गया। उसके खिलाफ उसी अदालत में दहेज उत्पीड़न का मामला चलाया गया जिसमें अधिवक्ता वकालत करते थे। याचिका में आरोप लगाया गया है कि अधिवक्ताओं के दबाव में उसके बयानों एवं साक्ष्यों से कथित रूप से छेड़छाड़ की गयी।

इसके बाद उसने निचली अदालत से कहा कि उसका ट्रायल सीसीटीवी कैमरे में किया जाये लेकिन अदालत ने उसके अनुरोध को ठुकरा दिया। याचिकाकर्ता की ओर से आगे कहा गया कि इसके बाद उसने इस मामले में उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया लेकिन यहां भी उसे निराशा हाथ लगी और अदालत ने 05 मई 2014 को उसकी याचिका को खारिज कर दिया।

याचिकाकर्ता इसके बावजूद चुप नहीं बैठा और उसने इस प्रकरण को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी। शीर्ष अदालत ने स्वतः संज्ञान लेते हुए इस प्रकरण में जनहित याचिका दायर कर ली। साथ ही सभी हाईकोर्ट से जवाब देने को कहा।

इसके बाद शीर्ष अदालत ने 14 अगस्त 2017 को एक आदेश जारी कर देश की सभी निचली अदालतों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के निर्देश सरकारों को दिये। साथ ही कहा कि पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर प्रथम चरण में दो जिलों में इसकी शुरूआत करने को कहा लेकिन उत्तराखंड में इस आदेश का अनुपालन नहीं किया गया।

इसके बाद याचिकाकर्ता ने पुनः 2019 में उत्तराखंड उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और कहा कि मेरे मामले की सुनवाई देहरादून की अदालत में सीसीटीवी कैमरे की जद में की जाये। उच्च न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई करते हुए 19 नवम्बर 2021 को न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल और देहरादून के जिला न्यायाधीश से इस प्रकरण में रिपोर्ट मांगी।

रजिस्ट्रार जनरल की ओर से कहा गया कि अदालतों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के मामले में हाईकोर्ट की फुल बेंच की ओर से 2017 और 2018 में दो प्रस्ताव पारित कर सरकार को भेजे गये हैं। जिसमें हरिद्वार, विकासनगर, देहरादून, ऋषिकेश, नैनीताल और उधमसिंह नगर की अदालतों में सीसीटीवी कैमरे लगाने को कहा।

याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि यही नहीं मुख्य न्यायाधीश की ओर से इस मामले में 24 जून, 2021 को प्रदेश के मुख्य सचिव से बात की गयी और इस प्रकरण को केबिनेट के समक्ष रखने को कहा और 23 जुलाई को फिर प्रमुख सचिव गृह की ओर से बताया गया कि प्रस्ताव जमा कर दिया गया है। इसके साथ ही दो जिलों में सीसीटीवी लगाने की बात कही।

इसके बाद हाईकोर्ट की ओर से देहरादून और नैनीताल के दो जिलों में सीसीटीवी लगाने के लिये 02 अगस्त 2021 को राज्य सरकार को 4.98 करोड़ का प्रस्ताव भेजा दिया गया।

मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने 24 दिसंबर, 2021 को प्रमुख सचिव गृह से इस पूरे प्रकरण में 08 मार्च तक रिपोर्ट पेश करने को कहा लेकिन गृह सचिव की ओर से आज तक रिपोर्ट नहीं दी गयी। इसके बाद अदालत ने 16 मार्च को प्रमुख सचिव को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के निर्देश दे दिये।

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