केज कल्चर मछली के गहन उत्पादन के लिए एक उभरती हुई तकनीक- मिनिस्टर

चौधरी चरण सिंह सभागार, सहकारिता भवन लखनऊ में आज समारोह आयोजित किया गया।

Update: 2024-11-21 14:24 GMT

लखनऊ। मत्स्य विभाग, उ.प्र. द्वारा विश्व मात्स्यिकी दिवस के अवसर पर चौधरी चरण सिंह सभागार, सहकारिता भवन लखनऊ में आज समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर मत्स्य विकास मंत्री डा0 संजय कुमार निषाद ने कहा कि मत्स्य पालन तकनीक एवं नदियों व जलाशयों में मत्स्य अंगुलिका का संचय, मत्स्य आखेट प्रबंधन की जानकारी, जलक्षेत्रों के दोहन न करने व जल क्षेत्र की सस्टेनेबिलिटी (निरंतरता) बनाते हुए अधिक से अधिक मत्स्य उत्पादन के साथ-साथ देशीय मत्स्य प्रजातियों का संरक्षण व संवर्धन हेतु समारोह का आयोजन किया गया है। प्रदेश में उपलब्ध कुल जलक्षेत्रों से वर्ष 2023-24 मे उत्तर प्रदेश का कुल मत्स्य उत्पादन 11.60 लाख मी0 टन एवं मत्स्य उत्पादकता 5539.00 किग्रा0/हे0/वर्ष प्राप्त हुआ।

मंत्री डा0 संजय कुमार निषाद ने कहा कि प्रदेश में गंगा, यमुना, चम्बल, बेतवा, गोमती, घाघरा एवं राप्ती सहित कई सदाबाही नदियॉ बहती हैं, जिनके दोनों किनारे एवं आसपास मछुआ समुदाय की घनी आबादी निवास करती है, जो आजीविका हेतु मुख्यतः मत्स्य पालन, मत्स्याखेट एवं मत्स्य विपणन कार्यों पर निर्भर है। इन्हें रोजगार उपलब्ध कराने एवं उनके आर्थिक उन्नयन हेतु अभियान चलाकर मत्स्य जीवी सहकारी समितियों के गठन की कार्यवाही की जा रही है जिसके अन्तर्गत 565 समितियों के गठन का लक्ष्य निर्धारित करते हुए समिति गठन की कार्यवाही कराई जा रही है।

मत्स्य विकास मंत्री ने बताया कि केज कल्चर मछली के गहन उत्पादन के लिए एक उभरती हुई तकनीक है। जलाशयों में स्थापित केजों मे पंगेशियस और गिफ्ट तिलपिया का पालन करते हुए उत्पादकता में वृद्धि की जा सकती है।

प्रमुख सचिव मत्स्य के0 रवीन्द्र नायक ने कहा कि मत्स्य विभाग द्वारा प्रदेश के मत्स्य पालकों तथा जलाशय के ठेकेदारों को नवीन तकनीकी प्रदान की जा रहाई है एवं उनके द्वारा प्रदेश के मत्स्य उत्पादन में वृद्धि हेतु पूर्ण मनोयोग से कार्यवाही की जा रही है। प्रदेश में मात्स्यिकी क्षेत्र के विस्तार से रोजगार के साधन उपलब्ध होने के साथ-साथ लक्षित वन ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी में मत्स्य सेक्टर की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। उपस्थित मत्स्य पालकों एवं ठेकेदारों से मत्स्य उत्पादन में वृद्धि लाए जाने के संबंध में सुझाव आमंत्रित किए गये। अधिक से अधिक केज लगाए जाने के संबंध में प्रमुख सचिव मत्स्य द्वारा भारत सरकार से धनराशि की मांग की बात कही और यह भी कहा कि जलाशय के ठेकेदार आर्थिक रूप से सम्पन्न होते है वह स्वयं के संसाधन से भी जलाशयों में केज स्थापित कराए।


ने बताया कि प्रदेश में मत्स्य विकास की आपार सम्भावनाएं है। उपलब्ध जल संसाधनों का वैज्ञानिक एवं तकनीकी दृष्टि से समुचित उपयोग करते हुए प्रदेश को मत्स्य उत्पादन में अग्रणी बनाया जा सकता है। प्रदेश के मत्स्य पालकों द्वारा वर्तमान में नवोनवेशी तकनीकी के माध्यम से मत्स्य उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि की जा रही है।

विश्व मात्स्यिकी दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में निदेशक मत्स्य एन.एस रहमानी विश्व मात्स्यिकी दिवस के बारे में प्रकाश डालते हुए इसके उद्देश्यों एवं प्रदेश में मत्स्य विकास के बारे में विस्तार से बताया गया। रहमानी द्वारा बताया गया की मत्स्य उत्पादन वर्ष 2023-24 में 11.60 लाख मीट्रिक टन प्राप्त किया गया। अन्तर्स्थलीय मछली उत्पादन में उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी लगभग 8.85 प्रतिशत है। प्रदेश में मत्स्य उत्पादकता 5540 किलोग्राम/ हेक्टेयर/वर्ष है। प्रदेश को वर्ष 2020 एवं 2023 के दौरान अन्तर्स्थलीय मछली उत्पादन में उत्कृष्ट योगदान के लिए सर्वश्रेष्ठ अन्तर्स्थलीय मत्स्य पालन राज्य का पुरस्कार प्राप्त हुआ है। वर्ष 2023-24 में प्रदेश में 36664.64 लाख मत्स्य बीज का उत्पादन किया गया तथा प्रदेश के बाहर भी मेजर कार्प मत्स्य बीज निर्यात किया जा रहा है। प्रदेश मे प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजनान्तर्गत विगत चार वर्षों में 1277 इन्फ्रास्ट्रक्चर इकाईयां स्थापित की गयी जिसमें मुख्यतः 954 रिसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम, 63 मत्स्य बीज हैचरी, 123 लघु एवं वृहद मत्स्य आहार मिलों, 55 फिश कियोश्क, 78 जिन्दा मछली विक्रय केन्द्र, 04 मोबाइल लैब की निजी क्षेत्र में स्थापित करायी गयी। मछली की बिक्री हेतु कोल्डचेन अंतर्गत विभिन्न प्रकार की 2604 इकाइयों पर अनुदान देते हुए लाभान्वित किया गया है। मत्स्य बीज की उपलब्धता हेतु 63 मत्स्य बीज हैचरी, 266 हे. में मत्स्य बीज रियरिंग यूनिट निर्मित करायी गयी हैं। 2019.72 हे. क्षेत्रफल के निजी क्षेत्र तालाब निर्माण कराया गया है। केज मे मत्स्य उत्पादकता के दृष्टिगत 682 केज स्थापित कराए जा चुके है। 1,50,000 मछुआरों को मछुआ दुर्घटना बीमा योजनान्तर्गत पंजीकृत कर आच्छादित किया गया।

मुख्यमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के अंतर्गत पट्टे पर आवंटित तालाबों में प्रथम वर्ष निवेश हेतु अब तक 954 लाभार्थियों को 822.22 हे. पर अनुदान प्रदान किया गया एवं मत्स्य बीज बैंक स्थापना अंतर्गत 96 लाभार्थियों को 91.044 हे. पर अनुदान प्रदान किया गया। निषादराज बोट सब्सिडी योजना में अब तक कुल 920 मछुआ समुदाय के गरीब व्यक्तियों को जीवकोपार्जन हेतु मछली पकड़ने एवं बेचने हेतु नाव, जाल, ऑइसबाक्स एवं लाइफ जैकेट उपलब्ध कराये गये। विगत चार वर्षों में 28520 व्यक्तियों को मत्स्य पालन हेतु 25858.39 हे0 क्षेत्रफल के ग्रामसभा के तालाबों के पट्टे उपलब्ध कराये गये।

मत्स्य पालक कल्याण फण्ड के अंतर्गत मछुआ बाहुल्य 289 ग्रामो में 3126 सोलर स्ट्रीट लाइट एवं 570 हाईमास्ट लाइट की स्थापना करायी गयी। कोष के माध्यम से चिकित्सा सहायता, दैवीय आपदा, प्रशिक्षण एवं मछुआ आवास निर्माण हेतु सहायता प्रदान की गयी। माता सुकेता परियोजना के अंतर्गत 250 केज मछुआ समुदाय की महिलाओं के सशक्तीकरण हेतु लगाये जाने का प्रावधान है। 16757 मत्स्य पालकों को धनराशि रू0 131.00 करोड़ के किसान क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराये गये।

रिवर रैन्चिंग अंतर्गत मेजर कार्प एवं राज्य मीन चिताला मत्स्य प्रजातियों के नदियों मे संरक्षण हेतु कुल 297 लाख मत्स्य बीज नदियों में संचित कराया गया। विभागीय योजनाओं को पारदर्शी ढंग से आनलाइन पोर्टल ीजजचेरूध्ध्पिेीमतपमेण्नचण्हवअण्पद के माध्यम से लागू की गयी हैं। मो० परवेज खान प्रगतिशील मत्स्य पालक जनपद बाराबंकी द्वारा आर ए एस एवं फ़ीड मिल के बारे में विस्तार से मत्स्य पालकों को जानकारी दी गयी।

डा० संजय श्रीवास्तव जनपद महराजगंज के प्रगतिशील मत्स्य पालक द्वारा हैचरी निर्माण में उसके लाभ लागत के संबंध में उपस्थित मत्स्य पालकों को तकनीकी विधियों के बारे में को जानकारी दी गयी। मंजू कश्यप प्रगतिशील मत्स्य पालक जनपद गाजियाबाद द्वारा तालाब प्रबंधन एवं दूषित तालाबों में सफल मत्स्य पालन कैसे किया जाए के संबंध में मत्स्य पालकों को जानकारी दी गई। उक्त के अतिरिक्त उनके द्वारा एकीकृत मत्स्य पालन की विधाओ के बारें में भी जानकारी दी गई।

देवमणि निषाद जनपद गौरखपुर द्वारा अपने सफलता की कहानी को मत्स्य पालकों के साथ साझा किया गया तथा अधिक उत्पादन प्राप्त करने के संबंध में जानकारी दी गई। श्री जय सिंह निषाद द्वारा आर०ए०एस० के माध्यम से कम भूमि एवं जल से अधिक से अधिक मत्स्य उत्पादन प्राप्त किए जाने के संबंद में अपने अनुभव को उपस्थित मत्स्य पालकों से साझा किया गया। दरोगा जुल्मी निषाद द्वारा मत्स्य पालन में उत्कृष्ट कार्य किए जाने के संबंध में उन्हे पुरुष्कृत किया गया।

मनीष वर्मा द्वारा जलाशयों मे केज स्थापना एवं उसमें उत्पादित की जाने वली मछलियों तथा प्रति केज से प्राप्त की जाने वाली शुद्ध आय के संबंध में अपने उदबोधन में मत्स्य पालकों को जानकारी दी गयी। डॉ नीरज सूद, प्रधान वैज्ञानिक एन०बी०एफ०जी०आर० लखनऊ द्वारा संस्थान के कार्यों के संबंध में विस्तार से बताते हुए मत्स्य उत्पादन में वृद्धि हेतु उचित मात्रा में गुणवत्ता युक्त मत्स्य अंगुलिका का संचय कराते हुए मत्स्य उत्पादन के लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है। प्रदेश की वन ट्रिलियन डालर ईकोनामी के मत्स्य सेक्टर के लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त किया जा सकता है।

मोनिशा सिंह प्रबंध निदेशक उ.प्र. मत्स्य जीवी सहकारी संघ लि. द्वारा संघ द्वारा समितियों एवं मत्स्य पालकों हेतु संचालित कार्यक्रमों के बारे में बताया गया। श्रीमती अंजना वर्मा मुख्य महाप्रबंधक उ.प्र. मत्स्य विकास निगम लि. द्वारा निगम द्वारा मत्स्य बीज उत्पादन तथा प्रदेश में मत्स्य बीज की उपलब्धता तथा जलाशयों में केज केज कल्चर के माध्यम से जलाशयों के मत्स्य उत्पादकता बारे में बताया गया।

मंत्री डा0 संजय कुमार निषाद द्वारा मात्स्यिकी के विभिन्न क्षेत्र में प्रदेश में उत्कृष्ट योगदान कर रही मंजू कश्यप प्रगतिशील मत्स्य पालक जनपद गाजियाबाद, देवमणि निषाद जनपद गौरखपुर, जय सिंह निषाद, दरोगा जुल्मी निषाद सहित 16 व्यक्तियों को प्रशस्ति पत्र प्रदान करते हुए सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के दौरान मत्स्य की विभिन्न गतिविधियों मे अनुदानित 36 व्यक्तियों को मंत्री द्वारा अनुदान की धनराशि के चेक व प्रमाण पत्र भी वितरित किया गया।

विभाग द्वारा निःशुल्क मछुआ दुर्घटना बीमा योजना से आच्छादित करने हेतु मछुआ दुर्घटना बीमा योजना के माध्यम से वर्ष 2024-25 में कुल लक्षित 1,50,000 मत्स्य पालकों का आच्छादन कराये जाने हेतु कार्यवाही की गयी। केज कल्चर के साथ साथ पेन कल्चर तथा जिंदा मछली विक्रय केंद्र को प्रोसाहित करते हुए उत्पादन के साथ साथ मूल्य वर्धन के माध्यम से आय में वृद्धि लायी जाय। उपस्थित मत्स्य पालकों से सुझाव मांगे गये तदानुसार उत्पादन के बढ़ावा हेतु कार्ययोजना तैयार कराई जा सके।

उप निदेशक पुनीत कुमार द्वारा उपस्थित अतिथियों एवं मत्स्य पालकों तथा जलाशय के ठेकेदारों का धन्यवाद व्यक्त करते हुए कार्यशाला के समापन की घोषणा की गयी।

कार्यक्रम उ.प्र. मत्स्य जीवी सहकारी संघ लि. के सभापति वीरू निषाद एवं विभागीय अधिकारी सहित मत्स्य पालक उपस्थित रहे।

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