BJP के मिशन बंगाल से हिली TMC

भाजपा का मिशन बंगाल तो उसी समय से शुरू हो गया था जब केशरीनाथ त्रिपाठी को राज्य पाल बनाकर भेजा गया था। केशरीनाथ त्रिपाठी ने नींव रखी थी

Update: 2020-11-18 06:25 GMT

कोलकाता। बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे भी घोषित नहीं हुए थे और भाजपा का मिशन बंगाल बहुत तेजी से शुरू हो गया। हालांकि यह कहना भी पूरी तरह सही नहीं है क्योंकि भाजपा का मिशन बंगाल तो उसी समय से शुरू हो गया था जब केशरीनाथ त्रिपाठी को राज्य पाल बनाकर भेजा गया था। केशरीनाथ त्रिपाठी ने नींव रखी थी, उस पर दीवार जगदीप धनखड ने खड़ी कर दी है। पश्चिम बंगाल में भाजपा के सामने हालात भिन्न हैं। अब तक भाजपा ने जहां-जहां कब्जा जमाया है, वहां के मजबूत दल को अपने साथ जोड़ा है। कभी प्रत्यक्ष रूप से और कभी अप्रत्यक्ष रूप से यह कूटनीति अपनायी गयी है। बिहार का ही उदाहरण ले लें तो स्पष्ट रूप से पता चलता है कि वहाँ के बड़े दल जनता दल यूनाइटेड को भाजपा अपने साथ न रखती तो बिहार की सत्ता उसके पास नहीं आ सकती थी। भाजपा को 2015 में विधानसभा चुनाव में पराजय का सामना करना पड़ा था। सोचने वाली बात यह कि लगभग एक साल पहले ही लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जबर्दस्त सफलता हासिल की थी। इससे यह भी पता चलता है कि लोकसभा चुनाव और राज्य के विधानसभा चुनाव में मतदाताओं का रुख बदल जाता है। पश्चिम बंगाल में भी भाजपा को ऐसे ही हालात का सामना करना पड सकता है।

भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में जिस तरह से सफलता प्राप्त की थी, उसको विधानसभा चुनाव में दोहराया जाएगा, यह दावे के साथ नहीं कहा जा सकता है। भाजपा को यहां से कोई ऐसा साथी दल मिलने की संभावना भी नहीं दिखाई पड रही जो मजबूत हो, जैसा बिहार में जेडीयू है। पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ तृणमूल कांग्रेस के विपक्ष में कांग्रेस और वामपंथी दल हैं। ये दोनों दल कभी भी भाजपा के साथ नहीं जा सकते। इस प्रकार एक ही रास्ता भाजपा के लिए बचता है और वो यह है कि सत्ताधारी दल किसी तरह कमजोर हो जाए। तृणमूल कांग्रेस में यही हो रहा है।

पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं।चुनाव के लिए कुछ ही महीने बचे हैं। चुनाव से पहले ही वहां राजनीतिक समीकरण बनने-बिगड़ने लगे हैं। राज्य में वाम शासन के दौरान नंदीग्राम और सिंगूर आंदोलन में तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष और फिलहाल राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथी रहे लोग अब उनसे दूरी बना रहे हैं। नंदीग्राम आंदोलन में ममता के साथ रहे सुवेंदु अधिकारी ने हाल ही में ममता से अलग रैली कर ली थी। इसके बाद से इस बात के कयास लगाए जाने लगे थे कि वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो सकते हैं। टीएमसी के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बीते दिनों अधिकारी के पिता से बात की थी। वहीं भाजपा की बंगाल इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा था कि अधिकारी पार्टी में शामिल होंगे या नहीं, उन्हें यह नहीं पता। अब सिंगूर में ममता के साथ रहे रबीन्द्रनाथ भट्टाचार्जी ने पार्टी से इस्तीफा देने की बात कह दी है। भट्टाचार्जी ने टाटा के नैनो कारखाने के खिलाफ टीएमसी के आंदोलन में ममता का साथ दिया था। इस आंदोलन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। इन सबके बाद अब हरिपाल से विधायक बेचाराम मन्ना के इस्तीफे ने पार्टी को हुगली जिले में परेशान कर दिया है। रबीन्द्रनाथ भट्टाचार्जी के साथ मतभेदों पर सार्वजनिक होने के बाद मन्ना ने 12 नवम्बर को सिंगूर सीट से विधायक पद से इस्तीफा दे दिया। भट्टाचार्जी ने भी हाल ही में पार्टी छोड़ने की धमकी दी थी। बीते दिनों सीएम ममता बनर्जी ने पार्टी के ब्लॉक प्रेसिडेंट महादेब दास को हटा दिया था। दास को भट्टाचार्जी का करीबी माना जाता है। इसी तरह का बदलाव हरिपाल ब्लॉक में भी किया गया जिसके चलते मन्ना भी नाराज हो गए।

तृणमूल नेतृत्व ने मन्ना से कहा कि वह दास को फिर से उनके पद पर वापस नियुक्त कर दें। इसके बाद ही मन्ना ने इस्तीफा देने का मन बना लिया। पार्टी के महासचिव सुब्रत बख्शी ने कोलकाता में तृणमूल कांग्रेस मुख्यालय में मन्ना को बुलाया और कथित तौर पर, इस्तीफे को वापस लेने और दिमाग शांत रखने के लिए कहा। मन्ना ने कथित तौर पर बनर्जी (ममता) से हाल के घटनाक्रमों के मद्देनजर भी बात की है। इसी के चलते 13 नवम्बर सुबह उत्तरपारा के विधायक, प्रबीर घोषाल ने मन्ना से उनके आवास पर बात की। उन्होंने बताया कि दोनों नेताओं के बीच गलतफहमी थी, लेकिन मेरा मानना है कि मामला अब सुलझ गया है। अब कोई समस्या नहीं हैं। बेचाराम मन्ना सिंगूर आंदोलन का चेहरा हैं और पार्टी इसे स्वीकार करती है। हालांकि मन्ना काफी समय तक मीडिया से दूर रहे। उन्होंने उस बयान को खारिज करने का कोई प्रयास नहीं किया लेकिन उनके समर्थकों ने दास को बहाल करने के पार्टी के राज्य नेतृत्व के फैसले के खिलाफ सिंगुर में विरोध प्रदर्शन किया। स्थानीय नेताओं का कहना है कि मन्ना अभी भी पार्टी से खुश नहीं हैं।

दूसरी ओर, भट्टाचार्जी को लगता है कि मन्ना का इस्तीफा नाटक है। उनका कहना है कि अपनी मांग मनवाने के लिए यह उनकी दबाव बनाने की रणनीति हो सकती है। इन सबके बीच हुगली से बीजेपी सांसद लॉकेट चटर्जी ने इस मामले को लेकर तंज कसा। चटर्जी ने कहा कि श्तृणमूल कांग्रेस अब गुटबाजी से लड़ रही है। हुगली में टीएमसी नेता यह जानते हुए बाहर जाने की कोशिश कर रहे हैं कि पार्टी यहां अपने वादों को पूरा नहीं कर पाई। सिंगूर ने ममता को सत्ता दिलाई थी और यही जगह उनसे सत्ता छीनेगी भी।

वहीं, नंदीग्राम में टीएमसी के नेता सुवेंदु अधिकारी पिछले कुछ महीनों से पार्टी और कैबिनेट की बैठकों से दूर रह रहे हैं। वह पूर्वी मिदनापुर जिले में रैलियां कर रहे हैं और इनमें वह पार्टी के बैनरों और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के पोस्टरों का उपयोग नहीं कर रहे हैं। सुवेंदु अधिकारी ने अपनी रैलियों में कहा है कि बहुत कम उम्र से कठिन परिश्रम करके वह जमीनी स्तर से यहां तक पहुंचे हैं और उन्हें कभी किसी ने कुछ भी थाली में सजाकर नहीं दिया।

हालांकि उन्होंने कभी किसी का नाम नहीं लिया है। उनके इन कदमों की पार्टी के कुछ नेताओं ने आलोचना भी की है।

एक तरफ ममता बनर्जी अपनी पार्टी के नेताओं से परेशान हैं तो दूसरी तरफ भाजपा ने मिशन पश्चिम बंगाल के तहत गृहमंत्री अमित शाह को कमान सौंप दी है। अमित शाह कहते हैं भले ही भाजपा को देश भर में लोकसभा की 300 से ज्यादा सीटें मिली हैं, लेकिन हमारे जैसे कार्यकर्ताओं के लिए बंगाल की 18 सीटें अहम हैं। उन्होंने याद दिलाया कि 2014 से राज्य में परिवर्तन के लिए 100 से ज्यादा भाजपा कार्यकर्ताओं ने जान गंवाई, उनका त्याग 'सोनार बांग्ला' बनाने में काम आएगा।

अमित शाह कहते हैं 'हम ऐसे दल नहीं हैं, जो 10-10 साल तक सत्ता में बैठे रहें और बाद में दूसरे पर आरोप लगाएं। गृह मंत्री की बंगाल में वर्चुअल रैली हुई। अमित शाह बोले- ममता दीदी ने श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेनों को कोरोना एक्सप्रेस नाम दिया, यह उनके बंगाल से बाहर जाने वाली एक्सप्रेस साबित होगी। उन्होंने यह भी कहा कि ममता सीएए का विरोध कर रही हैं। जिस दिन विधानसभा चुनाव की मतपेटियां खुलेंगी, जनता उन्हें राजनीतिक शरणार्थी बना देगी। भाजपा ने ममता के 9 साल के कार्यकाल पर 9 बिंदुओं का आरोपपत्र जारी किया । पार्टी ने सोशल मीडिया पर 'आर नोई ममता' (ममता का शासन अब और नहीं) अभियान भी चलाया है। अमित शाह कहते हैं कि बंगाल की धरती में कई महापुरुषों ने जन्म लिया। इस भूमि में रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, रवींद्रनाथ टैगोर जैसे अनेकानेक लोगों ने भारतीय संस्कृति को दुनिया भर में फैलाने का काम किया है। मैं बंगभूमि पर जन्मे सभी महान लोगों को प्रणाम करता हूं। जब कभी बंगाल का इतिहास लिखा जाएगा तो आपके परिवार के त्याग और बलिदान को याद किया जाएगा। (हिफी)

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