कृषि अध्यादेश किसान हितों के विरूद्ध, आवश्यक वस्तु(संशोधन) कानून को देंगे चुनौती: कैप्टन

कैप्टन अमरिंदर सिंह ने लोकसभा में पारित आवश्यक बस्तु (संशोधन) अधिनियम को अदालत में चुनौती देने की भी बात कही है।

Update: 2020-09-16 08:15 GMT

चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने लोकसभा में पारित कृषि सम्बन्धित विधेयकों को केंद्र का कथित तौर पर किसान हितों पर सीधा और जानबूझ कर किया गया हमला करार दिया है। इसके अलावा उन्होंने लोकसभा में पारित आवश्यक बस्तु (संशोधन) अधिनियम को अदालत में चुनौती देने की भी बात कही है।

कैप्टन सिंह ने लोकसभा में पारित उक्त विधेयकों को लेकर आज यहां जारी अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि केंद्र सरकार , जिसमें शिरोमणि अकाली दल भी एक घटक है, ने किसानों की चिंताओं को पूरी तरह दरकिनार कर राज्यों से जुड़े मुद्दों पर केंद्रीय कानून थोप दिया है जिससे देश के संघीय ढांचे को धक्का लगा है। ''हम इस कानून को अदालत में चुनौती देंगे।'' उन्होंने कहा कि कांग्रेस किसी कीमत पर किसान हितों पर कुठाराधात नहीं होने देगी। उन्होंने कहा कि यह कानून सीधे तौर पर न्यूनतम समर्थन मूल्य(एमएसपी) व्यवस्था को समाप्त करने वाला कदम है। उन्होंने ऐलान किया कि राज्य के हितों पर किये गए हमले के विरुद्ध कांग्रेस पार्टी आर-पार की लड़ाई लड़ेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कानून किसानों के बीच प्रतिस्पर्धा की भावना को बढ़ाने वाला है। लेकिन क्या जो गरीब किसान अपने जीवन निर्वाह के लिए रोज़मर्रा की चुनौतियों से दो-चार होते हैं क्या वे अपने हितों की रक्षा के लिए बड़े कॉर्पोरेट घरानों के साथ टक्कर ले सकेंगे? उन्हाेंने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से शेष दो अन्य कृषि अध्यादेश के साथ लोकसभा में पेश किया यह विधेयक शांता कुमार कमेटी की सिफारिशों के अनुसार है जिसने एमएसपी व्यवस्था समाप्त करने का सुझाव दिया था।

उन्होंने शिअद अध्यक्ष सुखबीर बादल को इस बात से भी आड़े हाथ लिया कि जब यह विधेयक ध्वनिमत से पारित हुआ तो उस समय वह सदन में मौजूद थे लेकिन वह किसान हितों की रक्षा करने में असफल रहे जिनका मसीहा होने का उनकी पार्टी का दावा करती है। उन्होंने आरोप लगाया कि बादल और अकाली दल कथित तौर पर सीधे तौर पर केंद्र सरकार के षडयंत्र में शामिल हैं जिन्होंने यह विधेयक पारित कर उन किसानों के हक छीनने का रास्ता साफ किया है जो वर्षों से देश का पेट भरते आये हैं और देश की खाद्यान्न सुरक्षा सुनिश्चित की।

वार्ता

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