अब तक 10 राज्यों में चलाए गए टिड्डी नियंत्रण अभियान

आज (23 अगस्त 2020) राजस्थान के जैसलमेर, जोधपुर और बीकानेर जिलों और गुजरात के कच्छ जिले में कीट-पतंगे सक्रिय हैं।

Update: 2020-08-23 13:58 GMT

नई दिल्ली। 11 अप्रैल, 2020 से 22 अगस्त, 2020 तक राजस्थान, मध्य प्रदेश, पंजाब, गुजरात, उत्तर प्रदेश और हरियाणा राज्यों में टिड्डी सर्कल कार्यालयों (एलसीओ) द्वारा 2,78,716 हेक्टेयर क्षेत्र में टिड्डी नियंत्रण अभियान चलाए गए हैं। 22 अगस्त, 2020 तक राजस्थान, मध्य प्रदेश, पंजाब, गुजरात, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, हरियाणा, उत्तराखंड और बिहार राज्यों में राज्य सरकारों द्वारा 2,87,374 हेक्टेयर क्षेत्र में नियंत्रण अभियान चलाए गए हैं। 

कल दिन और रात के समय में राजस्थान के 03 जिलों जैसलमेर, जोधपुर और बीकानेर में 04 स्थानों पर और गुजरात के कच्छ जिले में 02 स्थानों पर एलसीओ द्वारा टिड्डी नियंत्रण अभियान चलाए गए। राजस्थान और गुजरात राज्यों में स्प्रे वाहनों के साथ पर्याप्त श्रमशक्ति और नियंत्रण दल तैनात किए गए हैं। गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, बिहार और हरियाणा राज्यों में फसल को कोई खास नुकसान नहीं हुआ है। हालांकि राजस्थान के कुछ जिलों में फसल को कुछ मामूली नुकसान हुआ है।

आज (23 अगस्त 2020) राजस्थान के जैसलमेर, जोधपुर और बीकानेर जिलों और गुजरात के कच्छ जिले में कीट-पतंगे सक्रिय हैं।

खाद्य एवं कृषि संगठन की 14 अगस्त, 2020 को टिड्डी की स्थिति पर जारी की गई अपडेट जानकारी के अनुसार, अफ्रीका के हॉर्न में टिड्डियों का झुंड बना हुआ है। यमन में अच्छी बारिश हुई है जहां पर कीट-पतंगों और टिड्डियों के ज्यादा झुंड बनने की संभावना है। भारत-पाकिस्तान सीमा पर कीट-पतंगे के समूह का निर्माण जारी है।

दक्षिण-पश्चिम एशियाई देशों (अफगानिस्तान, भारत, ईरान और पाकिस्तान) के रेगिस्तानी टिड्डों पर खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) द्वारा साप्ताहिक वर्चुअल बैठकें आयोजित की जा रही है। दक्षिण-पश्चिम एशियाई देशों के तकनीकी अधिकारियों की अब तक 22 वर्चुअल बैठकें हो चुकी हैं।

1. गुजरात के कच्छ में नखत्राणा तहसील के बीबर में एलडब्ल्यूओ ऑपरेशन

2. राजस्थान के जोधपुर में शेरगढ़ तहसील के नाथपूरा में एलडब्ल्यूओ ऑपरेशन

3. गुजरात के कच्छ में नखत्राणा तहसील के बीबर में मृत पड़े कीट-पतंगे

4. राजस्थान के जोधपुर में एलडब्ल्यूओ द्वारा कीट-पतंगों की बची हुई आबादी का पता लगाने के लिए एक सर्वेक्षण कार्य किया जा रहा है।

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