सरकार से दो दो हाथ करने के लिए तैयार हुए किसान संगठन-करेंगे रैली
किसान संगठन भाकियू की राजधानी जनपद मुजफ्फरनगर से भाजपा के खिलाफ आंदोलन का बिगुल बजाते हुए रैलियो की शुरुआत करेंगे
नई दिल्ली। नए कृषि कानूनों के विरोध में राजधानी दिल्ली के गाजीपुर, सिंघु और टीकरी बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसान संगठनों ने अब पश्चिम बंगाल की तर्ज पर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भी अपनी ताबड़तोड़ रैलियां करने की योजना बनाई है। इन दोनों ही राज्यों में अगले साल वर्ष 2022 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे हालातों के बीच किसान संगठन भाकियू की राजधानी जनपद मुजफ्फरनगर से भाजपा के खिलाफ आंदोलन का बिगुल बजाते हुए रैलियो की शुरुआत करेंगे।
राजधानी दिल्ली के गाजीपुर और सिंघु तथा टीकरी बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों ने पश्चिम बंगाल की तर्ज पर अब आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में ताबड़तोड़ रैलियां किए जाने की योजना बनाई है। भाकियू की राजधानी सिसौली के जनपद मुजफ्फरनगर से शुरू होने वाली रैली को सभी किसान संगठनों के नेता संबोधित करेंगे। यह आंदोलन 5 सितंबर से शुरू किए जाने की बात कही गई है। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि नए कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे किसानों की आवाज केंद्र सरकार को सुनाई नहीं दे रही है। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव अभी भी दूर हैं और हम अपने आंदोलन को गति देते हुए तेज करेंगे। उन्होंने कहा है कि वोट को लेकर फैसला आखिर में लिया जाएगा। फिलहाल हम 5 सितंबर से आरंभ होने वाले आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। गौरतलब है कि किसान संगठन के नेताओं ने इससे पहले पश्चिम बंगाल में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य के अलग-अलग हिस्सों का दौरा करते हुए रैलियां की थी और लोगों से भाजपा को वोट ने देने की अपील की थी। किसान संगठनों के नेताओं का मानना है कि उनकी रैलियों का ही यह असर रहा है कि पश्चिम बंगाल में भाजपा को हार का मुंह देखने को मजबूर होना पड़ा है। उत्तर प्रदेश में हाल ही में हुए जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में भाजपा को सबसे ज्यादा सीटों पर जीत हासिल हुई है। इनमें पश्चिमी उत्तर प्रदेश के वह जनपद भी शामिल हैं जहां किसान आंदोलन का सबसे ज्यादा असर रहा है।