राम जन्मभूमि पर बौद्ध धर्मावलंबियों ने किया दावा

राम जन्मभूमि में मिले पुराने अवशेष अयोध्या के प्राचीन बौद्ध नगरी साकेत होने के साक्ष्य व सबूत हैं।

Update: 2020-07-14 14:25 GMT

लखनऊ। अयोध्या में राम जन्मभूमि पर अब बौद्ध धर्मावलंबियों ने अपना दावा ठोका है। बिहार के पूर्वी चंपारण जिले से पहुंचे दो बौद्ध भिक्षुओं ने जिलाधिकारी कार्यालय के पास अंबेडकर की प्रतिमा के समक्ष आमरण अनशन शुरू कर दिया है। अनशन पर बैठे आजाद बौद्ध धम्म सेना के प्रधान सेनानायक भांतेय बुद्ध शरण केसरिया का कहना है कि राम जन्मभूमि में मिले पुराने अवशेष अयोध्या के प्राचीन बौद्ध नगरी साकेत होने के साक्ष्य व सबूत हैं। उन्होंने यूनेस्को के संरक्षण में राम जन्मभूमि परिसर की खुदाई कराने की मांग की है।

रामजन्मभूमि परिसर में समतलीकरण के दौरान मिल रही प्राचीन मूर्तियों और प्रतीक चिन्हों को लेकर विवाद शुरू हो गया है। केंद्र और प्रदेश सरकार पर बौद्ध संस्कृति के अवशेषों को मिटाने का आरोप लगा है। अखिल भारतीय आजाद बौद्ध धम्म सेना राम जन्मभूमि की खुदाई में मिल रहे अवशेषों को संरक्षित करने की मांग की है। संगठन का मानना है कि राम जन्मभूमि परिसर में मिलने वाले प्रतीक चिन्हों बौद्ध कालीन है। इसी मांग को लेकर दो वृद्ध बौद्धों ने कलेक्ट्रेट परिसर में आमरण अनशन शुरू कर दिया है।

भांतेय बुद्ध शरण केसरिया का कहना है कि रामजन्मभूमि में मिले अवशेष अयोध्या के प्राचीन बौद्ध नगरी साकेत होने के साक्ष्य व सबूत हैं। साकेत नगर को कौशल नरेश राजा प्रसेनजीत ने परम पूज्य बोधिसत्व लोमष ऋषि की स्मृति में स्थापित किया था। धम्म सेना ने यूनेस्को के संरक्षण में रामजन्मभूमि की खुदाई कराने की मांग की है। धम्म सेनानायक ने कहा संगठन राम मंदिर के निर्माण का विरोध नहीं करता है। बौद्ध संस्कृति के अवशेषों को संरक्षित करने की मांग की जा रही है। बौद्धों का मानना है कि राम नगरी ही प्राचीन साकेत नगरी है, जो बुद्ध की नगरी मानी जाती थी। उनका कहना है कि जिन्हें राम मंदिर बनाना है बनाएं, लेकिन खुदाई के दौरान मिले बौद्ध प्रतीकों को नष्ट न करें। उन्हें संरक्षित किया जाए। जिसके लिए दो वृद्ध बौद्ध कलेक्ट्रेट परिसर में धरने पर बैठ गए हैं। अपनी मांगों पर अड़े दोनों बौद्ध धर्मावलंबी अयोध्या में जमीन की मांग कर रहे हैं, जहां वे खुदाई में मिले प्रतीक चिन्हों को संरक्षित कर सकें। 

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