प्रतिशोध की राजनीति बंद करें योगी- संजय सिंह

योगी सरकार को प्रतिशोध की राजनीति से बाज आना चाहिये और निर्दोष महिलाओं और एक मासूम को रिहा करने का आदेश देना चाहिये

Update: 2021-06-08 15:11 GMT

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के कानपुर में पिछले साल चर्चित बिकरू कांड के बाद पुलिस मुठभेड़ में मारे गये आरोपी की पत्नी समेत चार महिलाओं को जेल में डाले जाने का विरोध करते हुये आम आदमी पार्टी (आप) सांसद संजय सिंह ने कहा कि योगी सरकार को प्रतिशोध की राजनीति से बाज आना चाहिये और निर्दोष महिलाओं और एक मासूम को रिहा करने का आदेश देना चाहिये।

सांसद संजय सिंह ने मंगलवार को यहां पत्रकारों से कहा कि योगी सरकार ने जुर्म और ज्यादती की सारी इंतहा पार कर ली है। नफरत, दुर्भावना और प्रतिशोध की राजनीति से उत्तर प्रदेश की सरकार चल रही है। बिकरू कांड में निर्दोष खुशी दुबे समेत चार महिलाओं को विधि विरुद्ध कार्रवाई करके 10 महीने से जेल में रखना इसका प्रमाण है। बिकरू कांड को लेकर उन्होने कहा कि इस जघन्य कांड के बाद कई एनकाउंटर हुए थे। उसमें अमर दुबे का एनकाउंटर भी हुआ था। पुलिस ने मामले में तीन दिन पहले अमर दुबे से ब्याही गई खुशी दुबे को गिरफ्तार किया। जब मामले नेतूल पकड़ा तो तत्कालीन एसएसपी ने बयान दिया कि खुशी निर्दोष है और उसको छोड़ दिया जाएगा । इसके बाद भी खुशी दुबे आज 10 महीने से जेल में यातनाएं झेल रही है। उसे खून की उल्टियां हो रही हैं। दो बार बीमार होकर अस्पताल में भर्ती हो चुकी है।

गरीब माता-पिता उसकी रिहाई के लिए गिड़गिड़ा रहे हैं। वह खुशी की हत्या का अंदेशा भी जता चुके हैं। जिस खुशी दुबे को खुद तत्कालीन एसएसपी ने निर्दोष बताया था उस पर हत्या से लेकर विस्फोटक अधिनियम तक का मुकदमा दर्ज कर दिया गया। उस पर 17 धाराएं लगा डालीं। खुशी की तरह तीन अन्य महिलाएं और एक ढाई साल का बच्चा भी है। अमर दुबे की मां क्षमा दुबे पिछले 10 महीनों से जेल में है, उसका क्या अपराध है पुलिस बताने को तैयार नहीं। प्रदेश सरकार और प्रशासन भी कुछ बोल नहीं रहा। एक अन्य अभियुक्त हीरू दुबे की मां शांति दुबे को भी जेल में रखा गया है। शांति दुबे की गलती क्या, गुनाह क्या, अपराध क्या, यह न तो योगी सरकार बताने को तैयार है और न ही पुलिस। विकास दुबे के घर काम करने वाली नौकरानी रेखा अग्निहोत्री का है। घटना के बाद उसे पुलिस ने उसकी 7 साल की बच्ची और ढाई साल के बच्चे के साथ जेल भेजा था। कोर्ट के हस्तक्षेप पर बच्ची तो मौसी के पास भेज दी गई लेकिन निर्दोष बेटा मां के साथ 10 महीने से जेल में है।

उन्होने मुकदमे की पहली एफआईआर की कॉपी पेश करते हुए कहा कि इन चारों महिलाओं का नाम केस में नहीं था। योगी आदित्यनाथ योगी बताये कि प्रदेश में कानून और संविधान नाम की कोई चीज शेष है या नहीं। उन्हें बताना चाहूंगा कि जब तक आम आदमी पार्टी का अस्तित्व है तब तक हम उत्तर प्रदेश को यातना गृह नहीं बनने देंगे।

सांसद संजय सिंह ने इस सिलसिले में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होने लिखा वह भी एक महिला हैं और वह महिलाओं की पीड़ा समझेंगी। प्रदेश में कानून और संविधान की वह रक्षक हैं। पूरा भरोसा है कि वह चारों महिलाओं को न्याय दिलाएंगी और उन्हें शीघ्र जेल से मुक्त कराएंगी।

वार्ता

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