पिटे राजनीतिक दल भाजपा की छवि खराब करने में जुटे - नकवी
अब्बास नकवी ने कहा कि ऐसे "साजिशी सुपारी" का देश की जनता के संकल्प ने समय-समय पर सूपड़ा साफ़ किया है।
कानपुर। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने आज यहाँ कहा कि "पिटे पॉलिटिकल प्राणियों" और "भारत बैशिंग ब्रिगेड" के "नापाक गिरोह" पिछले 6 वर्षों से भारत की छवि खराब करने की साजिश में लगे हैं।
आज कानपुर में केंद्रीय बजट 2021-22 के सम्बन्ध में गोष्ठी एवं प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि ऐसे "साजिशी सुपारी" का देश की जनता के संकल्प ने समय-समय पर सूपड़ा साफ़ किया है। ऐसे "साजिशी शातिरों" के "सूजे सूपड़े" इस बात का प्रमाण है कि इनके सभी "पाखंडी प्रयासों" को जनता ने परास्त किया है।
मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि कभी तथाकथित असहिष्णुता पर बवाल तो कभी सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल, तो कभी CAA पर भ्रम; तो कोरोना काल में लोगों की सेहत-सलामती के लिए किये गए कामों पर पलीते का प्रयास और अब कृषि कानूनों पर "गुमराही गैंग" द्वारा "साजिशी सुपारी का संदूक" और कुछ किसानों के "कंधे पर बन्दूक" के जरिये देश को बदनाम करने और किसानों के हितों का अपहरण करने की साजिश की जा रही है।
कुछ लोगों का "सामंती गुरुर- सत्ता का सुरूर" अभी भी नहीं उतरा, रस्सी जल गई-बल नहीं गया। तमाम दुष्प्रचारों- पॉलिटिकल पलीते" के बावजूद जनता ने 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एनडीए पर विश्वास जताया। प्रचंड बहुमत से सरकार बनी। 2019 में दोबारा उससे बढ़कर जनादेश दिया। इस दौरान हुए विधानसभा, पंचायत, स्थानीय निकाय चुनावों में मोदी सरकार की नीतियों पर मुहर लगाई।
मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के "सबका साथ, सबका विकास" के संकल्प ने हमेशा ऐसी "क्रिमिनल कांस्पीरेसी के कैरेक्टर्स" को बेनकाब किया। दुनिया मोदी के "सर्वस्पर्शी विकास" की कायल हुई, एक तरफ अल्पसंख्यकों की तथाकथित असुरक्षा के नाम पर "भारत बैशिंग ब्रिगेड" की "बेसुरी बकवास बहादुरी" चल रही थी, दूसरी तरफ समाज के सभी वर्गों को तरक्की का बराबर का हिस्सेदार-भागीदार बनाने के लिए मोदी बिना रुके-बिना झुके काम करते रहे।
मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि जब हमारे सुरक्षा बलों ने घुस-घुस कर आतंकवादी कैम्पों का सफाया किया, तब सीमापार से सुबूत मांगे जाने लगे, और इधर से ग्रैंड ओल्ड पार्टी के नेता सवाल दागने लगें, "कमाल की सुबूत और सवाल की जुगलबंदी" थी।