किसान आंदोलन में हुई मौत सरकार को नहीं दे रही दिखाई-जयंत
किसान आंदोलन के चलते 600 से अधिक किसान मौत के मुंह में समा चुके हैं
मथुरा। एक दिवसीय दौरे पर मथुरा पहुंचे राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने कहा है कि नए कृषि कानूनों को रद्द किए जाने की मांग को लेकर राजधानी दिल्ली के बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों की समस्याएं सरकार को दिखाई नहीं दे रही है। अभी तक किसान आंदोलन के चलते 600 से अधिक किसान मौत के मुंह में समा चुके हैं। लेकिन किसानों की समस्या का समाधान किसी के पास नहीं है। किसान आंदोलन को इतना लंबा समय बीत जाने के बाद भी सरकार की ओर से अभी तक काले कानूनों को वापस नहीं लिया जाना इस बात का प्रमाण है कि सरकार पूरी तरह से हठधर्मी पर उतारू हो रही है।
मंगलवार को मथुरा आये रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी ने मीडिया से रूबरू होते हुए कहा कि केंद्र सरकार किसानों के आंदोलन को लेकर पूरी तरह से हठधर्मिता अपनाए हुए है। किसान 8 महीने से राजधानी दिल्ली के गाजीपुर, टीकरी और सिंघु बार्डर पर धरना देते हुए आंदोलन कर रहे हैं। 600 से ज्यादा किसानों की मौत हो चुकी हैं, लेकिन सरकार कहती है कि आंदोलन में किसी किसान की मौत नहीं हुई है। सरकार हर मुद्दे पर अपना पक्ष रखती है। क्योंकि सरकार उनकी है, लेकिन उन तथ्यों में कोई सच्चाई नहीं होती है। उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था के मुद्दे को लेकर रालोद नेता जयंत चौधरी ने कहा कि प्रदेश में कानून हैं व्यवस्था नहीं। उन्होंने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा और कहा कि यदि पीएम किसानों की समस्याओं के प्रति संवेदनशील होते तो किसानों आंदोलन का सफल परिणाम आ गया होता। उन्होंने प्रधानमंत्री पर तंज कसते हुए कहा कि वह कभी गलत कर ही नहीं सकते। अपनी गलती मान नहीं सकते, पीछे हट नहीं सकते ,जनता के आगे झुक नहीं सकते। रालोद मुखिया जयंत चौधरी ने भाजपा की होने वाली किसान पंचायत पर तंज कसते हुए कहा कि पंचायत तब होती है जब बात खुले में सामने हो। उस पंचायत में न जनता का योगदान होता है और कोई ना कोई निष्कर्ष व निर्णय जनता के लिए होते है। भाजपा की पंचायत सरकारी है जिसमें अपने अपने ही लोग होते हैं।