किसानों के हक में भाकियू की मांग, इतना हो प्रति क्विंटल गन्ना मूल्य

भाकियू अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है

Update: 2020-11-24 11:58 GMT

सहारनपुर। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि इस बार गन्ना मूल्य कम से कम 450 रूपए प्रति क्विंटल घोषित किया जाये।

जिले के रामपुर मनिहारान तहसील के उमाही कलां गांव में किसानों की सभा को संबोधित करने के बाद श्री टिकैत ने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा कि पड़ोसी राज्य हरियाणा में गन्ने का भाव 350 रूपए प्रति क्विंटल है। पिछले तीन पेराई सत्रों के दौरान उत्तर प्रदेश में राज्य सरकार ने गन्ना मूल्य में कोई भी वृद्धि नहीं की है जबकि गन्ने की लागत में इस दौरान काफी वृद्धि हो गई है।

उन्होंने कहा कि किसानों का करोड़ों रूपया चीनी मिलों की ओर बकाया है। प्रदेश के चीनी मिल नियमानुसार 14 दिन के भीतर गन्ना मूल्य का भुगतान नहीं करते हैं और न ही बकाया गन्ना मूल्य पर ब्याज का भुगतान करते हैं।

गौरतलब है कि 25 नवंबर को राज्य सरकार इस सत्र के लिए गन्ना मूल्य निर्धारण करेगी। केंद्र सरकार गन्ना मूल्य में बढ़ी लागत को देखते हुए परामर्श मूल्य में 10 रूपए की वृद्धि की थी। ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार मुख्यमंत्री गन्ना मूल्य अवश्य ही वृद्धि करेंगे क्योंकि 2022 में विधानसभा के चुनाव भी होने हैं। भाजपा किसानों की नाराजगी मोल लेना नहीं चाहेगी। राज्य में फिलहाल गन्ने के जो भाव हैं उसमें अस्वीकृत प्रजाति के गन्ने का भाव 305 रूपए सामान्य प्रजाति के गन्ने का भाव 315 रूपए और अगैती पैदावारी के गन्ने का भाव 325 रूपए प्रति क्विंटल है।

पिछली छह नवंबर को प्रदेश के प्रमुख सचिव, गन्ना विकास चीनी उद्योग एवं गन्ना आयुक्त की अध्यक्षता में गन्ना मूल्य निर्धारण की बैठक में गन्ना मूल्य का निर्धारण तो नहीं हो पाया था लेकिन उस बैठक में किसान प्रतिनिधियों ने 400 रूपए गन्ना मूल्य तय करने की बात रखी थी और चीनी लाबी ने गन्ना मूल्य ना बढ़ाए जाने की बात कही थी। चीनी लाबी का बैठक में कहना था कि पिछले पेराई सत्र में गन्ने से चीनी की रिकवरी की दर 9.56 प्रतिशत रही थी। जबकि इस बार गन्ने की फसल में लाल सड़न रोग लगने के कारण चीनी की रिकवरी एक फीसद तक गिर गई है। जिससे चीनी मिलों की उत्पादन लागत में वृद्धि हो गई है और मिलों के लिए बढ़ा हुआ गन्ना मूल्य देना संभव नहीं होगा।

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