हर जगह विरोध, कैसे देंगे गठबंधन को वोट- हाथ से निकल रही सदर सीट?

यह तो 10 मार्च को क्लियर हो पायेगा कि इस सीट पर कौन परचम लहरायेगा और कौन किसको चित कर पायेगा?

Update: 2022-02-06 10:17 GMT

मुजफ्फरनगर। उत्तर प्रदेश में 18वीं विधानसभा के गठन के लिये विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। पहले चरण में शामिल जनपद मुजफ्फरनगर की सभी सीटों पर तमाम दलों ने अपने-अपने प्रत्याशी घोषित कर दिये हैं और सभी जीत हासिल करने के लिये एडी चोटी का जोर लगा रहे हैं। यदि बात करें शहर की विधानसभा सीट की तो यहां पर जब से गठबंधन प्रत्याशी के नाम की घोषणा हुई है, उसी समय से विपक्षी खेमे के मुखडे खिले हुए हैं क्योंकि इस सीट पर चुनाव लड़ रहे अन्य दलों के मुकाबले केवल गठबंधन प्रत्याशी का ही विरोध हुआ है। इतना ही नहीं गठबंधन प्रत्याशी के बड़े भाई टिकट की घोषणा के बाद भाजपा में शामिल हो गये, जिसके बाद लोगों में और भी रोष उत्पन्न हो गया। जैसे लोगों में नाराजगी उत्पन्न हो रही है उसे देखते हुए लग रहा है कि इस सीट पर इस मर्तबा भी सपा यानि गठबंधन को हार की वजह से मायूसी मिल सकती है हालांकि यह तो 10 मार्च को क्लियर हो पायेगा कि इस सीट पर कौन परचम लहरायेगा और कौन किसको चित कर पायेगा?

सदर विधानसभा सीट पर पूर्व मंत्री चितरंजन स्वरूप का निधन होने के बाद उपचुनाव हुआ, जिसके बाद समाजवादी पार्टी ने उपचुनाव में उनके ज्येष्ठ पुत्र गौरव स्वरूप को टिकट दिया लेकिन सहानुभूति के बावजूद भी वह जीत हासिल नहीं कर पाये थे। इसके बाद एक बार फिर सपा ने वर्ष 2017 विधानसभा चुनाव में पहले ही प्रत्याशी यानि के ज्येष्ठ पुत्र गौरव स्वरूप को ही टिकट दे दिया। इस बार भी उन्हें मायूसी मिली और भाजपा प्रत्याशी कपिलदेव अग्रवाल के सामने हार का सामना करना पडा।


अब 18वीं विधानसभा के गठन के लिये हो रहे विधानसभा चुनाव में गठबंधन से टिकट के लिये कई लोग इंतेजार में थे। इस बार विधानसभा चुनाव में टिकट पाने के लिये पूर्व मंत्री चितरजंन स्वरूप के दोनों पुत्र टिकट की चाह में थे और इनके अलावा राकेश शर्मा, रामनिवास पाल और वैश्य समाज से सचिन अग्रवाल भी टिकट की मांग कर रहे थे लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में पूर्व मंत्री के ज्येष्ठ पुत्र का टिकट काटकर छोटे पुत्र को गठबंधन ने रालोद के सिम्बल पर टिकट दे दिया। बताया जा रहा है कि जब रालोद के सिम्बल पर पूर्व मंत्री के छोटे पुत्र को सदर विधानसभा पर टिकट दिया गया तो लोगों को जब इसकी जानकारी हुई तो वह हैरान रह गये कि यह कौन हैं?

जानकारी करने पर लोगों को पता चला कि यह पूर्व मंत्री के छोटे पुत्र हैं। टिकट मिलने के बाद से ही कई वर्गों के लोगों में रोष उत्पन्न हो गया और शहर के विभिन्न इलाकों में गठबंधन प्रत्याशी के पूतले फूंककर विरोध जताया गया। लोगों का कहना है कि सपा और रालोद ने सदर विधानसभा सीट से एक ही घर में से तीसरी बार प्रत्याशी बना दिया, जिन्हें पब्लिक स्वीकार नहीं कर पा रही है। लोगों का कहना है कि सपा और रालोद को इस बार ऐसे व्यक्ति को प्रत्याशी बनाना महंगा पड सकता है, जिसे पब्लिक जानती ही ना हो, उसे वोट कैसे करे?

अभी गठबंधन प्रत्याशी के नाम के विरोध का मामला शांत भी नहीं हुआ था इसी दौरान भाजपा के खिलाफ वोट करने वाले लोगों को सूचना मिली कि गठबंधन प्रत्याशी के बड़े भाई ने अपने समर्थकों के साथ भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया। आमतौर पर यह तो जगजाहिर है कि मुस्लिम वर्ग भाजपा को वोट देने से कतराते हैं। बड़े भाई गौरव स्वरूप के भाजपा में जाने के बाद भाजपा से नाराज लोगों में और अधिक रोष उत्पन्न हो गया। गठबंधन प्रत्याशी की परेशानियां यहीं खत्म नहीं हुई है। बताया जा रहा है कि गठबंधन प्रत्याशी के द्वारा किये जा रहे प्रोग्राम में लोगों को दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ रहा है।


लोगों का कहना है कि उनके पिता (पूर्व मंत्री) की जुबां पर सभी का नाम रहता था और वह उनका नाम लेकर उन्हें बुला लेते हैं। उनके पिता में खूबी थी कि वह किसी छोटे समर्थक से मिलने में भी पीछे नहीं हटते थे। इस खूबी को देखते हुए लोग उन्हें वोट देकर जिताने का काम करते थे। लोगों का कहना है कि उनके पुत्र यानि गठबंधन प्रत्याशी को टिकट मिलने के बाद ही लोग उन्हें जान पाये हैं ऐसे व्यक्ति को वह वोट कैसे दे दें, जो उनके बीच यानि हर मौसम में उनके सम्पर्क में ना रहा हो? लोगों का कहना है कि जब गठबंधन प्रत्याशी जनसम्पर्क के लिये आते हैं, तो लोग इंतजार में खड़े रहते हैं लेकिन गठबंधन प्रत्याशी तो सामने से ही गुजर जाते हैं। ऐसे शानदार व्यवहार के चलते लोग अपना कीमती वोट गठबंधन प्रत्याशी का वोट देने की बजाय अन्य पार्टी की तरफ जाने पर मजबूर हो रहे हैं।

लोगों का कहना है कि जब उनसे कोई आम आदमी मिलने जाता है तो उसे भी कोई तरजीह नहीं दी जा रही है। लोगों का कहना है कि जो नेता अभी से ही आम आदमी को तरजीह ना देकर अपने विशेष सम्बंधी लोगों को तरजीह दे रहा है तो वह कैसे गरीब लोगों का कल्याण कर पायेगा? कुछ दिन पूर्व सपा मुखिया अखिलेश यादव व चौधरी जयंत सिंह द्वारा संयुक्त प्रेसतार्वा की गई थी। इस दौरान जनपद मुजफ्फरनगर के तमाम गठबंधन प्रत्याशी मौजूद थे। जब मुखिया उनका नाम लेकर उन्हें पब्लिक से जिताने का आह्वान कर रहे थे। इस दौरान उनका अभिवादन सभी प्रत्याशी स्वीकार कर रहे थे लेकिन सदर विधानसभा सीट से रालोद के सिम्बल पर चुनाव लड रहे प्रत्याशी ही ऐसे थे, जो अपने मुखिया का भी अभिवादन स्वीकार नहीं कर पाये थे। लोगों का कहना है कि कई वर्गों में नाराजगी के चलते इस बार फिर सपा को हार का सामना करना पड़ सकता है।

गौरतलब है कि मुजफ्फरनगर की शहर विधानसभा सीट पर सभी दलों ने अपने-अपने प्रत्याशी उतार दिये है, जो रात-दिन एक किये हुए हैं। भाजपा ने तीसरी बार कपिलदेव अग्रवाल, गठबंधन ने सौरभ स्वरूप, बसपा ने पुष्पांकर पाल, आजाद समाज पार्टी ने प्रवेज आलम, कांग्रेस ने सुबोध शर्मा और एआईएमआईएम ने इंतेजार अंसारी को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। इस सीट पर 10 फरवरी को मतदान होने वाला है। अब देखने वाली बात यह होगी कि इस सीट पर कौन किसको चित कर पायेगा?



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