आय दोगुनी करने वाले पीएम के पास किसानों के लिये समय नही-जयंत
कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन चला रहे किसानों के बीच पहुंचे राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने किसान संसद में कहा है
नई दिल्ली। जंतर मंतर पर नये कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन चला रहे किसानों के बीच पहुंचे राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने किसान संसद में कहा है कि किसानों की आय दोगुनी करने की बात कहने वाले प्रधानमंत्री के पास अपनी समस्याओं को लेकर राजधानी में पिछले तकरीबन 8 महीने से धरना देकर बैठे किसानों से बात करने का समय नहीं है। जयंत चौधरी ने आंदोलन कर रहे किसानों के बीच सरकारी प्रतिनिधि के ना पहुंचने पर भी गहरी नाराजगी जताई है।
मंगलवार को राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी के नेतृत्व में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल दिल्ली के जंतर-मंतर पहुँचा और किसान संसद में आंदोलनकारी किसानों से मुलाकात की। राष्ट्रीय लोकदल अध्यक्ष जयंत चौधरी ने कहा है कि "कोई सरकारी प्रतिनिधि किसानों के बीच अभी तक क्यों नहीं पहुंचा है? हमारे प्रधानमंत्री सामान्यतौर पर सीधा प्रधानों से, खिलाड़ियों से और अपने दल के नेताओं से मिलते रहते हैं तो फिर वह किसानों से क्यों नहीं मिलना चाहते? उन्होंने कहा कि नये कृषि कानूनों के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए किसानों का आंदोलन संसद तक पहुँचा है, लेकिन अभी भी अंदर बैठे प्रतिनिधियों की अंतर्रात्मा जाग नहीं रही है। राष्ट्रीय लोकदल के प्रतिनिधिमंडल में राष्ट्रीय लोकदल अध्यक्ष जयंत चौधरी के साथ पूर्व सांसद शाहिद सिद्दीकी, पूर्व सांसद मुंशी रामपाल और खादी ग्रामोद्योग आयोग के पूर्व चेयरमैन डॉ.यशवीर सिंह भी शामिल रहे। डॉ.यशवीर सिंह के मुताबिक इस किसान आंदोलन को अंजाम तक पहुंचाने तक राष्ट्रीय लोकदल के सभी कार्यकर्ता किसानों के साथ नये कृषि कानूनों के विरोध की लड़ाई लड़ते रहेंगे। पूर्व सांसद मुंशी रामपाल ने पत्रकार वार्ता में बताया कि "किसान ही नहीं, मज़दूर संगठन भी नये कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन में शामिल हैं। किसान कमेरा वर्ग है और वह इस समय अपनी खोई राजनीतिक पहचान हासिल करने को उतारू है।"
किसान संसद में जंतर-मंतर पर किसानों की जयंत चौधरी के साथ हुई मुलाकात बहुत अहम मानी जा रही है। राष्ट्रीय लोकदल हमेशा किसान-मजदूरों के मुद्दों पर सक्रिय रहा है। इस कदम के बाद राजनीतिक गलियारों में माना जा रहा है कि आगामी उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में किसान आंदोलन और सरकार की बेरुख़ी बड़ा प्रभाव डालेगी।