किसकी तरफ है पीके का इशारा
चुनाव नतीजे जब घोषित हुए तो पीके की भविष्यवाणी सच साबित हुई। इसलिए पीके की बात को नजरंदाज भी नहीं किया जा सकता है।
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने राजनीति के पंडितों को भी चकित कर रखा है। वह 3500 किमी. की जन सुराज यात्रा पर है। यात्रा की शुरुआत पश्चिम चम्पारण के भितिहरवा मंे गांधी आश्रम से की गयी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 1917 में अपना पहला सत्याग्रह आंदोलन यहीं से शुरू किया था। पीके की इस यात्रा का प्रमुख उद्देश्य जमीनी स्तर पर सही लोगों की पहचान करना है। इसका एक मतलब चाणक्य की तरह किसी चंद्रगुप्त की तलाश भी हो सकता है। इसी क्रम में उनका हाल ही में एक बयान आया है। वह कहते हैं कि कोई जरूरी नहीं कि राजा का बेटा ही राजा बने। इसका संदर्भ राहुल गांधी से लेकर तेजस्वी यादव तक जोड़ा जा रहा है। प्रशांत किशोर राजनीति से जुड़े होने पर भी कुछ अलग हटकर हैं। पश्चिम बंगाल मंे विधानसभा चुनाव के दौरान ममता बनर्जी ने पीके की कंपनी आई पैक के साथ 400 करोड़ का कान्ट्रैक्ट किया था। उस समय भाजपा ने कुछ ऐसी रणनीति बनायी कि टीएमसी के विकेट लगातार गिरने लगे। पीके की कम्पनी से टीएमसी नेताओं की नाराजगी भी दिखने लगी थी और ममता बनर्जी भी डैमेज कंट्रोल न होने से पीके पर नाराज थीं। उसी समय प्रशांत किशोर ने बयान दिया था कि भाजपा चुनाव मंे दहाई का अंक पार नहीं कर पाएगी। चुनाव नतीजे जब घोषित हुए तो पीके की भविष्यवाणी सच साबित हुई। इसलिए पीके की बात को नजरंदाज भी नहीं किया जा सकता है।
जन सुराज यात्रा पर निकले प्रशांत किशोर कहते हैं अब राजा का लड़का राजा नहीं बनेगा, देश में अब वही राजा बनेगा जिसे जनता वोट करेगी'। चंपारण के पिपरा पंचायत के स्थानीय लोगों से बात करते हुए पीके ने कहा कि जब देश आजाद हुआ तो गांधी जी, बाबासाहेब आंबेडकर ने जनता को अधिकार दिया कि राजा देश का वह बनेगा जिसको आप चुनियेगा, राजा का लड़का राजा नहीं बनेगा। देश में अब लोकतंत्र है, जिसको जनता वोट करेगी वही राजा बनेगा। प्रशांत किशोर जन सुराज पद यात्रा में पश्चिम चंपारण के दौरे पर लगातार तमाम राजनीतिक पार्टियों पर हमला बोल रहे हैं। इसी क्रम में अब प्रशांत किशोर ने परिवारवाद पर कड़ा प्रहार करना शुरू किया है। प्रशांत किशोर ने युवाओं को टार्गेट कर रोजगार को भी मुद्दा बनाकर हमला बोला है। उन्होंने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार के बच्चों के भविष्य के लिए वोट डालिए न कि लालू, नीतीश या मोदी के नाम पर। वोट मांगने राजनीतिक दल आएंगे, लेकिन आपको सजग रहना है। आप अगर खुद नहीं सजग रहेंगे तो आपकी जिंदगी और आपके बच्चों की जिंदगी कोई भी बड़ा से बड़ा नेता नहीं बदल सकता है। आपको अपने वोट की कीमत समझ में आनी चाहिए। लोगों से संवाद करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि हम गांधी जी का फोटो लेकर चले हैं, याद रखिए गांधी के साथ समाज खड़ा हो गया तो देश आजाद हो गया। आप लोग फिर से गांधी के साथ एक बार खड़े होइए और आपकी गरीबी दूर होगी। पीके ने स्थानीय लोगों से अपील करते हुए कहा कि जन सुराज पद यात्रा में हम आपको सिखाने और समझाने नहीं आए हैं बल्कि आपको सिर्फ सजग करने आए हैं।
जनता दल यूनाइटेड जब से चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर उर्फ पीके पर हमलावर हुआ है तब से ही लगातार ये आरोप लग रहा था कि पीके भाजपा के एजेंट के तौर पर काम कर रहे हैं। इसके प्रत्युत्तर में प्रशांत किशोर के निशाने पर भी अब तक जदयू और राजद ही रहा है। लेकिन, पहली बार अपनी जन सुराज यात्रा के दौरान प्रशांत किशोर ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा है। उन्होंने बिहार की सरकार पर तंज कसते हुए केंद्र सरकार द्वारा बिहार के साथ किए जा रहे भेदभाव की बात भी उठाई है। प्रशांत किशोर ने पश्चिमी चंपारण के बिरांची बाजार, मैनाटांड़ में एक सभा में कहा, 26 सांसदों वाले गुजरात राज्य में बुलेट ट्रेन चलाए जा रहे हैं और एनडीए को 39 सीटें देने वाले बिहार को पैसेंजर ट्रेन के लिए भी गिड़गिड़ाना पड़ता है। पीके ने पलायन और बेरोजगारी की समस्या को उठाते हुए कहा, बिहार में ऐसे कई परिवार हैं जिनके लड़के केरल, गुजरात, आंध्रा, कश्मीर समेत कई राज्यों में काम कर रहे हैं। 10-15 हजार रुपयों के लिए कम उम्र के लड़कों को अपना गांव छोड़कर दूर के राज्यों में जाकर काम करना पड़ रहा है। उनको पर्व त्योहार में भी घर आने का अवसर नहीं है। प्रशांत किशोर लगातार अपनी यात्रा में न सिर्फ विरोधियों पर निशाना साध रहे हैं बल्कि उन मुद्दों को उठाने की कोशिश कर रहे हैं जो सीधे जनता से जुड़े हुए हैं। खासकर स्थानीय मुद्दों को उठाकर वे जनता को ये भी बताने की कोशिश कर रहे हैं कि जिन मुद्दों को आज तक किसी भी पार्टी ने नही छुआ है, वे उन समस्याओं को दूर करना चाहते हैं।
प्रशांत किशोर ने मुद्दे भले ही गंभीर उठाए हों, लेकिन निशाना से ज्यादा चुटकी जैसा हमला था। इसमें जहां जदयू निशाने पर था तो अपरोक्ष रूप से भाजपा नीत केंद्र सरकार द्वारा बिहार के साथ किए जा रहे दोहरे मापदंड पर भी तंज कसा गया। इसके साथ ही पीके ने यह संदेश देने की कोशिश की कि उनके निशाने पर न केवल जदयू और राजद है बल्कि भाजपा भी है। बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद सीएम नीतीश कुमार और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की जब मुलाकात हुई तो बिहार में सियासी सरगर्मी तेज हो गई थी। कयासों का दौर शुरू हो गया था कि पीके और नीतीश फिर साथ आ रहे हैं लेकिन, अंदरखाने क्या बातें हुईं यह किसी को नहीं पता थीं। मगर अब पीके ने स्वयं ही इसका खुलासा करते हुए कहा है कि नीतीश कुमार उन्हें अपना उत्तराधिकारी बनाना चाहते थे, लेकिन उन्होंने ऑफर ठुकरा दिया। प्रशांत किशोर ने जन सुराज यात्रा के दौरान लोगों को संबोधित करते हुए बताया कि नीतीश कुमार ने उन्हें मुलाकात के दौरान यह ऑफर दिया था कि वे उनका उत्तराधिकारी बन जाएं, लेकिन मैंने इनकार कर दिया क्योंकि मुझे किसी का उत्तराधिकारी नहीं बनना है। बिहार के लोगों से जो वादा किया है, उसे पूरा करना है। पश्चिमी चंपारण के जमुनिया स्थित जन सुराज पदयात्रा कैंप में स्थानीय लोगों से संवाद कार्यक्रम में उन्होंने तल्ख लहजे में कहा, 10-15 दिन पहले मीडिया में खबर आई थी। नीतीश जी अपने घर बुलाए थे और बोले, अरे भाई आप तो हमारे उत्तराधिकारी हैं। यह सब क्यों कर रहे हैं? आइए हमारे साथ, हमारे पार्टी के नेता बन जाइए। पीके ने बताया कि उन्होंने उनकी बातें सुनीं, और सीएम नीतीश से कहा कि बहुत लोगों ने हमको गाली लिखकर भेजा है कि क्यों इनसे मिलने गए? पीके ने बताया कि नीतीश जी से मिलने इसलिए गए थे कि मिलकर उनको ये बता सकें कि कितना भी बड़ा प्रलोभन दीजिएगा, जनता से एक बार जो वादा कर दिए हैं उससे पीछे नहीं हटेंगे। यही नहीं अब कभी भी पीछे नहीं हटने वाले हैं। उत्तराधिकारी बनाएं या कुर्सी खाली कीजिए उससे कोई मतलब नहीं।
प्रशांत किशोर की यह तल्खी यूं ही नहीं है। याद कीजिए पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने थे। सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता लगातार पार्टी का साथ छोड़कर दूसरी पार्टियों का दामन थाम रहे थे। ऐसे में पार्टी अध्यक्ष और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पार्टी के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर उर्फ पीके से काफी नाराज हो गयी। इसी बीच प्रशांत किशोर ने भाजपा को लेकर एक बड़ा दावा किया था। उनका कहना था कि भाजपा भले ही कितनी ताकत दिखा ले, बावजूद इसके वो राज्य में दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू पाएगी। यही नहीं इसके साथ ही उन्होंने ये भी कह दिया कि अगर भाजपा ऐसा करने में कामयाब हो गई तो वे ट्विटर छोड़ देंगे। पीके का दावा सच साबित हुआ था। (हिफी)