यूपी में पैर जमाते केजरीवाल
आप के नेता अरविन्द केजरीवाल ने वर्ष 2020 के समापन पर उत्तर प्रदेश में अपनी राजनीति की फसल फिर से उगाने का प्रयास किया है
नई दिल्ली। आने वाले वर्ष 2021 के लिए आम आदमी पार्टी (आप) के नेता अरविन्द केजरीवाल ने वर्ष 2020 के समापन पर उत्तर प्रदेश में अपनी राजनीति की फसल फिर से उगाने का प्रयास किया है। इससे पूर्व उन्होंने 2014 में भी ऐसी ही कोशिश की थी लेकिन उन्होंने तब गुजरात से आए सफल किसान नरेन्द्र मोदी के खेत पर कब्जा करने का दुस्साहस कर दिया। नतीजा यह हुआ कि केजरीवाल तो बनारस में चारों खाने चित हुए ही उनको एक भी सांसद उत्तर प्रदेश से नहीं मिला और न अब तक कोई विधायक ही मिल पाया है। इस बार केजरीवाल ने संजय सिंह को फसल उगाने की जिम्मेदारी सौंपी है जो सुनियोजित तरीके से पार्टी का आधार बना रहे हैं। अरविन्द केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी ने 2013 के दिल्ली विधान सभा चुनाव में एंट्री ली और आठ महीने की अवधि में ही इतना प्रभाव बना लिया कि इस पार्टी को दिल्ली विधान सभा के 70 विधायकों में से 28 विधायक मिले। यह दूसरी सबसे बड़ी पार्टी थी और कांग्रेस के साथ सरकार बनी। कांग्रेस का सशर्त समर्थन और बेमेल गठबंधन के चलते केजरीवाल ने फरवरी 2014 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया। पार्टी सिर्फ 49 दिन सत्ता में रही थी। इसके बाद ही केजरीवाल सीधे भाजपा के नरेन्द्र मोदी से टकरा गये। अब यूपी में अपनी पार्टी को स्थापित करने के लिए उन्होंने महत्वपूर्ण बदलाव यह किया कि स्थानीय नेता संजय सिंह को सामने लाये और मोदी की आलोचना से परहेज कर रहे हैं।
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने योगी सरकार को स्कूलों को लेकर चैलेंज क्या किया, आम आदमी पार्टी के दिल्ली के विधायक अब स्कूल स्कूल घूम कर उत्तर प्रदेश में अपनी राजनीतिक जमीन तलाश करने लगे. दिल्ली में मॉडल टाउन के विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी संत कबीर नगर में स्कूल में घूमते देखे गए. तो वहीं दिल्ली के एक और विधायक शरद चैहान प्रतापगढ़ के रानीगंज इलाके में एक दूसरे स्कूल में दिखाई दिए. वे गांव-गांव पहुंचकर वहां के स्कूलों का जायजा ले रहे थे। दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के हमले के बाद अब आम आदमी पार्टी के विधायक भी उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में पहुंचने लगे हैं और योगी सरकार के स्कूलों में खामियां तलाश रहे हैं।
गौरतलब है कि पिछले दिनों योगी कैबिनेट के मंत्री डॉक्टर सिद्धार्थ नाथ सिंह और दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के बीच स्कूलों को लेकर काफी रस्साकशी हुई थी। डॉक्टर सिद्धार्थ सिंह ने दिल्ली के स्कूलों की बदहाली का फोटो जारी किया था, तो पलटवार करते हुए मनीष सिसोदिया ने भी डॉक्टर सिद्धार्थ नाथ सिंह के दावे को झूठा साबित करने के लिए तमाम सबूत पेश किए। यही नहीं यूपी के स्कूलों की बदहाली को देखने के लिए मनीष सिसोदिया पिछले दिनों लखनऊ भी पहुंचे थे. लेकिन सरकार ने उन्हें स्कूलों में जाने की इजाजत नहीं दी थी।
मनीष सिसोदिया तो लखनऊ से वापस दिल्ली चले गए लेकिन आम आदमी पार्टी के विधायक अब उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में पहुंच रहे हैं और योगी के स्कूलों में खामियां तलाश करने की कवायद में जुट गये। इसी कड़ी में आम आदमी पार्टी के दिल्ली के मॉडल टाउन से विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी उत्तर प्रदेश के संतकबीर नगर पहुंचे। आम आदमी पार्टी के एमएलए ने ना सिर्फ जिले के एक स्कूल का निरीक्षण किया, बल्कि यूपी की योगी सरकार पर भी जमकर भड़ास निकाली। विधायक, बनिया-बारी स्थित प्राथमिक विद्यालय पहुंचे। कोविड की वजह से विद्यालय तो बंद था. लेकिन गेट बंद होने पर खुली खिड़कियों के रास्ते कमरों की हकीकत देखी. बच्चों के बैठने के लिए कमरों में बेंच ना होने पर सवाल उठाते हुए विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी ने कहा कि बीजेपी की सरकार में छोटे-छोटे बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं। यह बड़ी ही दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है।
गोरखपुर और बस्ती मंडल के प्रभारी आम आदमी पार्टी के एमएलए यहीं नहीं रुके। उन्होंने योगी सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि यूपी सरकार गाय- गोबर व हिन्दू मुसलमान की राजनीति कर रही है। यूपी में बिजली का उत्पादन होता है, इसके बावजूद यहां नौ रुपये यूनिट बिजली है जबकि दिल्ली में बाहर से बिजली आती है और सरकार दो रुपये यूनिट बिजली की आपूर्ति कर रही है।
बहरहाल, उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव 2022 में होना है लेकिन आम आदमी पार्टी ने अभी से उत्तर प्रदेश में अपनी पैठ बढ़ानी शुरू कर दी है। आप के विधायक और मंत्री योगी सरकार की खामियां ढूढ रहे हैं। अब आम आदमी पार्टी की कवायद कितना रंग लाएगी यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
अरविंद केजरीवाल भारतीय राजनीति में एक लोकप्रिय राजनेता और लोकप्रिय सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उनका जन्म हरियाणा के एक सुदूरवर्ती गाँव में हुआ था। बचपन से एक उज्ज्वल छात्र के रूप में, अरविंद ने पहले प्रयास में ही परीक्षा उत्तीर्ण की और पश्चिम बंगाल में आईआईटी खड़गपुर में दाखिला लिया और उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग को चुना। अपनी डिग्री पूरी करने के बाद, उन्होंने टाटा स्टील में नौकरी हासिल की, लेकिन जल्दी ही दिल की मानते हुए उन्होंने सिविल सर्विस की तैयारी के लिए नौकरी छोड़ दी। उन्हें दो महीने तक मदर टेरेसा के साथ उनके कालीघाट आश्रम में काम करने का अवसर मिला। उन्होंने 1993 में सिविल सेवा परीक्षा पास की और भारतीय राजस्व सेवा में शामिल हो गए। सामाजिक कारणों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने के लिए उन्होंने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया और पब्लिक कॉज रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की। केजरीवाल की लोकप्रियता 2010 में बढ़ गई जब उन्होंने जन लोकपाल बिल को पारित कराने के लिए प्रचार करते हुए प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के साथ खुद को जोड़ा। अन्ना हजारे के साथ उनके मतभेद हुए कि भारत के खिलाफ भ्रष्टाचार आंदोलन का राजनीतिकरण करना है या नहीं। केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी (आप) नाम से अपनी खुद की राजनीतिक पार्टी की स्थापना की और 2013 में दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ा और उनकी पार्टी ने 70 में से 28 सीटें जीतीं। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से सशर्त समर्थन के साथ, उन्होंने सरकार बनाई और दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली लेकिन सिर्फ 49 दिनों में उन्होंने जन लोकपाल की तालिका में विफलता का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया। दिल्ली में वर्तमान में प्रचलित शासन के साथ, उन्होंने भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र से 16 वीं लोकसभा चुनाव लड़ा और हार गए। उनकी पार्टी ने 2015 में दिल्ली विधानसभा का चुनाव लड़ा और 70 सीटों में से 67 सीटों पर जीत हासिल की। केजरीवाल ने नरेन्द्र मोदी के जादू के बावजूद 2020 में दिल्ली में प्रचण्ड बहुमत से सरकार बनायी है।