नल निशान से बंटी को मुश्किल तो क्या कपिल की राह होगी आसान
सदर विधानसभा सीट पर पहली बार किसी भी गठबंधन के तहत समाजवादी पार्टी के सिंबल साइकिल के निशान के बिना चुनाव होने जा रहा है
मुज़फ्फरनगर। शहर विधानसभा सीट पर एक बार फिर से स्वरूप फैमिली और मंत्री कपिलदेव अग्रवाल के बीच कड़े मुकाबले में सौरभ स्वरूप का चुनाव चिन्ह रालोद का सिंबल जहां उनकी राह मुश्किल कर सकता है तो वहीं कपिलदेव की विधानसभा में जाने की हैट्रिक भी लगवा सकता है। क्यों पढ़िए खोजी न्यूज़ की यह खबर।
मुजफ्फरनगर सदर विधानसभा सीट पर पहली बार किसी भी गठबंधन के तहत समाजवादी पार्टी के सिंबल साइकिल के निशान के बिना चुनाव होने जा रहा है। दरअसल इस बार समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय लोकदल से गठबंधन है। जिसमें समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सौरभ स्वरूप उर्फ बंटी को रालोद के सिंबल नल के निशान पर चुनावी मैदान में उतारा गया है। बंटी स्वरूप के सामने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी कपिल देव अग्रवाल तीसरी बार विधायक बनने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं।
पहले की तरह जहां कपिल देव अग्रवाल भारतीय जनता पार्टी के चुनाव निशान कमल के फूल पर चुनाव लड़ रहे हैं तो वहीं सौरभ स्वरूप नल के निशान पर चुनाव लड़ रहे हैं। 1993 से 2017 के इलेक्शन तक सदर सीट पर मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह साईकिल के पर वोट मिलते रहे हैं । शहर सीट पर मुस्लिम वोटरों में साइकल निशान पर ही वोट अधिकतर वोट डालते आए हैं। ऐसा पहली बार हो रहा है कि सदर सीट पर नल के निशान पर सपा रालोद गठबंधन चुनाव लड़ रहा है। सियासी सूत्रों का कहना है कि सदर सीट पर मुस्लिम मतदाता प्रत्येक विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के निशान साइकल को ही वोट करता रहा है। इस बार जब ईवीएम मशीन में साइकिल निशान नहीं होगा तो महिलाओं से लेकर आम वोटर पोलिंग बूथ पर असमंजस की स्थिति में रहेगा, क्योंकि सदर सीट पर मुस्लिम वोटरों में ने नल के निशान पर वोट नहीं डाला है। मतदाताओं के कन्फ्यूजन का फायदा भाजपा के प्रत्याशी कपिल देव अग्रवाल को हो सकता है।