महाराष्ट्र और कर्नाटक में इस विषय को लेकर विवाद शुरू
प्रसिद्ध शिवधाम वाराणसी में काशी-तमिल संगमम के सांस्कृतिक आयोजन में उत्तर-दक्षिण भारत का प्रगाढ़ रिश्ता जोड़ा था।
लखनऊ। अभी ज्यादा दिन नहीं हुए जब 19 नवम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी और अपने लोकसभा क्षेत्र के प्रसिद्ध शिवधाम वाराणसी में काशी-तमिल संगमम के सांस्कृतिक आयोजन में उत्तर-दक्षिण भारत का प्रगाढ़ रिश्ता जोड़ा था। मोदी ने कहा यहां पर तुलसीदास जी हैं तो वहां पर हमारे सुब्रमण्य भारती हैं। इस प्रकार भाषा का संबंध जोड़ते हुए तमिल को महर्षि अगस्त की रचना बताया था। तमिल दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा है। तमिल और संस्कृत ने समृद्ध साहित्य दिया है। इस आयोजन के कुछ ही दिन बाद महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच पानी और बोली को लेकर राज्य की सीमाएं तय करने का विवाद शुरू हो गया है। दोनों राज्यों में भाजपा की ही सरकारें हैं। महाराष्ट्र में शिवसेना से बगावत कर भाजपा के साथ एकनाथ शिंदे ने सरकार बनायी है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि कर्नाटक की मांग है कि महाराष्ट्र के सोलापुर जैसे क्षेत्रों में, जहां कन्नड़ बोलने वालों की संख्या अधिक है, उसे कर्नाटक का हिस्सा बनाया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि महाराष्ट्र से सांगली जिले में कुछ ग्राम पंचायतों ने कर्नाटक में विलय की बात यह कहकर की थी कि उनको पानी के संकट का सामना करना पड़ रहा है। उधर, महाराष्ट्र सरकार ने कर्नाटक के बेलगावी शहर और 865 गांवों पर यह कहकर दावा किया कि वहां मराठी बहुसंख्यक हैं।
कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच दशकों पुराना सीमा विवाद फिर से सुर्खियों में हैं। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज एस बोम्मई ने संवेदनशील राजनीतिक मुद्दे पर एक-दूसरे के खिलाफ कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया है। महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम फडणवीस ने कहा था कि महाराष्ट्र के किसी भी गांव ने हाल ही में कर्नाटक के साथ विलय की मांग नहीं की है, किसी भी सीमावर्ती गांव के कहीं और जाने का कोई सवाल ही नहीं है। इसी के जवाब में कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई ने महाराष्ट्र भाजपा नेता की टिप्पणी को भड़काऊ करार दिया और कहा कि उनका सपना कभी सच नहीं होगा। उन्होंने कहा कि कर्नाटक की मांग है कि महाराष्ट्र के सोलापुर जैसे क्षेत्रों, जहां कन्नड़ बोलने वालों की संख्या अधिक है, उसे कर्नाटक का हिस्सा बनाया जाना चाहिए। इससे पहले, राज्य के सीएम बोम्मई ने दावा किया था कि महाराष्ट्र के सांगली जिले में कुछ ग्राम पंचायतों ने अतीत में एक प्रस्ताव पारित किया था, जब वे पानी के संकट का सामना कर रहे थे, कर्नाटक में विलय की मांग कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कर्नाटक सरकार ने उनकी मदद के लिए विलय की मांग पर गंभीरता से विचार कर रही थी। कर्नाटक के मुख्यमंत्री की टिप्पणी पर सवालों के जवाब में, फडणवीस ने कहा कि इन गांवों ने 2012 में जल संकट पर एक प्रस्ताव पारित किया था, लेकिन हाल ही में यहां कोई विकास नहीं हुआ है। भाजपा नेता ने कहा कि उनके नेतृत्व वाली पिछली महाराष्ट्र सरकार ने इस मुद्दे को सुलझाने के लिए कर्नाटक के साथ समझौता किया था। उन्होंने कहा कि इन गांवों के लिए जलापूर्ति योजना भी बनाई गई है। फडणवीस ने कहा, अब हम उस योजना को मंजूरी देने जा रहे हैं। शायद कोविड के कारण पिछली (उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली) सरकार इसे मंजूरी नहीं दे सकी। कर्नाटक राज्य की सीमा के करीब कन्नड़ भाषी क्षेत्रों का दावा करता है, महाराष्ट्र बेलगाम जिले - जिसे बेलगावी भी कहा जाता है - और कर्नाटक में अन्य मराठी बहुसंख्यक क्षेत्रों पर विवाद के समाधान के लिए जोर दे रहा है। मामला 2004 में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जब तत्कालीन महाराष्ट्र सरकार ने बेलगावी शहर और 865 गांवों पर दावा किया और ये मामला लंबित है। हाल ही में, महाराष्ट्र की सभी पार्टियों के नेताओं वाली 19 सदस्यीय समिति ने बैठक की और सुनवाई में तेजी लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध करने का फैसला किया। एकनाथ शिंदे की अगुआई वाली सरकार ने इस मुद्दे की निगरानी के लिए दो वरिष्ठ मंत्रियों के साथ एक समिति भी बनाई। कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने कहा है कि राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में आने वाले सीमा विवाद से निपटने के लिए एक मजबूत कानूनी टीम का गठन किया है।
कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच सीमा विवाद को लेकर तनाव के बीच बुधवार रात बेंगलुरु में छत्रपति शिवाजी की एक मूर्ति पर स्याही फेंक दी गई थी। जिसके बाद तनाव के चलते बेलागवी में बड़ी सभाओं पर बैन लगा दिया गया। बढ़ते तनाव को देखते हुए कर्नाटक सरकार ने बेलगावी में धारा 144 लगा दी है। बता दें कि इस आधार पर बेलगावी का महाराष्ट्र में विलय करने की मांग की जाती रही है कि इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में मराठी भाषी लोग रहते हैं। महाराष्ट्र समर्थक कार्यकर्ताओं ने बीती रात बेलगावी के संभाजी सर्किल में विरोध प्रदर्शन किया और शिवाजी की प्रतिमा पर स्याही फेंगने वालों की गिरफ्तारी की मांग की। बेलगावी में स्वतंत्रता सेनानी संगोली रायन्ना की प्रतिमा को भी क्षतिग्रस्त कर दिया गया, जिससे क्षेत्र में तनाव बढ़ गया। कर्नाटक के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने कहा, मैंने पुलिस को निर्देश दिया है कि बेलगावी में सांगोली रायन्ना की प्रतिमा को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। बेंगलुरु में शिवाजी की प्रतिमा पर स्याही फेंकने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। मैं लोगों से अपील करता हूं कि सियासत के चलते शिवाजी महाराज और संगोली रायन्ना जैसे दिग्गजों का अपमान न करें।
तनाव उस समय बढ़ गया, जब 13 दिसंबर को महाराष्ट्र एकीकरण समिति ने विधानसभा के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। इस समिति की मांग की थी कि बेलगावी को महाराष्ट्र के साथ एकीकृत किया जाए। कर्नाटक विधानसभा ने कोल्हापुर में कन्नड़ झंडे को जलाने के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित करने और इसमें शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए इसे महाराष्ट्र सरकार को भेजने का फैसला किया था। दूसरी ओर, महाराष्ट्र में तत्कालीन सत्तारूढ़ शिवसेना के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने शिवाजी की प्रतिमा को कलंकित करने की निंदा की थी। कर्नाटक के साथ महाराष्ट्र के सीमा विवाद को आक्रामक रूप से देखने की जरूरत है और सभी दलों को राज्य में मराठी भाषी क्षेत्र को वापस लाने के लिए एकजुट होना चाहिए। अब एकनाथ शिकदं की भाजपा के साथ सरकार है और महाराष्ट्र बेलगाम, करवार और निप्पनी सहित कर्नाटक के कई हिस्सों पर दावा करता है, उसका तर्क है कि इन में बहुमत आबादी मराठी भाषी है। (हिफी)