भारत जोड़ो से कांग्रेस को उम्मीदें
कांग्रेस ने एक शिविर किया था। शिविर में तय किया था कि पार्टी भारत जोड़ो कार्यक्रम के तहत देश भर में लोगों से संवाद करेगी
लखनऊ।कांग्रेस ने कुछ दिनों पूर्व राजस्थान के उदयपुर में चिंतन शिविर किया था। इस शिविर में तय किया गया था कि पार्टी भारत जोड़ो कार्यक्रम के तहत देश भर में लोगों से संवाद करेगीकांग्रेस ने कुछ दिनों पूर्व राजस्थान के उदयपुर में चिंतन शिविर किया था। इस शिविर में तय किया गया था कि पार्टी भारत जोड़ो कार्यक्रम के तहत देश भर में लोगों से संवाद करेगीकांग्रेस ने कुछ दिनों पूर्व राजस्थान के उदयपुर में चिंतन शिविर किया था। इस शिविर में तय किया गया था कि पार्टी भारत जोड़ो कार्यक्रम के तहत देश भर में लोगों से संवाद करेगीकांग्रेस ने कुछ दिनों पूर्व राजस्थान के उदयपुर में चिंतन शिविर किया था। इस शिविर में तय किया गया था कि पार्टी भारत जोड़ो कार्यक्रम के तहत देश भर में लोगों से संवाद करेगी। यह दायित्व मुख्य रूप से राहुल गांधी को सौंपा गया था। विपक्षी दलों में मोदी सरकार का विकल्प बनने के प्रयास भले ही किये जा रहे हैं लेकिन मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर लालकिले की प्राचीर से हालांकि राजनीति से बचते हुए भाषण किया लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस को ही निशाने पर रखा है। परिवारवाद का इशारा भी कांग्रेस की ही तरफ था। इसी तरह महिलाओं के सम्मान को लेकर जब संकुचित सोच का जिक्र किया तो हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लेकर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी की 'भूल' का ही इशारा किया गया था। इसलिए कांग्रेस को देश की जनता के साथ संवाद करने की जरूरत है। सोनिया गांधी ने मोदी सरकार की स्वाधीनता सेनानियों की उपेक्षा का आरोप लगाया है। शिवसेना जैसे दल उनका साथ दे रहे हैं। इसलिए राहुल गांधी को पलायन की रणनीति छोड़कर संघर्ष के लिए मैदान में उतरना चाहिए। झारखंड के रामगढ़ में कांग्रेस की एक विधायक ने जनता से जुड़ने का उदाहरण पेश किया है लेकिन कश्मीर व राजस्थान में बिखराव चिंताजनक है।
कांग्रेस ने अपनी आगामी "भारत जोड़ो यात्रा" के महत्व को रेखांकित करते हुए 16 अगस्त को कहा कि देश को ऐसे कार्यक्रमों की "बेहद जरूरत" है क्योंकि आजकल विघटनकारी शक्तियां प्रबल हैं और केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा इन शक्तियों को "संरक्षण" मिला हुआ है। पार्टी की ओर से कहा गया कि भारत एक अहम दौर से गुजर रहा है जब विघटनकारी और सांप्रदायिक ताकतें इसे धार्मिक आधार पर तोड़ने का अभियान चला रही हैं। कांग्रेस कहती कि उसने अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ाई लड़ी थी और वह इस समय मूक दर्शक बनकर नहीं रह सकती। अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के महासचिव और केरल के प्रभारी तारिक अनवर ने कहा कि उदयपुर चिंतन शिविर में निर्णय लिया गया था कि पार्टी को लोगों से जुड़ने और भाजपा तथा आरएसएस की विभाजनकारी विचारधारा का विरोध करने के लिए एक बड़ा कार्यक्रम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत एक विशिष्ट देश है जहां कई जातियों, धर्मों और समुदाय के लोग साथ मिलकर रहते हैं इसलिए विभाजनकारी राजनीति और साजिश से देश कमजोर होगा।
अनवर ने कहा, "इसलिए हमें लगता है कि भारत जोड़ो समय की मांग है। उन्होंने बताया कि इसलिए कांग्रेस ने कन्याकुमारी से कश्मीर तक पदयात्रा निकालने का निश्चय किया है। राज्य में यात्रा के सम्बन्ध में केरल प्रदेश कांग्रेस समिति के तहत समन्वय समिति का उद्घाटन करने के बाद उन्होंने कहा, "राहुल गांधी यात्रा का नेतृत्व करेंगे। उन्होंने देशभर में लोगों से मिलने और उन्हें यह बताने का निर्णय लिया है कि यह (सांप्रदायिकता) रास्ता देश के लिए ठीक नहीं है।" हालांकि कांग्रेस खुद ही जुड़ने की जगह टूट रही है। राजस्थान में एक विधायक ने इसलिए इस्तीफा दे दिया कि पार्टी की सरकार दलित उत्पीड़न नहीं रोक पा रही है। इस तरह जम्मू-कश्मीर में गुलाम नबी आजाद ने प्रचार कमेटी के प्रमुख पद के साथ राजनीतिक मामलों की समिति से भी इस्तीफा दे दिया।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने स्वतंत्रता दिवस पर सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने अपने संदेश में कहा कि हमने बीते 75 सालों में अनेक उपलब्धियां हासिल की, लेकिन आज की आत्ममुग्ध सरकार हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के महान बलिदानों और देश की गौरवशाली उपलब्धियों को तुच्छ करने पर तुली हुई है, जिसे कदापि स्वीकार नहीं किया जा सकता है। राजनीतिक लाभ के लिए ऐतिहासिक तथ्यों पर कोई भी गलत बयानी तथा गांधी, नेहरू, पटेल, आजाद जी जैसे महान राष्ट्रीय नेताओं को असत्यता के आधार पर कठघरे में खड़े करने के हर प्रयास का भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पुरजोर विरोध करेगी। यह ठीक है लेकिन कांग्रेस के रणनीतिकार राहुल गांधी को अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने के लिए मनाने में अब तक असफल रहे हैं, जिसकी वजह से कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में देरी हो सकती है। राहुल गांधी ने फिलहाल चुनाव लड़ने के कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिए हैं। राहुल गांधी की तरफ से कोई साफ जवाब न मिलने की वजह से कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक नहीं बुलाई जा रही है, जिसमें चुनाव की तारीख का ऐलान होना है। कांग्रेस की सेंट्रल इलेक्शन अथॉरिटी के मुताबिक उसने चुनाव की तैयारी पूरी कर ली है। मधुसूदन मिस्त्री के नेतृत्व वाली केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण ने कहा है कि वे समय पर चुनाव के लिए तैयार हैं। अब गेंद कांग्रेस कार्यसमिति के पाले में है और उसे ही चुनाव की तारीखों का ऐलान करना है। पार्टी द्वारा पूर्व घोषित कार्यक्रम के मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया 21 अगस्त से शुरू होने वाली थी और 20 सितंबर से पहले उसे नया अध्यक्ष चुन लेना था। राज्यों के पार्टी अध्यक्ष भी 20 अगस्त तक चुन लिए जाने थे, लेकिन अब तक किसी राज्य में ये प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है।
उत्तर प्रदेश, बिहार जैसे राज्य में तो अरसे से अध्यक्ष ही नहीं हैं। यूपी में तो है ही नहीं और बिहार में इस्तीफा देने के बाद भी मदन मोहन ही काम देख रहे हैं। राहुल गांधी के रुख के साफ न होने की वजह से नेतृत्व असमंजस में है और संगठन चुनाव समय से पूरे होने पर संशय है। राहुल गांधी को 7 सितंबर से 'भारत जोड़ो यात्रा' की शुरुआत कन्याकुमारी से करनी है और ये यात्रा लंबी चलने वाली है, इसीलिए अगर तब तक चुनाव नहीं हुआ, तो इसमें और देरी की संभावना है।
कांग्रेस में अभी प्रेरणा देने की क्षमता है। झारखंड की कांग्रेस विधायक ने मिसाल पेश की है। प्रसव के लिए प्राइवेट अस्पताल ना जाकर सरकारी अस्पताल में भर्ती हुईं और बेटे को जन्म दिया। कांग्रेस विधायक ममता देवी ने रामगढ़ सदर अस्पताल में पुत्र को जन्म दिया। डॉ सविता वर्मा के देखरेख में विधायक की नॉर्मल डिलिवरी हुई। जिसके बाद उनके समर्थकों ने अस्पताल में लड्डू बांटकर खुशी का इजहार किया। विधायक का प्रसव सदर अस्पताल में होने के बाद सरकारी अस्पताल की चिकित्सकीय व्यवस्था पर लोगों का विश्वास बढ़ा है। सदर अस्पताल के डॉक्टर भी इससे खुश हैं। उधर, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी ट्वीट कर विधायक ममता देवी को बधाई दी है। रामगढ़ के सिविल सर्जन डॉ प्रभात कुमार ने कहा कि विधायक का सदर अस्पताल में प्रसव हमलोगों के लिए बड़ी उपलब्धि है। विधायक का सरकारी अस्पताल पर भरोसा इस बात के संकेत हैं कि राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं में लगातार सुधार हो रहा है। इससे आमजनता को लगता है कि कांग्रेस हमारे साथ है। यह काम कठिन है लेकिन राहुल गांधी को इसे करना पड़ेगा। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)