बोली उमा भारती- घोषणा के बाद मैं थी आशंकित- आशंका सच्चायी में गई बदल

राज्य में शराबबंदी को लेकर मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष को तीन दिन पहले अल्टीमेटम देने वालीं उमा भारती ने ट्वीट में लिखा है

Update: 2021-09-21 14:40 GMT

भोपाल। ब्यूरोक्रेसी को लेकर विवादित बयान देकर एक बार फिर सुर्खियां बटोरने वालीं भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता उमा भारती ने ट्वीट कर सफाई देने के साथ ही परोक्ष रूप से 'कुछ लोगों' पर निशाना साधा है।

राज्य में शराबबंदी को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा को तीन दिन पहले अल्टीमेटम देने वालीं वरिष्ठ नेता उमा भारती भारती ने ट्वीट में लिखा है, 'ब्यूरोक्रेसी पर मेरे दिए गए बयान पर मीडिया ने कोई तोड़मरोड़ नहीं किया, किंतु मीडिया तक बयान को प्रभावी रूप से पहुंचाने का समय 20 तारीख हो चुना गया। मैं मध्यप्रदेश में शराबबंदी के अपने परम लक्ष्य से लोगों का ध्यान हटने नहीं दूंगी। इसलिए मैंने असंयत भाषा के प्रयोग को ज्यों का त्यो स्वीकार करते हुए अपना रंज व्यक्त किया।'

वरिष्ठ नेता उमा भारती ने लिखा है, '18 सितंबर 2021 को मेरे निवास पर हुयी प्रेस कांफ्रेंस में 15 जनवरी 2022 के बाद शराबबंदी के अभियान में मेरी स्वयं की भागीदारी के संबंध में घोषणा के बाद मैं आशंकित थी कि इस मुद्दे की शक्ति कम करने के लिए कुछ घट सकता है और मेरी आशंका सच्चायी में बदल गयी।'

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा है, 'मैंने अपनी टिप्पणी में मेरी नहीं बल्कि हमारी यानी बहुवचन का प्रयोग किया है। मैं तो किसी को अपने पांव भी नहीं छूने देती तो किसी से मेरी चप्पल उठाने की बात कैसे कह सकती हूं। किंतु ब्यूरोक्रेसी पर दिए गए बयान से एक सार्थक विचार विमर्श निकल सकता है जो कि नए प्रशासनिक सेवा में भर्ती हुए युवाओं के काम आ सकता है। इसलिए अब मैं इस बहस को भी आगे चलाउंगी क्योंकि यह देश के लोकतंत्र एवं विकास के लिए आवश्यक है।

वरिष्ठ नेता उमा भारती ने ट्वीट की झड़ी लगाते हुए अपनी अनुभव बताए और कहा कि जब 1990 में मध्यप्रदेश में पटवा सरकार थी और वे खजुराहो से सांसद बनीं तो उनके मना करने के बावजूद कलेक्टर और एसपी उनके घर मिलने आ जाते थे, जबकि वे रेस्टहाउस में मिलने का सुझाव देती थीं। फिर 06 दिसंबर (1992) के अयोध्या घटना के बाद भाजपा सरकार चली गयी और मध्यप्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा। चुनाव हुआ तथा कांग्रेस की सरकार आ गयी। फिर तो अधिकारियों को बोलना, मिलना, चलना और सबका तरीका ही बदल गया।

वरिष्ठ नेता उमा भारती ने दावा करते हुए कहा कि वर्ष 2000 में वे जब केंद्र में अटल सरकार के समय मंत्री थीं, तब बिहार की तत्कालीन मुख्यमंत्री राबडी देवी और उनके पति लालू यादव के साथ पटना से बोधगया हेलीकॉप्टर से जाना हुआ था। हेलीकॉप्टर में हमारी सामने की सीट पर बिहार के एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी भी बैठे थे। लालू यादव ने मेरे सामने ही पीकदान में थूका और उस वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के हाथ में थमाकर उसको खिड़की के बगल में नीचे रखने को कहा और उस अधिकारी ने ऐसा कर भी दिया। सुश्री भारती ने कहा कि उस घटना के बाद वर्ष 2005 06 में उन्होंने बिहार में पिछड़ेपन के साथ ही पीकदान को भी मुद्दा बनाया था। उस समय उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों से अपील की थी कि वे इनका पीकदान उठाते हैं तो कल हमारा भी उठाना पड़ेगा।

वरिष्ठ नेता उमा भारती के अनुसार उन्होंने उस समय अधिकारियों से कहा था कि वे अपनी गरिमा का ध्यान रखें और पीकदान की जगह फाइल और कलमदान से चलें। उन्होंने अनेक घटनाओं को साझा करते हुए लिखा है कि मध्यप्रदेश में जब बाबूलाल गौर मुख्यमंत्री थे तब भी अधिकारियों की उनके (सुश्री भारती) घर पर भीड़ रहती थी, लेकिन जब पार्टी ने उन्हें निकाल दिया, तब किसी रेस्ट हाउस में कमरा मिलना भी मुश्किल हो गया था। प्रशासनिक अधिकारी तो उनकी छाया से भी भागने लगे थे।

उन्होंने कुछ और घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसी बातें लोकतंत्र के लिए घातक हैं। क्योंकि प्रशासनिक सेवा के लोगों को नियमों से बंधना है तथा जनता के वोट से चुनाव जीतके सत्ता में आने वाले लोगों की नीतियों का क्रियान्वयन करना है। लेकिन सत्तारूढ़ दल की 'राजनीति साधने का कार्यकर्ता' नहीं बनना है।

वरिष्ठ नेता उमा भारती भारती ने लिखा है, 'ब्यूरोक्रेसी पर बोली असंयत भाषा पर मैंने आत्मग्लानि अनुभव की और उसे व्यक्त भी किया किंतु मेरे भाव बिल्कुल सही थे।' उन्होंने ब्यूरोक्रेसी को अनेक नसीहत भी दी हैं।

दरअसल वरिष्ठ नेता उमा भारती का कल एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वे 'ब्यूरोक्रेसी को नेताओं की चप्पल उठाने वाली' कहती हुयीं सुनी जा रही हैं। इसके अलावा उन्होंने आरक्षण के मुद्दे पर भी कुछ बातें कहीं हैं। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद सुश्री भारती ने देर शाम ट्वीट के जरिए सफाई देते हुए रंज व्यक्त किया था। यह वीडियो भोपाल में ही कुछ लोगों ने उस समय बनाया था जब तीन चार दिन पहले कुछ लोग उनसे मिलने आए थे और आरक्षण को लेकर चर्चा कर रहे थे।



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