सात बार चुनाव हारे भाजपा नेता को मिला कमल खिलाने का जिम्मा
विधानसभा सीट पर पहली बार ‘कमल’ खिलाने की जिम्मदारी ऐसे नेता को दी गयी है जो अब तक सात बार चुनाव हार चुका है
देवरिया। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिये अबूझ पहेली बनी देवरिया जिले के भाटपाररानी विधानसभा सीट पर पहली बार 'कमल' खिलाने की जिम्मदारी ऐसे नेता को दी गयी है जो अब तक सात बार चुनाव हार चुका है।
बिहार राज्य से लगी भाटपाररानी विधानसभा पर 1952 से अब तक हुए चुनावों में लोगों ने लहरों की परवाह न करते हुये गैर भाजपा दलों को पसंद किया है। रामलहर, मोदी लहर और कुछ और मगर यहां से भाजपा को अबतक विजय नहीं मिल सकी है। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सलेमपुर सांसद रविंद्र कुशवाहा के भाई जयनाथ कुशवाहा को यहां से टिकट दिया था। उनको सपा के आशुतोष उपाध्याय से हार का सामना करना पड़ा था। भाजपा ने इस बार यहां से कई राजनीतिक दलों से चुनाव लड़कर सात बार हार का सामना कर चुके सभा कुंवर को अपना प्रत्याशी बनाकर कमल खिलाने की जिम्मेदारी सौंपी है।
सभा कुंवर अब तक एक बार लोकसभा और छह बार विधानसभा का चुनाव लड़कर हार चुके हैं। सभाकुंवर साल 1996 में भाटपाररानी विधानसभा क्षेत्र से पहला चुनाव निर्दल लड़े थे। इसके बाद 2002 में समता पार्टी से 2007 और 2012 में बसपा से और 2013 में निर्दल विधानसभा का चुनाव लड़े। 2014 कांग्रेस के टिकट पर देवरिया लोकसभा का चुनाव भी लड़े। साल 2017 में बसपा से फिर विधानसभा का चुनाव लड़े लेकिन उनको अभीतक पराजय का ही मुंह देखना पड़ा है। एक बार वे बसपा से पाला बदकर भाजपा में शामिल होकर यहां से भाजपा के उम्मीदवार हैं।
सपा ने मौजूदा विधायक आशुतोष उपाध्याय को प्रत्याशी बनाया है। 2002 के चुनाव से लेकर अब तक यह सीट उपाध्याय परिवार के ही पास है तथा आशुतोष उपाध्याय लगातार दूसरी बार इस क्षेत्र से विधायक हैं। इनके पिता स्वर्गीय कामेश्वर उपाध्याय भी इस क्षेत्र से कई बार विधायक और मंत्री रह चुके हैं। इस क्षेत्र में उपाध्याय परिवार का अपना भी जनाधार है। यही कारण है कि इस सीट पर बीस सालों से उपाध्याय परिवार का कब्जा चला आ रहा है। तीन मार्च को होने जा रहे मतदान में यहां भाजपा और सपा आमने-सामने हैं।अब देखना है कि भाजपा के सभा कुंवर कमल खिला कर इतिहास बनाते हैं या सपा के आशुतोष उपाध्याय फिर हैट्रिक लगाते हैं।यह आनेवाला समय बतायेगा।
वार्ता