भजनलाल राजनीति के नये जादूगर उभरकर आये सामने
निर्दलीय विधायक रविन्द्र सिंह भाटी एवं भारत आदिवासी पार्टी (बाप) पार्टी उनके समर्थन में आ गये।
जयपुर। राजस्थान में आगामी तेरह नवंबर को होने वाले सात विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव के लिए चुनावी सरगर्मियां तेज होने लगी हैं वहीं मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा बदलते राजनीतिक परिवेश के बीच राजनीति के नये जादूगर के रुप में उभरकर सामने आये हैं।
शर्मा पिछले विधानसभा चुनाव में पहली बार विधायक चुने जाने के बाद पहली बार में ही मुख्यमंत्री बनने के बाद कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक निर्णय लेकर जनता से खूब वाहीवाही बटोरी और इसके बाद आगामी 13 नवंबर को होने उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कई उम्मीदवारों के खिलाफ उठे बगावती सुर थामने में कामयाब रहे। साथ ही बगावत पर उतारु पार्टी के नेताओं से मुलाकात एवं उन्हें समझाकर पार्टी प्रत्याशियों के समर्थन में उतारकर बदलते राजनीतिक परिवेश में अपने को अनुभवी एवं राजनीति के खिलाड़ी की तरह साबित करने में भी कामयाब रहे।
इस उपचुनाव में झुंझुनूं, रामगढ़, देवली-उनियारा एवं सलंबूर से टिकट नहीं मिलने पर भाजपा के प्रत्याशियों के खिलाफ बगावत के सुर उठे थे वहीं उपचुनाव में देवली-उनियारा से कांग्रेस प्रत्याशी के खिलाफ भी बगावत के सुर उठे। इनमें मुख्यमंत्री की सूझबूझ एवं सियासी जादूगरी के चलते भाजपा के बगावत करने वाले पार्टी के चारों नेताओं को न केवल समझा लिया गया बल्कि वे पूरी तरह पार्टी प्रत्याशी के समर्थन में भी जुट गए हैं लेकिन राजनीति के जादूगर कहे जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पार्टी के नेता और उनियारा-देवली से टिकट की मांग करने वाले नरेश मीणा के बगावती सुर इतने बलवती होकर सामने आये है कि उन्होंने अधिकृत पार्टी प्रत्याशी कस्तूर चंद मीणा के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए नामांकन दाखिल कर दिया और अपना नामांकन पत्र वापस नहीं लिया और वह पार्टी प्रत्याशी के विरुद्ध चुनाव लड़ रहे हैं।
इसके बाद नरेश मीणा के समर्थन में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (रालोपा) के संयोजक हनुमान बेनीवाल, निर्दलीय विधायक रविन्द्र सिंह भाटी एवं भारत आदिवासी पार्टी (बाप) पार्टी उनके समर्थन में आ गये।
राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा होने लगी हैं कि कई वर्षों के राजनीति में अनुभवी एवं तीन बार मुख्यमंत्री होने का गौरव रखने वाले सियासत के जादूगर गहलोत की कांग्रेस पार्टी एक बागी के बगावती सुर नहीं रोक पाई और महज 10-11 महीने पुराने एवं पहली बार के विधायक एवं मुख्यमंत्री अपनी पार्टी के चार-चार बगावत करने वाले नेताओं को न केवल समझाने में कामयाब रहे बल्कि ये नेता पार्टी उम्मीदवारों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर चल पड़े।
पिछले लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा में बनाये गये नये प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ की भी इसके लिए पीठ थपथपाई जा रही है। इसके अलावा नागौर जिले की खींवसर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के खिलाफ कोई बगावती तेवर तो नजर नहीं आये लेकिन वर्ष 2008 से यह सीट अस्तित्व में आई हैं तब से राजनीतिक दबदबा रखने वाले हनुमान बेनीवाल के सामने दो बार बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उम्मीदवार के रुप में चुनौती देकर दूसरे स्थान पर रहने वाले दुर्ग सिंह चौहान को इस बार भाजपा के साथ जोड़कर भी एक नई कामयाबी हासिल की गई है। इससे पिछले विधानसभा चुनाव में महज करीब दो हजार मतों से पिछड़े पार्टी उम्मीदवार रेवंतराम डांगा को इस बार मजबूती मिलने की संभावना बलवती हुई हैं। यहां भी मुख्यमंत्री की लोग चर्चाओं में तारीफ भी कर रहे हैं।
जब भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाया गया तब भी पार्टी में बगावती सुर नहीं उठ पाये और न ही इसके बाद हुए चुनाव में किसी नेता के बगावती सुर सामने आये। इससे भजनलाल शर्मा नये सियासी जादूगर के रुप में उभरकर सामने आये हैं।
इसके साथ भाजपा के नये प्रदेश अध्यक्ष राठौड़ की भी खूब वाहीवाही होने लगी है कि उनके प्रदेश अध्यक्ष के कार्यकाल में पार्टी नेता और कार्यकर्ता एकजुट नजर आने लगे है। राठौड़ डूंगरपुर पूर्व विधायक देवेन्द्र कटारा को भी भाजपा में वापस लाकर एक और राजनीतिक सूझबूझ दिखाई हैं वहीं उपचुनाव में रामगढ़ से निर्दलीय नामांकन पत्र भरने वाले निर्मल सुरा भी भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में अपना नामांकन पत्र वापस ले लिया।
उल्लेखनीय है कि उपचुनाव में झुंझुनूं से भाजपा ने पूर्व प्रत्याशी राजेन्द्र भांबू को चुनाव मैदान उतारने पर उनके खिलाफ पार्टी के पूर्व प्रत्याशी बबलू नाराज हो गए और पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव लड़ने की बात करने लगे। इस पर मुख्यमंत्री ने अपने मंत्री सुमित गोदारा सहित दो मंत्रियों को भेजकर उन्हें मना लिया गया और बगावत के सुर थाम दिए।
इसी तरह उपचुनाव के लिए सलूंबर से पूर्व विधायक अमृतलाल मीणा की पत्नी शांता देवी को भाजपा का टिकट मिलते ही पार्टी के नेता नरेन्द्र मीणा ने बगावती तेवर दिखाये और पुनर्विचार करने की मांग की गई लेकिन भजनलाल ने उन्हें जयपुर बुलाकर मुलाकात की और उन्हें समझा दिया गया। देवली-उनियारा से पार्टी उम्मीदवार पूर्व मंत्री राजेन्द्र गुर्जर के खिलाफ भी पूर्व प्रत्याशी विजय बैंसला के समर्थकों ने बगावती तेवर दिखाना शुरु किया था लेकिन बैंसला को भी मना लिया गया। इसी प्रकार रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव में उतरे भाजपा के प्रत्याशी सुखवंत सिंह के खिलाफ भी पूर्व प्रत्याशी जय आहूजा ने विरोध किया लेकिन उन्हें भी मना लिया गया।
राठौड़ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं सहित विभिन्न उपलब्धियों तथा मुख्यमंत्री शर्मा विकसित राजस्थान के लिए लगातार काम कर रहे है और केवल दस महीने के कार्यकाल में ही उन्होंने प्रदेश के शोषित, वंचित, आदिवासी, महिलाओं, युवाओं एवं किसानों के लिए जनहितैषी काम किए हैं।
उन्होंने कहा कि भाजपा की राज्य सरकार ने हर वर्ग के लिए काम किया है और इसलिए वह यह उपचुनाव विकास कार्यो के आधार पर लड़ रही हैं। उन्होंने दावा किया कि पार्टी एकजुटता एवं मजबूती के साथ चुनाव लड़ रही है और उपचुनाव में भाजपा सभी सातों सीटें हासिल करने में कामयाब रहेंगी। अब दिवाली के बाद उपचुनाव के लिए राजनीतिक पार्टियों के नेताओं के दौरे भी शुरू हो गये और चुनावी सरगर्मियां जोर पकड़ने लगी है।