संयुक्त किसान मोर्चा की अपील-किसान विरोधी भाजपा को दे वोट से चोट की सजा

उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ विरोध का बिगुल फूंक दिया गया है

Update: 2022-02-03 13:52 GMT

नई दिल्ली। संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ विरोध का बिगुल फूंक दिया गया है। तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन को लेकर बने 40 किसान संगठनों के मंच ने उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड की जनता के नाम खत लिखकर अपील की है कि वह किसान विरोधी भाजपा के खिलाफ अपना वोट डालकर उसकी करनी की उसे सजा दें।

बृहस्पतिवार को उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की जनता के नाम खत लिखकर अपील करते हुए तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन को लेकर बने 40 किसान संगठनों के संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि किसान विरोधी बीजेपी के खिलाफ वोट डालकर मतदाता इस दल को उसकी कर्मो की सजा वोट की चोट से दें। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने इस खत को अपने ट्विटर हैंडल पर साझा किया है जिसमें उन्होंने भी अपने हस्ताक्षर किए हैं। किसान आंदोलन का एक सिपाही नाम से लिखे गए सार्वजनिक खत में कृषि कानूनों एवं लखीमपुर खीरी कांड के संबंध में जानकारी देते हुए कहा है कि हम किसानों का अपमान करने वाली भारतीय जनता पार्टी को सबक सिखाने के लिए आज मुझे आपकी मदद चाहिए। भारतीय जनता पार्टी की सरकार सच और झूठ की भाषा को नहीं समझती है। अच्छे बुरे का भेद भी इसकी समझ में नहीं आता है। संवैधानिक एवं असंवैधानिक का अंतर भी भाजपा को पता नहीं है। बस यह पार्टी एक ही भाषा समझती है वोट, सत्ता और सीट। खत में आगे कहा गया है कि कुछ ही दिनों में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। उत्तर प्रदेश में भी भारतीय जनता पार्टी वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान किसानों से किए गए अपने वादे से मुकर गई है। भाजपा ने वादा किया था कि सभी किसानों का पूरा लोन माफ किया जाएगा। लेकिन हुआ सिर्फ 44 लाख का और वह भी बस 100000 रूपये तक का। बीजेपी ने वायदा किया था कि गन्ने का भुगतान 14 दिन के भीतर दिलाया जाएगा और बकाया पैसे का ब्याज किसानों को सरकार दिलवाएगी। वायदा था सस्ती और पर्याप्त बिजली देने का लेकिन देश की सबसे महंगी बिजली उत्तर प्रदेश में दी गई। बीजेपी का वादा था फसल की दाना दाना खरीद का, लेकिन धान की पैदावार का तिहाई और गेहूं की पैदावार का छठा हिस्सा भी सरकार ने नहीं खरीदा।

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