गैर-भाजपा दलों का तालमेल समय की मांग- माकपा
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कुशासन को समाप्त करने के लिए समान विचारधारा वाले दलों के साथ चुनावी तालमेल समय की मांग है।
अगरतला। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने कहा है त्रिपुरा में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कुशासन को समाप्त करने के लिए समान विचारधारा वाले दलों के साथ चुनावी तालमेल समय की मांग है।
प्रदेश सचिव जितेंद्र चौधरी ने मंगलवार को यह बात कही। चौधरी ने कहा," भाजपा के कुशासन को समाप्त करने के लिए समान विचारधारा वाले दलों के साथ चुनावी तालमेल समय की मांग है, लेकिन तौर-तरीकों को अभी तक औपचारिक रूप नहीं दिया गया है बदलते हालात को देखते हुए जल्द ही इस दिशा में चर्चा शुरू की जाएगी। सभी गैर-भाजपा दल भाजपा के शासन का विरोध करती रही हैं और शासन में बदलाव देखना चाहती हैं।"
उन्होंने कहा, "इस मामले पर पार्टी में चर्चा हो चुकी है और अगर ऐसी स्थिति आती है कि सभी विपक्षी दलों को एकजुट होना पड़ेगा, तो हम पार्टी स्तर पर आगे चर्चा करेंगे। मैं भाजपा के खिलाफ अन्य दलों के साथ वाम दलों के चुनावी गठबंधन की संभावनाओं से इनकार नहीं कर रहा हूं।" उन्होंने हालाँकि, तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ अपनी आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा, "यह 11 वर्षों के उत्पीड़न में पश्चिम बंगाल में एक और अलोकतांत्रिक पार्टी के रूप में भी साबित हुई है। तृणमूल के साथ लोकतंत्र की बहाली के आंदोलन को त्रिपुरा की जनता स्वीकार नहीं करेगी। कई मौकों पर यह साबित हो चुका है कि तृणमूल हमेशा अपने नेताओं के हित के लिए भाजपा की मदद करती है।" चौधरी ने कहा कि राज्य में विपक्षी दलों की मुख्य चिंता कानून और व्यवस्था की स्थिति है जहां मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर सकते हैं। यह दौर 2019 के आम चुनावों से भाजपा के शासन में शुरू हुआ। इसके बाद त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव, शहरी स्थानीय निकाय चुनाव, और पिछले साल विधानसभा उपचुनाव इसके उदाहरण हैं। कहा," पिछले हफ्ते वामपंथी दलों और कांग्रेस के संयुक्त बयान में लोगों से भाजपा के इस तरह के अलोकतांत्रिक प्रयास के खिलाफ एकजुट होने और विधानसभा के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की अपील की थी। सभी शांतिप्रिय लोकतांत्रिक लोगों ने इसे स्वीकार किया। इस बारे में टीआईपीआरए मोथा के प्रमुख प्रद्योत किशोर देबबर्मन से राय मांगी गयी थी और उन्होंने भी हमारे विचारों का समर्थन किया, लेकिन हस्ताक्षर नहीं कर सके क्योंकि वह कुछ हफ्तों से राज्य से बाहर हैं।"