भाजपाइयों के खून की खिल रही होली - अब बागपत में बीजेपी ने खो दिया खोखर

संजय खोखर के रूप में भाजपा ने राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बागपत जैसे जनपद में अपना एक कर्मठ कार्यकर्ता खो दिया है।

Update: 2020-08-12 04:29 GMT

बागपत । योगी राज में भाजपा अयोध्या में 'रामराज्य' की स्थापना की दहलीज तक पहुंच चुकी है। अपराध का गढ़ रहे यूपी में बदमाशों को बदहवास करने में भी सीएम योगी आदित्यनाथ ने कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी, साढ़े साल में यूपी पुलिस के आंकड़े इस बात के गवाह रहे हैं कि अपराध के सहारे समाज में भय पैदा करने वाले अपराधियों ने गले में तख्तियां लटकाकर अपराध से तौबा की। विकास दूबे जैसे दुर्दांत अपराधी और उसके गैंग को आखिरी अंजाम तक पहुंचाने वाली यूपी पुलिस का यह जौहर भाजपा की सरकार में भाजपा के नेताओं और उनके परिजनों के हत्याकांड को रोकने में कहीं कमजोर नजर आता है। साढ़े तीन साल के योगी आदित्यनाथ सरकार के कार्यकाल में बलराज भाटी और रोहित सांडू जैसे बदमाशों का अंत करने और मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद, संजीव जीवा, सुशील मूंछ जैसे माफियाओं की किलेबंदी करने वाली इस सरकार में शुरू हुआ भाजपा नेताओं की हत्याओं का दौर बागपत के संजय खोखर की मौत तक जा पहुंचा है।

2017 में उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार आई तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बदमाशों के खिलाफ एनकाउंटर अभियान चलाकर उनमें खौफ तो पैदा कर दिया मगर साढ़े 3 साल के भाजपा सरकार के कार्यकाल में भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्याओं का सिलसिला जारी रहा। सरकार बनने के लगभग 3 हफ्ते बाद ही मुजफ्फरनगर जनपद के खतौली कस्बे में भाजपा नेता राजा बाल्मीकि की उनके विरोधियों ने गोली मारकर हत्या कर भाजपा सरकार में सीएम योगी आदित्यनाथ के सुशासन को बड़ी चुनौती पेश करने के साथ ही भाजपा के भयमुक्त समाज के वादे को भी एक प्रश्नचिन्ह के दायरे में लाने का काम कर दिखाया था। इसके बाद 26 मई 2019 को अमेठी में पूर्व प्रधान एवं स्मृति ईरानी के करीबी और भाजपा में सक्रिय कार्यकर्ता रहे सुरेंद्र सिंह की भी बदमाशों द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। अपनी सरकार में जनता के बीच भयमुक्त वातारण पैदा करने के लिए बदमाशों के खिलाफ लगातार फ्रंटफुट पर हमलावर योगी सरकार में  9 सितंबर 2019 को फिर से एक ऐसा काला दिन आया, जिसमें भाजपा को अपनी ही सरकार में फिर से एक अपने को खो देना पड़ा। इस दिन हापुड़ के मसूरी कस्बे के रहने वाले भाजपा के मंडल महामंत्री राकेश शर्मा को भी गोलियों से भून दिया गया। इस हत्या के आरोप में पुलिस ने हत्यारों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था, लेकिन योगी राज में बड़े-बड़े बदमाशों से तौबा-तौबा करवाने वाली पुलिस भाजपा नेताओं के हत्याकांड का दौर थामने में सफल होती नजर नहीं आई। हापुड़ में राकेश शर्मा की हत्या के महज एक माह बाद 8 अक्टूबर 2019 को सहारनपुर जनपद के देवबंद कस्बे में भाजपा किसान मोर्चा के पूर्व जिला उपाध्यक्ष यशपाल सिंह को बाइक सवार बदमाशों ने सरेआम ही गोलियों ने भूनकर मौत के घाट उतार दिया। इस हत्या पर जमकर हंगामा हुआ था। यह यशपाल की मौत पर खत्म होता तो ठीक था, लेकिन इस हत्या के अगले ही दिन बदमाशों की गन प्वाइंट पर बस्ती शहर के एपीएन पीजी कॉलेज के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष एवं भाजपा नेता आदित्य नारायण तिवारी आ गये थे। बदमाशों ने आदित्य को भी गोली मारी थी, इससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई।


यह सिलसिला यहां पर भी नहीं थमा, प्रदेश में भाजपा की सरकार और मुख्यमंत्री की कुर्सी पर योगी आदित्यनाथ जैसे सख्त कार्यशैली वाले नेता के मौजूद रहने तथा पुलिस के ताबड़तोड़ एनकाउंटर के कारण बदमाशों की यूपी में मची भागमभाग के बीच ही आदित्य हत्याकांड के मात्र 9 दिन बाद 18 अक्टूबर 2019 को लखनऊ में हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमलेश तिवारी की भी हत्या कर दी गई थी, हालांकि कमलेश तिवारी भाजपा के नेता नहीं थे, लेकिन वह भाजपा और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कट्टर हिंदुत्व कार्यशैली और एजेंडे को आगे बढ़ाने के एक मजबूत पक्षधर माने जाते थे। कमलेश के बाद दूसरे हिन्दूवादी विचारधारा के नेता रणजीत बदमाशों के निशाने पर थे, 2 फरवरी 2020 को यूपी की राजधानी लखनऊ के हजरतगंज में परिवर्तन चैक के पास अंतराष्ट्रीय हिन्दू महासभा के अध्यक्ष रणजीत बच्चन की गोली मारकर हत्या कर दी, वह पत्नी और मौसेरे भाई के साथ मोर्निंग वाॅक पर निकले थे। ये दोनों हत्याएं हालांकि भाजपा से जुड़ी नहीं थी, लेकिन मारे गये दोनों नेताओं ने हिन्दुत्व आंदोलन में खुद को समर्पित करते हुए भाजपा की नीति को सबल देने का काम किया था। इन हत्याओं पर बवाल मचा रहा। योगी सरकार पर हिन्दूवादी नेताओं ने सवाल उठाये तो विपक्ष भी इस मौके को भुनाने के लिए हमलावर रहा।


हिन्दूवादी नेताओं की मर्डर मिस्ट्री के बीच उलझी योगी सरकार में भाजपा कार्यकर्ताओं के खून की होली जारी रही। 29 सितंबर 2019 को बिजनौर जनपद के नगीना इलाके में भाजपा नेता भीम सिंह कश्यप के पुत्र चंद्रभान एवं भतीजे कृष्णा की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। 15 अप्रैल 2020 को जब पूरे देश में लॉकडाउन था, तब बरेली में भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के महानगर उपाध्यक्ष यूनुस अहमद डंपी उनके दरवाजे के सामने ही विरोधियों  ने गोलियों से भून दिया। भाजपा नेताओं की हत्याओं का सिलसिला यहीं नहीं रुका उसके ठीक 1 महीने बाद 20 मई 2020 को रामपुर शहर में भाजपा नेता अनुराग शर्मा की उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जब वह अपनी स्कूटी से जा रहे थे। 7 जुलाई 2020 को अलीगढ़ में भाजपा नेता एवं जिला पंचायत सदस्य दिनेश कुमार के भतीजे सचिन की भी हत्या कर दी गई थी। इस घटना के 13 दिन बाद 20 जुलाई 2020 को गाजियाबाद जनपद में भाजपा नेता बीएस तोमर की भी हत्या कर दी गई और यूपी में भाजपा नेताओं एवं उनके परिजनों की हत्याओं का यह दौर आज 11 अगस्त 2020 को बागपत जनपद के भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष संजय खोखर की मौत तक जा पहुंचा है। संजय खोखर जब मॉर्निंग वॉक पर निकले तो इस दौरान छपरौली थाना क्षेत्र इलाके में खेत की चकरोड पर ही बदमाशों ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई। संजय खोखर को नजदीक से  गोलियां मारी गयी। उनकी मौके पर मौत हो गई। संजय खोखर आरएसएस के पुराने कार्यकर्ता थे। 2017 का विधानसभा चुनाव संजय के जिलाध्यक्ष रहते ही बागपत में भाजपा प्रत्याशियों ने लड़ा था।

संजय की इस दुस्साहिक हत्या के बाद वही सबकुछ हुआ, जो मुजफ्फरनगर के राजा वाल्मीकि से गाजियाबाद के बीएस तोमर की हत्याओं के बाद हुआ। जिले से लेकर शासन तक हलचल हुई, हंगामा हुआ, लेकिन सवाल वही रहा कि योगी राज के साढ़े तीन साल में आखिर वह क्या वजह रही कि ताबड़तोड़ एनकाउंटर के बाद भी भाजपा ने यूपी में अपने दर्जन भर  नेताओं और उनके परिजनों को बेखौफ बदमाशों की गोलियों का शिकार बनते हुए देखा। संजय खोखर के रूप में भाजपा ने राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बागपत जैसे जनपद में अपना एक कर्मठ कार्यकर्ता खो दिया है।


                                                                                               केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने बागपत पहुंच जताया शोक

केन्द्रीय पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन राज्यमंत्री एवं मुजफ्फरनगर सीट के सांसद डा. संजीव बालियान बागपत में भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष संजय खोखर हत्याकांड के बाद मौके पर पहुंचकर परिजनों को हर संभव भरोसा दिया, वह संजय के घर पहुंचे। पोस्टमार्टम के दौरान उनके साथ रहे और हत्या की हर संभावना को तलाशने के लिए ग्रामीणों, कार्यकर्ताओं और परिजनों से बात की।

डा. संजीव बालियान ने एक बार फिर से साबित किया कि वह क्षेत्रवाद की राजनीति से अलग कार्यशैली रखते हैं। संजीव बालियान ने हमेशा ही भाजपा के अंतिम पायदान पर खड़े कार्यकर्ता के हितों की चिंता को लेकर राजनीति की है। यही कारण है कि वह केवल मुजफ्फरनगर में ही नहीं बल्कि वेस्ट यूपी में कार्यकर्ताओं के बीच एक अलग पहचान रखते हैं। मुजफ्फरनगर में जब भी वह मौजूद रहते हैं, तो यहां कार्यकर्ताओं और क्षेत्रवासियों के सुख दुख से खुद को जोड़कर रखते हैं। वह किसी कार्यकर्ता के शादी ब्याह में भले ही जाने से चूक जायें, लेकिन उन घरों पर दस्तक देना कभी नहीं भूले, जिन घरों को शोक के वातावरण ने आ घेरा हो। यही वजह रही कि जब उनको बागपत में संजय खोखर की हत्या की जानकारी मिली तो वह सबसे पहले बागपत पहुंचने वाले पार्टी के वरिष्ठ नेता थे। यूपी में भाजपा संगठन में प्रदेश उपाध्यक्ष का दायित्व निभा रहे केन्द्रीय मंत्री डा. संजीव बालियान ने इस हत्याकांड को लेकर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से वार्ता की।

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