संकट में शंकर जी से समाधान निकलवाते हैं सतीश गोयल

भगवान शंकर और उद्योगपति सतीश गोयल के बीच बने इस अटूट धार्मिक रिश्ते पर प्रस्तुत है 'खोजी न्यूज' की एक विशेष रिपोर्ट,

Update: 2020-12-23 06:05 GMT

मुजफ्फरनगर। जीवन तनाव और संकट का पर्याय है, इसमें को दो राय नहीं हो सकती। बचपन से लेकर बुढ़ापे तक हमें पारिवारिक, शैक्षिक, औद्योगिक, व्यापारिक और सामाजिक स्तर पर अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। हर मोर्चे पर आगे निकलने की आशा कब हमें निराशा के अंधेरे की ओर धकेल कर ले जाती हमें पता भी नहीं चलता और चारों ओर निराशा के बादलों से खुद को घिरा पाकर हमारे ऊपर तनाव हावी होने लगता है, ऐसे में यदि हम अपनी अंतरात्मता को धर्म और कर्म के सहारे मजबूत बनाकर ईश्वरीय आस्था पर कायम रहें तो बड़े से बड़े संकट को भी मात देकर जीवन को खुशहाल बना सकते हैं। हम आध्यात्मिकता को जीवन में उतारकर  ईश्वर के नजदीक पहुंच सकते हैं और सीधा ईश्वरीय शक्तियां ही हमें संकट से निकालने के लिए हमारी मददगार बनकर सामने खड़ी नजर आती हैं। ईश्वर में ऐसा ही अटूट विश्वास रखने वाले जनपद के प्रसिद्ध उद्योगपति और समाजसेवी सतीश चन्द गोयल एक बड़ा उदाहरण बने हुए हैं। इनमें जीवन में भी अनेक संकट आये, वह तनावग्रस्त रहे, लेकिन जब उन्होंने भगवान शंकर से लौ लगाई तो हर संकट समाधान में बदलता चला गया। भगवान शंकर और उद्योगपति सतीश गोयल के बीच बने इस अटूट धार्मिक रिश्ते पर प्रस्तुत है 'खोजी न्यूज' की एक विशेष रिपोर्ट....!

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भौगौलिक दृष्टि से देश की राजधानी दिल्ली के नजदीक होने के साथ ही उत्तराखंड और हरियाणा राज्यों के बाॅर्डर से मिलते उत्तर प्रदेश के जनपद मुजफ्फरनगर में औद्योगिक मंच पर एक बड़ा नाम और पहचान रखने वाले उद्योगपति व समाजसेवी सतीश चन्द गोयल ने धर्म की रोशनी में कर्म को अपनाकर कड़ी मेहनत और ईमानदारी से यह मुकाम हासिल किया है। मुजफ्फरनगर के प्रतिष्ठित उद्योग टिहरी स्टील के मालिक सतीश गोयल खुद मानते हैं कि आज उनका जीवन खुशहाल है। श्रीमद भागवत गीता में युद्धभूमि में अपनों को सामने देखकर तनावग्रस्त होते हुए हथियार छोड़ने वाले अर्जुन को भगवान श्री कृष्ण द्वारा दिये गये 'कर्म ही पूजा' उपदेश को सतीश गोयल जीवन का मूलमंत्र मानते हैं। उनका कहना है कि निःस्वार्थ भाव और ईमानदारी से कर्म करते रहो तो निश्चित ही इसका फल भी मिलेगा। सतीश गोयल आज हम सभी को एक सफल बिजनेस मैन नजर आते हैं, लेकिन उने जीवन में वह दौर भी गुजरा है, जबकि वह गंभीर स्तर पर तनावग्रस्त रहने लगे थे।


सतीश गोयल बताते हैं कि साल 1996 से पूर्व मेरा जीवन ऐसा नहीं था, लाख प्रयासों के बावजूद भी औद्योगिक और पारिवारिक संकटों से वह घिरे रहे और इसके कारण वह तनावग्रस्त हो गये थे। जरा सी भी परेशानी सामने देखकर वह विचलित होने लगते थे। इसी बीच एक परिचित के माध्यम से से वह ब्रह्मकुमारी आश्रम में आध्यात्मिक ध्यान के लिए पहुंचे। वहां उनका मार्गदर्शन आश्रम की रमा बहन जी ने किया। रमा बहन उनको आध्यात्मिकता की ओर लेकर गयी। इस आश्रम के सहारे उनका लगाव भगवान शंकर के प्रति ज्यादा होने लगा। ऐसा नहीं है कि वह पहले ईश्वर के नजदीक नहीं थे, लेकिन यहां से उनके भीतर एक ऐसा आध्यात्मिक लौ का प्रकाश पुंज  पनपा, जिसने उनका जीवन ही बदलकर रख दिया। इसी आश्रम के जुड़ाव ने उनके मन में ईश्वर की एक अटूट आस्था पैदा कर दी।


सतीश गोयल बताते हैं कि उनके ऑफिस में भगवान शंकर की प्रतिमा को स्थापित कराया गया और इसके बाद भगवान शंकर जी के साथ उनके ऐसे आध्यात्मिक रिश्ते पैदा हुए कि वह हर संकट का समाधान भगवान शंकर से ही निकलवाने में सफल रहते हैं। वह इसे किसी करिश्मे से कम नहीं मानते हैं। आज इंटरनेट क्रांति के आधुनिक युग में भी सतीश गोयल का विश्वास है कि उनको भगवान शंकर से ही अंदरूनी मार्गदर्शन प्राप्त होता है। सतीश गोयल भगवान शंकर से सीधा संवाद करने वाले व्यक्ति हैं। उनका कहना है कि वह जब भी विचलित होते हैं तो अपने ऑफिस  में सोफे पर भगवान शंकर की मूर्ति के सामने एकाग्रता के साथ ध्यान मग्न हो जाते हैं। खुद के द्वारा किये गये कार्यों को लेकर मन मंथन करते हैं। यदि कोई गलत व्यवहार याद आता है तो क्षमा मांगते हैं। इस जुड़ाव के बाद उनको जहां एक संतुष्टि मिलती है, वहीं उनकी अंतरात्मा के जरिये भगवान शंकर का जवाब भी उनको मिलता है और संकट का समाधान वह भगवान शंकर से ही निकलवा लेते हैं। आज उनकी ईश्वर में अटूट आस्था है और भगवान शंकर का ही यह आशीर्वाद है कि वह किसी भी अवसर पर झूठ नहीं बोलते हैं और किसी भी द्वेष नहीं रखते। वह जीवन में आये इस बदलाव के लिए ब्रह्मकुमारी आश्रम की रमा बहन को भी साधुवाद देते हुए कहते हैं कि उनके आध्यात्मिक ज्ञान के कारण ही वह भगवान शंकर के नजदीक हुए।

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