MLA उमेश मलिक- शाकंभरी देवी मन्दिर के जीर्णोद्धार को सीएम योगी से लाये बजट
घर और गृहस्थी में घिरी जगवती देवी ने बचपन से ही उमेश मलिक को हिन्दू देवी देवताओं और उनके अवतार को किस्से कहानियों के रूप में खूब सुनाया
बुढ़ाना। बुढ़ाना विधानसभा में जनता के असीम प्यार और स्नेह का साथ पाकर विधायक निर्वाचित हुए उमेश मलिक ने क्षेत्रीय विकास को लेकर सरकारी योजनाओं के साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नीतियों को लागू कराने में जितनी दिलचस्पी दिखाई, उतने ही संवेदनशील वह जनता से किये वादों को पूर्ण करने में भी नजर आये, लेकिन उन्होंने एक काम अपनी मां की धार्मिक आस्था को भी समर्पित किया। बचपन से वह जिस देवी मेले को देखते आ रहे थे, जिस सिद्धपीठ देवी मंदिर को उन्होंने अपनी मां के मुख से रातों की नींद से पहले किस्से कहानियों के रूप में सुना, उसी देवी मंदिर को एक जनप्रतिनिधि के रूप में नई पहचान देने में जुट गये। मां की देवी मंदिर के प्रति इसी आस्था ने उमेश मलिक को क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने का एक रास्ता सुझाया और नौ देवियों में से एक माता चिंतपूर्णी शाकंभरी देवी मंदिर को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का सफर शुरू कर दिया गया।
विधायक उमेश मलिक का बचपन अपने पैतृक गांव डूंगर में ही बीता है। उनके पिता रामपाल सिंह जहां नम्बरदार के रूप में क्षेत्र में प्रसिद्ध थे, तो वहीं उनकी मां जगवती देवी एक धर्मपरायण महिला थी। घर और गृहस्थी में घिरी जगवती देवी ने बचपन से ही उमेश मलिक को हिन्दू देवी देवताओं और उनके अवतार को किस्से कहानियों के रूप में खूब सुनाया। मां की आस्था का ही यह प्रभाव था कि उमेश मलिक के भीतर हिन्दुत्व के प्रति एक उत्साह पैदा हुआ। वह अपनी माता के साथ क्षेत्र के अनेक धार्मिक कार्यक्रमों, पर्व और त्यौहारों पर खूब शामिल होते। ऐसा ही एक प्रसिद्ध धार्मिक आयोजन बुढ़ाना विधानसभा के गांव कुरालसी से भी जुड़ा हुआ रहा। इस गांव में देवी मंदिर दूर-दराज के क्षेत्रों में श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र बना हुआ है। इस मंदिर की स्थापना कब हुई, ग्रामीणों को ये तो याद नहीं, लेकिन इसे श्रद्धालु सौ साल से भी ज्यादा पुरानी सिद्धपीठ मानते हैं। चिंतपूर्णी मां शाकंभरी देवी कुरालसी के इस सिद्धपीठ मंदिर में प्रतिवर्ष असोज मास की नवरात्रि के बाद आने वाली चैदस को भव्य मेला लगता आ रहा है। माता के दरबार में महाआरती के बाद इस मेले का शुभारंभ होने के साथ ही श्रद्धालुओं का आवागमन आरंभ हो जाता है, माता के दर्शन के लिए यहां पर प्रतिवर्ष करीब 3-4 लाख लोगों की भीड़ जुटती है। साल 1958 में इस देवी मंदिर का जीर्णोद्धार करते हुए यहां पर माता चिंतपूर्णी देवी की प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा किया गया था। इस सिद्धपीठ की स्थापना के बाद से आज तक यहां पर माता की अखंड ज्योति प्रज्वलित है।
विधायक उमेश मलिक बताते हैं, ''उनकी कक्षा एक से कक्षा आठ तक की शिक्षा राजपुर गढ़ी गांव में ही हुई। इस कारण वह परिवार के पास ही गांव में रहे और ग्रामीण परिवेश में पले व बढ़े। वह मां के काफी लाडले रहे। उस समय क्षेत्र में एक ही बड़ा मेला लगता था, जोकि गांव कुरालसी में देवी मंदिर के मेले के रूप में विख्यात था। माता जी प्रत्येक वर्ष कभी बुग्गी और कभी ट्रैक्टर ट्राली में सवार होकर इस मेले में जाती और देवी चिंतपूर्णी के दर्शन कर पूजा अर्चना करती। माता जी अक्सर ही इस मेले में उनको साथ लेकर पहंुचती थी, बचपन से ही इस मंदिर के प्रति आस्था बन गई थी। इसके बाद मैं आज भी इस मंदिर में देवी दर्शन के लिए जाता रहता हूं। माता का यह मंदिर सिद्धपीठ होने के कारण उनको इसे धार्मिक पर्यटन बनाने का विचार आया और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से वह इसके स्वीकृत कराने में सफल भी रहे।''
कुरालसी गांव के देवी मंदिर के सौन्दर्यकरण और इसे एक पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने के लिए उमेश मलिक ने क्षेत्र के लोगों से सम्पर्क किया तो उनको जनसमर्थन मिलता चला गया। इस मंदिर के जीर्णोद्धार और सौन्दर्यकरण के साथ ही इसको सीएम योगी आदित्यनाथ सरकार की धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने वाली नीति के अन्तर्गत प्रस्ताव लाकर स्वीकृत कराया गया। इस मंदिर की 30 बीघा भूमि के विकास का दौर भी इसी के साथ शुरू हो गया। इसके लिए राज्य सरकार से 10 लाख रुपये की पहली किश्त भी जारी की जा चुकी है।
विधायक उमेश मलिक कहते हैं, ''कुरालसी के देवी मंदिर से माता जी के कारण जुड़ाव हुआ और आज यह पारिवारिक स्तर पर धर्म के साथ ही आत्मीयता के बंधन तक जा पहुंचा है। कोई भी बड़ा काम करने से पहले मैं इस देवी मंदिर में दर्शन के लिए जरूर जाता हूं, कोई भी चुनाव लड़ा तो पहले माता चिंतपूर्णी देवी मंदिर में जाकर पूजा अर्चना की और आशीर्वाद लिया। इसके पीछे मेरी मां की आस्था भी बड़ा कारण है। इस मंदिर से उनका अटूट विश्वास रहा और यहां आने के लिए वह हमेशा प्रेरित करती रही हैं। आज मैं प्रसन्न हूं कि चिंतपूर्णी षाकंभरी देवी मां ने अपनी आस्था, श्रद्धा और विष्वास से जुड़ी अपनी इस सिद्धपीठ के जीर्णोद्धार के लिए मुझे एक बड़ा अवसर प्रदान किया, मैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भी आभारी हूं कि उन्होंने क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मेरे अनुरोध को स्वीकार किया। मन्दिर के जीर्णोद्धार का काम कराया जा रहा है, जल्द ही कुरालसी गांव को देवी मन्दिर की भव्यता और धार्मिक पर्यटन के रूप में देश के विभिन्न हिस्सों में पहचान मिलेगी।''