मुजफ्फरनगर। वैसे तो समाज सेवा के लिए जिले से लेकर राज्य और देश भर में बहुत लोग काम करते हैं मगर मुजफ्फरनगर में एक शख्सियत है जो अपने स्कूल में जहां गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिलाने का काम करते हैं तो वहीं प्रतिभा के आधार पर फीस में छूट और 12वीं पास करने वाली छात्राओं के लिए उनकी शादी में कन्या दान देने के लिए एफडी तक करा कर रखते हैं। कौन है यह मुजफ्फरनगर के प्रमुख उद्यमी और समाजसेवी।
मुजफ्फरनगर शहर के सीबीएसई (CBSE ) बोर्ड की शिक्षण संस्थान एमजी पब्लिक स्कूल ( MG Public School ) मुजफ्फरनगर के सर्कुलर रोड पर स्थित है। इस स्कूल के ट्रस्टी चेयरमैन मुजफ्फरनगर के प्रसिद्ध उद्यमी सतीश चंद गोयल ( Satish Chand Goyal )और प्रबंधन कमेटी ने अपने स्कूल में फीस भी सीमित रखी हुई है। सतीश चंद गोयल और प्रबंधक कमेटी एमजी पब्लिक स्कूल में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के साथ-साथ समाज सेवा भी करती है।
गौरतलब है कि स्कूल प्रबंधन ने तय किया हुआ है कि जिन छात्र छात्राओं के पिता नहीं है वह भले ही किसी जाति या धर्म के हो। उनको स्कूल में ली जाने वाली फीस में छूट दी जाती है। एक से लेकर 4 क्वार्टर तक स्कूल प्रबंधन उन बच्चों की फीस में कंसेशन देता है जो बच्चे बिना पिता के हैं तथा 60 से 70 प्रतिशत परीक्षा में अंक लाते हैं । सतीश चंद गोयल और स्कूल प्रबंधन ने तय किया हुआ है कि जो 60% से नीचे अंक लाता है उसको किसी प्रकार का कंसेशन नहीं दिया जाता है। इसके साथ ही पहला स्कूल का फीस क्वार्टर बच्चे की मां को खुद ही देना पड़ता है। बाकी फीस क्वार्टर में स्कूल प्रबंधन रियायत देने की व्यवस्था करता है। अभी भी एमजी पब्लिक स्कूल में लगभग 80 बच्चे ऐसे हैं जिनके सिर पर पिता का साया नहीं है लेकिन स्कूल प्रबंधन उनको फीस में कंसेशन देते हुए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा इस मकसद से दिलाता है ताकि वे अपना भविष्य संवार सकें।
इसके साथ ही ट्रस्टी चेयरमैन सतीश चंद गोयल ने स्कूल में छात्राओं के लिए विशेष व्यवस्था की हुई है । एमजी पब्लिक स्कूल में जब छात्राएं, वो किसी भी जाति मजहब की हों उनको इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करने पर 2100, 3100 या 5100 रूपये की उसकी एफडीआर स्कूल की तरफ से की जाती है। इसको सतीश चंद गोयल कन्यादान के रूप में मानते हैं। उन्होंने व्यवस्था की हुई है कि एमजी पब्लिक स्कूल में 12वीं पास करने वाली लड़कियां जब उनकी शादी हो, स्कूल में शादी का कार्ड लेकर आए और उनके नाम पर की गई एफडीआर का पैसा कन्यादान के रूप में उनको दिया जाता है। छात्राओं की एफडीआर स्कूल में इसलिए रखी जाती है ताकि लड़की के परिजन उसकी एफडीआर का पैसा अपने अन्य खर्च में ना शामिल कर ले क्योंकि सतीश चंद गोयल का मानना है कि अगर कन्यादान के लिए एफडीआर की गई है तो उसको उस लड़की की शादी में ही खर्च किया जाए जिसके नाम से स्कूल द्वारा एफडीआर बनवाई जाती है।