रूस-यूक्रेन जंग से वैश्विक बाजार में पड़ेगा क्या असर - अशोक का विश्लेषण

रूस और यूक्रेन की लड़ाई से वैश्विक बाजार में खाद्य वस्तुओं की कीमतें अत्यधिक बढ़ सकती हैं-अशोक बालियान, चेयरमैन,पीजेंट

Update: 2022-03-04 05:20 GMT

मुज़फ्फरनगर। पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन के चेयरमैन एंव विश्लेषक अशोक बालियान ने  रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के दौरान वैश्विक बाजार में आवश्यक वस्तुओं के महंगे होने और इस युद्ध से विश्व में क्या असर होगा। उसका विश्लेषण करते हुए अपने फेसबुक टाइमलाइन पर अपना विश्लेषण पोस्ट किया है। अपने विश्लेषण में अशोक बालियान ने क्या लिखा है । पढ़िए ..... 


रूस और यूक्रेन की युद्ध चल रहा है और युद्ध की मानवीय कीमत सबसे वीभत्स होती है तथा उसकी गणना करना नामुमकिन होता है। युद्ध से प्रभावित लोगों का भविष्य अनिश्चित हो जाता है। हम दूर बैठकर उनका आंकलन ही कर सकते हैं, जिनके ऊपर बीतती है, वही युद्ध की कीमत जानते हैं। यूक्रेन के अनेक शहरों में पर्याप्त खाने का सामान और मेडिसिन नहीं हैं। कुछ शहरों में पीने का पानी की आपूर्ति बाधित है और बिजली कट गई है।


प्रथम विश्वयुद्ध के मध्य साम्राज्यवाद के साए से उभरते हुए यूक्रेनियन पीपल्स रिपब्लिक की स्थापना वर्ष 1917 में हुई थी। रूस के शासक जार के पतन के बाद यूएनआर ने खुद को स्वतंत्र घोषित कर लिया था, लेकिन वर्ष 1922 में संघर्ष के बाद पुन: सोवियत संघ का सदस्य बना।

यूक्रेन की सीमा पश्चिम में यूरोप और पूर्व में रूस से जुड़ी है और वर्ष 1991 तक यूक्रेन पूर्ववर्ती सोवियत संघ का हिस्सा था। यूक्रेन और यूरोपियन यूनियन के बीच फ्री मार्केट ट्रेड की डील हुई और वर्ष 2019 यूक्रेन के ऑर्थोडॉक्स चर्च को आधिकारिक मान्यता मिली थी। वर्ष 2021में यूक्रेन ने अमेरिका से नाटो में शामिल होने की अपील की थी। इस बातों से रूस यूक्रेन से नाराज हो गया था और इस वर्ष 24 फरवरी 2022 को रूस ने यूक्रेन पर सैन्य ऑपरेशन शुरू किया।

रूस और यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक बाजार में खाद्य वस्तुओं की कीमतें बढ़नी शुरू हो गई हैं। गेहूं की वैश्विक कीमत 13 वर्षों के उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी हैं। रूस पर प्रतिबंधों से भारत से निर्यात होने वाली चाय और अन्य नियमित उत्पादों पर भी असर पड़ सकता है। भारत में सबसे अधिक असर क्रूड ऑयल की महंगाई से होगा। प्राकृतिक गैस की कीमत भी नए रिकॉर्ड पर पहुंच गई है।

भारत यूक्रेन से खाने के तेल से लेकर खाद और न्यूक्लियर रिएक्टर जैसी चीजों की भी खरीदारी करता है। युद्ध के चलते दोनों देशों के बीच व्यापार नहीं होगा और भारत के लिए परेशानी बढ़ेगी।

रूस और यूक्रेन के युद्ध से गेहूं की कीमतों में 30 प्रतिशत और मक्के की कीमतों में 20 प्रतिशत की बढ़त देखने को मिलनी शुरू हो गई है। भारत के केंद्रीय पूल में 2.42 करोड़ टन अनाज है, जो बफर और रणनीतिक जरूरतों से दोगुना है।

दुनिया के गेहूं के निर्यात का एक-चौथाई से अधिक हिस्सा रूस और यूक्रेन से होता है। पिछले वर्ष मिस्र, तुर्की और बांग्लादेश ने रूस से आधे से ज्यादा गेहूं खरीदा था। इस स्थिति में भारत वैश्विक बाजारों को अधिक गेहूं का निर्यात कर उन देशों की जरूरत पूरी कर सकता है। क्योकि जो देश रूस या यूक्रेन से गेहूं निर्यात करते थे, वो अब भारत का रुख करेंगें। इस लड़ाई का प्रभाव पूरी दुनिया की आर्थिक व्यवस्था पर देखने को मिलना शुरू हो गया है।

यूक्रेन संघर्ष से सीखते हुए भारत को अपनी सुरक्षा नीति को पुन: निर्धारित करनी होगी। भारत को तकनीकी प्रतिबंधों की भूमिका और तकनीकी आपूर्ति श्रृंखलाओं पर उनके प्रभाव पर विचार करने की भी आवश्यकता है।

केंद्र सरकार से युद्ध क्षेत्र में फंसे भारतीय छात्रों को जल्द से जल्द निकालने का लगातार प्रयास कर रही है। रूस की बमबारी के एक भारतीय छात्र नवीन शेखरप्पा की मौत हो गई है। नवीन शेखरप्पा के परिवार के प्रति हमारी हार्दिक संवेदनाएं है। रूस और यूक्रेन का युद्ध रुकना चाहिए।

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