संस्मरण- 3 बदमाशों का एनकाउंटर करने वाला कौन हैं यह जांबाज पुलिस अफसर
कुख्यात अपरााधियों के खौफ से वहां की पब्लिक बुरी तरह से परेशान थी
मुजफ्फरनगर। पुलिस जीवन में पुलिस अधिकारी या कर्मचारी के सामने बदमाशों को पकड़ने के लिये कई बार ऐसी चुनौतियां आती है कि जनता की सुरक्षा के मकसद से कुख्यात अपराधियों को पकड़ने के लिये अपनी जान तक दांव पर लगा देते हैं। एक ऐसे ही जांबाज पुलिस अधिकारी से खोजी न्यूज आपको रूबरू करायेगा, जिसका सामने ऐसे कुख्यात अपराधियों से होता हैं, जिनके नाम 30 से अधिक मर्डर के मुकदमे और गवाही देने पर पेड़ से बांधकर उनकी आंख निकाल लेना। जांबाज पुलिस अधिकारी ने कुख्यात अपराधी को अकेला समझकर पकड़ने प्रयास किया तो उसके साथ उसके दो साथी भी थे, जो उनकी जान लेने के लिये उतारू हो गये थे। कुख्यात अपराधियों से घायल हुए दो सिपाही उन्हें छोड़कर थाने पर भाग गये थे। पब्लिक समय पर न आती तो उनकी जान को बड़ा नुकसान हो सकता था। तीनों कुख्यात अपराधियों को पब्लिक और पुलिस अधिकारी और उनकी थाने की टीम की मुठभेड़ हुई तो तीनों बदमाशों को एनकाउंटर हो गया था। एनकाउंटर हुआ तो पूरी तहसील में घी के चिराग जले थे। यह जांबाज पुलिस अफसर संत प्रसाद उपाध्याय उस समय जनपद बदायूं के थाना जरीफनगर के थानाध्यक्ष हुआ करते थे, जो अब वर्तमान में मुजफ्फरनगर जिले में सीओ फुगाना हैं। पूर्ण जानकारी के लिये पढ़िये खोजी न्यूज की पूरी खबर....
मुजफ्फरनगर के फुगाना क्षेत्राधिकारी संत प्रसाद उपाध्याय वर्ष 2001 में बंदायू जनपद के थाना जरीफनगर में थानाध्यक्ष हुआ करते थे। संत प्रसाद उपाध्याय खोजी न्यूज से रूबरू होते हुए बताते हैं कि उस दौरान वह अपराध पर अंकुश लगाने के लिये अपनी पुलिस टीम के साथ जुटे हुए थे। इसी बीच उन्हें जानकारी हुई कि थाना क्षेत्र में एक महिपाल यादव नाम कुख्यात अपराधी अपने भाई नेकराम और बेटे रणवीर सहित अन्य साथियों के साथ मिलकर टूंडा गैंग चलाता है। पीपीएस अधिकारी खोजी न्यूज से वार्ता करते हुए बताते हैं कि वर्ष 2001 के एक दिन की बात है कि वह जरीफनगर थाने क्षेत्र में टेलीफोन बूथ पर अपने एडिशनल एसपी से बात कर रहे थे। इसी बीच वहां से कुख्यात अपराधी महिपाल यादव गुजरा तो उन्होंने यह बात एडिशनल एसपी को बताते हुए कहा कि सर महिपाल यादव मेरे साईड से गुजरा है क्या उसे पकड़ लूं। उधर से एडिशनल एसपी का जवाब आया कि बहुत कुख्यात अपराधी है संभलकर पकड़ना।
पीपीएस अधिकारी संत प्रसाद उपाध्याय बताते हैं कि उन्होंने कुख्यात अपराधी महिपाल यादव को अकेला समझकर अपने दो सिपाहियों के साथ मिलकर जैसे ही पकड़ने का प्रयास किया गया तो उसका भाई नेकराम और उसका बेटा रणवीर भी साथ थे, वह भी आ गये। तीनों कुख्यात अपराधियों ने मिलकर जरीफनगर थाने के तत्कालीन थानाध्यक्ष संत प्रसाद उपाध्याय पर हमला कर दिया और उनका पिस्टल भी छीन लिया। कुख्यात अपराधियों को भारी देखते हुए संत प्रसाद उपाध्याय के दोनों सिपाही उन्हें छोड़कर थाने पर भाग गये। संत प्रसाद उपाध्याय के सिर पर उन्होंने तमंचे और लात-घूंसे बजाने शुरू कर दिये तो कस्बे की पब्लिक यह घटना होते देख आ गई उन्हें बचाने के लिये आ रही थी।
पीपीएस अधिकारी संत प्रसाद उपाध्याय आगे बताते हैं कि कुख्यात अपराधी लोगों की भीड़ को आता देख उन्हें जख्मी हालत में छोड़कर गांव के बाहर की तरफ भागने लगे। पब्लिक और सूचना पाकर आई थाने की पुलिस टीम सहित संत प्रसाद उपाध्याय द्वारा कुख्यात अपराधियों को घेर लिया गया था। जंगल में पुलिस की गिरफ्त से बचने के लिये कुख्यात अपराधियों ने पब्लिक और पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी। जवाब देते हुए पुलिस द्वारा भी फायरिंग शुरू की गई थी। इस मुठभेड़ में तीनों बदमाशों का पुलिस द्वारा एनकाउंटर कर दिया गया था। इस मुठभेड़ में पब्लिक के 5-6 लोग घायल हुए थे और पुलिसकर्मी भी घायल हुए थे।
पीपीएस अधिकारी संत प्रसाद उपाध्याय खोजी न्यूज से रूबरू होते हुए आगे बताते हैं कि तीनों कुख्यात अपराधी महिपाल यादव, नेकराम और रणवीर के एनकाउंट के बाद संभल जिले की मौजूदा और उन दिनों बदांयू जिले की तहसील उन्नौर में पब्लिक के घरों में घी के चिराग जले थे। पब्लिक द्वारा तीनों कुख्यात अपराधी महिपाल, नेकराम और रणवीर से बहुत तंग थी क्योंकि उनके खिलाफ जो भी बोलता था, वह उन व्यक्तियों को मर्डर कर दिया कर देते थे। इनके खौफ की बात यही खत्म नहीं होती, जो गवाही के लिये कदम उठाता था तो ऐसे लोगों केा कुख्यात अपराधियों द्वारा पेड़ से बांधकर उनकी आंख निकाल ली जाती थी। कुख्यात अपरााधियों के खौफ से वहां की पब्लिक बुरी तरह से परेशान थी। एनकाउंटर किये जाने के बाद संत प्रसाद उपाध्याय को उच्चाधिकारियों द्वारा शाबासी मिली थी।
कौन हैं पीपीएस अधिकारी संत प्रसाद उपाध्याय
पीपीएस अधिकारी संत प्रसाद उपाध्याय का जन्म 13 जून 1966 को चित्रकूट जिले में हुआ था। 1989 के समय में यूपी पुलिस में दरोगा के रूप में भर्ती हुए संत प्रसाद उपाध्याय को प्रमोशन प्रक्रिया टफ होने की वजह से 23 साल बाद इंस्पेक्टर के रूप में प्रमोशन हुआ था और फिर साल 2020 में उन्हें प्रमोशन मिलते हुए वह पीपीएस अधिकारी बने गये। संत प्रसाद उपाध्याय बरेली रेंज के सभी जिलों के अलावा हरदोई, रायबरेली, अमेठी, उन्नाव, लखीमपुर खीरी, इटावा झांसी जिलों में तैनात रह चुके हैं। क्षेत्राधिकारी के तौर पर संत प्रसाद उपाध्याय की पहली पोस्टिंग यूपी के जनपद जौनपुर में हुई थी, जहां वह तीन साल तक तैनात रहे। इसके बाद शासन ने उनका ट्रांसफर करते हुए मेरठ जोन के जनपद मुजफ्फरनगर भेज दिया था। मुजफ्फरनगर में वह सीओ सिटी, सीओ क्राईम के बाद अब सीओ फुगाना के रूप में पुलिसिंग कर रहे हैं।