हाय रिश्वत ने यह क्या करा दिया- सीओ से बनना पड़ गया एक दरोगा

मामला जब शासन तक पहुंचा दोषियों के खिलाफ जांच पड़ताल की कार्यवाही शुरू कर दी गई थी।

Update: 2022-11-02 06:50 GMT

लखनऊ। दुष्कर्म के मामले में क्षेत्राधिकारी द्वारा रिश्वत के रूप में वसूली गई 500000 रूपये की धनराशि ने अच्छी खासी फजीहत करा दी है। सीओ जैसे रुतबे पर रहने वाले पुलिस अफसर अब सीएम योगी द्वारा किये गये डिमोशन के बाद मामूली से सब इंस्पेक्टर रह गए हैं।

उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से रिश्वतखोरी के मामले में की गई बड़ी कार्रवाई के अंतर्गत डिप्टी एसपी का डिमोशन करते हुए अब अफसर को सब इंस्पेक्टर बना दिया गया है। दरअसल मौजूदा समय में जालौन जनपद की पीटीसी शाखा में तैनात सीओ विद्या किशोर शर्मा का रामपुर जिले में तैनाती के दौरान 500000 रूपये की घूस लेने के मामले का वीडियो वायरल हुआ था। मामला जब शासन तक पहुंचा दोषियों के खिलाफ जांच पड़ताल की कार्यवाही शुरू कर दी गई थी। वर्ष 2021 के दिसंबर महीने में सीओ विद्या किशोर शर्मा को निलंबित कर दिया गया था।


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विद्या किशोर शर्मा को रिमूव किए जाने की जानकारी आज ट्वीट करके दी है। निलंबन के बाद विद्या किशोर को डीजीपी कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया है। रामपुर में सीओ सिटी के पद पर तैनात रहे विद्या किशोर एक मामले में रिश्वत मांगने के गंभीर आरोपों के चलते डिमोशन की कार्यवाही का शिकार हुए हैं।

घटनाक्रम के मुताबिक वर्ष 2021 में अस्पताल संचालक विनोद यादव एवं तत्कालीन रामपुर इंस्पेक्टर रामवीर यादव के ऊपर आरोप लगा था कि दोनों ने एक महिला के साथ गैंगरेप की वारदात को अंजाम दिया है। इस शिकायत के बाद भी पुलिस ने अपनी तरफ से कोई कार्यवाही नहीं की और मामले को रफा-दफा कराने के लिए 500000 रूपये की घूस लेने का सीओ विद्या किशोर शर्मा का एक वीडियो सामने आया। इसके बाद इस मामले की एएसपी मुरादाबाद को जांच सौंपी गई। जांच में विद्या किशोर शर्मा पर घूस लेने के आरोप सही पाए गए।

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