थर्मल पावर प्लांट की राख से बनेंगे राजमार्गों के फुटपाथ-होगा पर्यावरण शुद्ध

राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण के लिए थर्मल पावर प्लांट से निकलने वाली राख का इस्तेमाल किया जाता रहा है

Update: 2021-07-24 07:06 GMT

नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण के लिए थर्मल पावर प्लांट से निकलने वाली राख का इस्तेमाल किया जाता रहा है। अब केंद्र सरकार की ओर से थर्मल पावर प्लांट की राख से इंटरलॉक टाइल्स बनाने का फैसला किया गया है जिससे कि इनसे राष्ट्रीय राजमार्गों के फुटपाथों का निर्माण किया जा सके। इसके अलावा थर्मल पावर प्लांट की राख का इस्तेमाल अब चिनाई संरचना और फर्श आदि बनाने में भी किया जा सकेगा।

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने सभी राज्यों के प्रमुख सचिवा, एनएचएआई, एनएचएआईडीसीएल एवं पीडब्ल्यूडी के चीफ इंजीनियरों, बीआरओ को 22 जुलाई को नए दिशा निर्देश जारी किए हैं। इसमें पर्यावरण मंत्रालय की ओर से हाल ही में जारी की गई अधिसूचना का वर्णन करते हुए कहा गया है कि देश भर में 40 से भी अधिक थर्मल पावर प्लांट से हर वर्ष करोड़ों टन राख निकल रही है। यह न सिर्फ पर्यावरण के लिए एक गंभीर समस्या है बल्कि आसपास रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी खतरा है। मंत्रालय के अधिकारी ने बताया है कि पावर प्लांट प्रशासन सौ फ़ीसदी राख का निपटारा नहीं कर पा रहे हैं। इस कारण मिट्टी, भूजल, नदी, हवा में राख के घुलने से पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। दूसरी ओर नागरिक दमा, टीबी, फेफड़ों के संक्रमण व कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। सरकार के नए दिशानिर्देशों के तहत सड़क निर्माण कंपनियों के लिए पावर प्लांट से निकलने वाली राख से ईंटे, ब्लॉक में टाइल्स बनाना अनिवार्य होगा। इसका उपयोग राजमार्गों के फुटपाथ बनाने में किया जाएगा। कंपनियों को 300 किलोमीटर के दायरे में स्थित पावर प्लांट से राख लानी होगी। जिस की ढुलाई में कंपनी व पावर प्लांट को आधा-आधा खर्चा वहन करना होगा।

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