दिन में पढ़ाई-शाम को बर्तन मांजे- बनीं फेमिना मिस इंडिया की रनरअप

ऑटो रिक्शा चालक की बेटी, जिसके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। उसने दिन में पढ़ाई की। शाम को वह बर्तन मांजती थीं।

Update: 2021-02-12 16:22 GMT

नई दिल्ली। ऑटो रिक्शा चालक की बेटी, जिसके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। उसने दिन में पढ़ाई की। शाम को वह बर्तन मांजती थीं। रात में काॅल सैंटर में कार्य करती थीं। मीलों तक पैदल चलना पड़ता था, जिससे कि रिक्शा का किराया बच सके। इतना संघर्ष करने के बाद वह फेमिना मिस इंडिया 2020 की रनरअप बनीं। संघर्षों के बल पर मकाम हासिल करने वाली इस ब्रेव गर्ल का नाम है मान्या सिंह। वह फेमिना मिस इंडिया 2020 की फर्स्ट रनरअप रही हैं।


एक इच्छा, कुछ नहीं बदलती,

एक निर्णय, कुछ बदलता है,

वो है निश्चय, जो सब बदल देता है।

उक्त पंक्तियां उत्तर प्रदेश मान्या सिंह के ऊपर बिल्कुल सटीक बैठती हैं। मान्या सिंह के नाम भले ही वीएलसीसी मिस इंडिया 2020 का खिताब न हुआ, लेकिन उनके संघर्षों की कहानी हर जुबां पर है। सोशल मीडिया पर चारों ओ मान्या की ही चर्चा है। मान्या ने कुछ माह पहले सोशल मीडिया पर अपनी संघर्ष की कहानी को सांझा किया था। मान्या के पिता ऑटो रिक्शा चालक है। परिवार की आर्थिक स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं है। इसी के चलते उनका बचपन बहुत सी मुश्किलों के बीच गुजरा। मान्या ने भोजन और नींद के बिना कई रातें बिताई हैं।

मान्या पोस्ट में खुद लिखा था कि खून, पसीने और आंसुओं से उसने अपने सपनों को आगे बढ़ाने का साहस जुटाया है। ऑटो रिक्शा चालक की बेटी होने के कारण कभी स्कूल जाने का अवसर ही नहीं मिला। बचपन से ही मान्या ने काम करना शुरू कर दिया था। मान्या ने बताया कि वह दिन में पढ़ाई करती थीं, शाम को बर्तन धोती थीं और रात के वक्त थकी हारी काॅल सैंटर में कार्य करने के लिए चली जाती थीं। मीलों तक पैदल चलना पड़ता था, जिससे कि रिक्शा का किराया बच सके। उसने कहा कि वह इस मंच पर अपने माता-पिता और भाई की बदौलत पहुंची है।


उन्होंने ही उसे सिखाया है कि यदि खुद पर विश्वास है, तो सपनों को पूरा किया जा सकता है। दृढ़ निश्चय के साथ-साथ मंजिल की ओर परेशानियों को अनदेखा करके आगे बढ़ना पड़ता है।मान्या सिंह ने जिस प्रकार से संघर्ष करके अपने सपनों को उड़ान दी है, वह सभी के लिए प्रेरणास्रोत हैं। मान्या उन युवाओं के लिए प्रेरक उदाहरण हैं, जो थोड़ी सी मुसीबतों के बाद ही हिम्मत हारकर बैठ जाते हैं। उन्होंने युवाओं को संदेश दिया है कि मुसीबतें तो सबके साथ आती हैं और आती ही रहेंगी। मुश्किलों से घबराने वालों को हमेशा हार मिलती है। जीत उनके हिस्से में आती है, जो मुश्किलों को मात देने का माद्दा रखते हैं।

रिपोर्टः प्रवीण गर्ग

Tags:    

Similar News