परंपरा से हटकर विसर्जित की गई मां दुर्गा की प्रतिमायें

देश भर की परंपराओं से हटकर उत्तर प्रदेश के इस जिले में शनिवार को दुर्गा प्रतिमाओं का गोमती तट पर विसर्जन किया गया।

Update: 2020-10-31 12:00 GMT

सुलतानपुर। देश भर की परंपराओं से हटकर उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर में शनिवार को दुर्गा प्रतिमाओं का गोमती तट पर विसर्जन किया गया।

कोविड-19 के चलते सुलतानपुर के ऐतिहासिक दुर्गापूजा महोत्सव के दौरान संक्षिप्त स्वरूप में महोत्सव की संपूर्ण औपचारिकताएं पूरी की। देश भर की परंपरा से हटकर सुलतानपुर में दुर्गा प्रतिमाओं की स्थापना नवरात्र की अष्टमी और विसर्जन पूर्णिमा के बाद होता है। कोविड-19 और सरकार की गाॅइडलाइन के चलते इस बार सुलतानपुर में दुर्गा प्रतिमाओं का विशाल पांडाल और झांकियां तो नहीं सजी लेकिन मूर्तियों का छोटा स्वरूप पूजा समितियों ने दुकान, घरों, हाल और चौडी गलियों में माता की आकर्षक झांकी सजाकर संपूर्ण औपचारिकताएं पूरी की।

परंपरा के अनुसार जिले की प्रथम बड़ी दुर्गामाता पूजा समिति की झांकी विसर्जन को निकालने के लिए जिलाधिकारी रवीश गुप्ता व पुलिस अधीक्षक शिवहरी मीणा ने पूजा अर्चना कर मां की सज्जित रथ को खींचकर शुभारम्भ किया। इस बार शोभायात्रा की लाइन में कुछ ही मूर्तियां प्रशासनिक अनुमति के बाद साथ निकलकर नगर के शोभा यात्रा मार्ग को पूरा कर आदि गंगा गोमती के घाट पर पहुंचाया। प्रशासनिक प्रतिबंध के चलते शहर क्षेत्र में लगभग स्थापित करीब 80 अन्य मूर्तियां अपने स्थापित स्थान से सीधे ही सीताकुंड घाट पहुंची।

पिछले एक सप्ताह स्थापित प्रतिमाओं से महोत्सव की झलक तो नहीं दिखी लेकिन आज विसर्जन शोभायात्रा में दर्शनार्थियों के उत्साह और जज्बे ने कोविड-19 को भुला दिया है। दर्शनार्थी आज दोहरा दुख प्रदर्शित कर रहे हैं पहला यह कि आज माता की झांकी के साथ विदाई है, दूसरा यह कि कोविड-19 के चलते वह माता की विदाई और पूजन में पूरे उत्साह का प्रदर्शन नहीं कर सके।

शहर के चौक-ठठेरी बाजार से सभी पूजा समितियों की ओर से नंबरिंग के हिसाब से अपनी-अपनी मूर्तियों की झांकी सजा कर कतारबद्ध खड़ी होती थी। लेकिन इस बार कुछ मूर्तियाँ की पंक्तिबद्ध हैं। आज दोपहर करीब एक बजे केंद्रीय पूजा व्यवस्था समिति के अध्यक्ष ओमप्रकाश पांडे बजरंगी व महामंत्री सुनील कुमार श्रीवास्तव की उपस्थिति में जिला अधिकारी रवीश गुप्ता व पुलिस अधीक्षक शिव हरी मीणा ने पूजा प्रबंधक राधेश्याम सोनी के निर्देशन में बड़ी दुर्गा की पूजा आराधना के बाद रथ को अपने हाथो खींचकर शोभायात्रा को रवाना किया। चौक घण्टा घर दुर्गा प्रतिमा रथ यात्रा का शुभारम्भ करने के पश्चात डीएम व एसपी द्वारा सीताकुण्ड घाट स्थित दुर्गा प्रतिमा विसर्जित स्थल का निरीक्षण करते हुए उपस्थित अधिकारियों को निर्देशित किया कि कोविड-19 के ध्यान में रखते हुए एक प्रतिमा के साथ चार ही व्यक्ति मात्र को अनुमति है तथा मास्क लगाया जाना अनिवार्य है। इस पर सभी अधिकारी कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करायेंगे।

जिलाधिकारी ने गोमती तट स्थित सीताकुण्ड घाट पर आने वाली प्रतिमाओं के साथ श्रद्धालुओं को मास्क भी वितरित किया। उन्होंने कहा कि दुर्गा प्रतिमा रथ यात्रा एवं विसर्जन सकुशल सम्पन्न कराये जाने के लिये अधिकारियों व कर्मचारियों की ड्यूटी लगायी गयी है। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि गोमती नदी में पॉच नाव की व्यवस्था की गयी , जिस पर पुलिस कर्मी व गोताखोर लगाये गये, जो आपात स्थितियों में सहयोग करेंगे। इस मौके पर नगर पालिका अध्यक्ष बबिता जायसवाल, अपर जिलाधिकारी प्रशासन हर्ष देव पांडे, उप जिलाधिकारी सदर रामजीलाल आदि मौजूद थे।

इधर सीताकुंड घाट पर विसर्जन समिति नव चेतना समिति अपनी तैयारियों के साथ मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों के विसर्जन का कार्य भी संपन्न कराया।

गौरतलब है कि सुलतानपुर अवध क्षेत्र का प्रमुख त्योहार दीपावली माना जाता है, लेकिन लवकुश की क्रीड़ास्थली सुलतानपुर के दुर्गापूजा महोत्सव ने क्षेत्र को एक अलग पहचान दी है। शारदीय नवरात्र के दिनों में यह मिनी कोलकाता बन जाता रहा है। शक्ति के सभी रूपों व भव्य मंदिरों की झलक प्रतिमाओं व पंडालों में हर वर्ष देखने को को मिलती रही है। महोत्सव की शुरुआत सप्तमी के मूल नक्षत्र में कलश स्थापना से होती है और अतिशय वैज्ञानिक व व्यवहारिकता से पूजा के सारे कार्यक्रम संपन्न किए जाते हैं। दरअसल विजयदशमी को पहले से नगर में काफी भीड़ होती रहती थी। ऐसे में भीड़ से बचने व व्यवसाय को बनाए रखने के लिए पूजा व्यवस्था समिति व रामलीला समिति ने पूर्णिमा के दिन मूर्ति विसर्जन किए जाने का निर्णय किया था। जो आज तक बदस्तूर जारी है। जबकि अन्य स्थानों पर विजयादशमी के दिन विसर्जन कर दिया जाता है। 1959 में बिहार के सीवान जिले के भिखारीलाल ने चौक में पहली देवी प्रतिमा की स्थापना की थी। तब से आज तक दुर्गा पूजा ने एक महोत्सव का रूप गढ़ लिया है। इस बार कोविड-19 के चलते दुर्गा पूजा महोत्सव को अति संक्षिप्त कर दिया गया है।

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