सफलता के शिखर पर ग्रामीण महिला उद्यमी- CM ने किया सम्मानित
स्वयं सहायता समूह की दो महिलाओं को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया।
लखनऊ। गन्ना विभाग द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के तहत ग्रामीण महिलाएं रोजगार के सफलतम शिखर पर पहुंच रही हैं। इसी कड़ी में स्वयं सहायता समूह की दो महिलाओं को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया।
चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास मंत्री सुरेश राणा द्वारा दिये निर्देशों के क्रम में मिशन शक्ति अभियान' के अंतर्गत ग्रामीण महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराये जाने हेतु सिंगल बर्ड चिप विधि से गन्ने की नर्सरी तैयार कर सीडलिंग वितरण हेतु प्रदेश के 36 जिलों की 142 गन्ना विकास परिषदों में 1,060 महिला स्वयं सहायता समूहों का गठन किया गया है। इन स्वयं सहायता समूहों द्वारा 592.42 लाख सीडलिंग तैयार की गई तथा शरदकालीन बुवाई के सीजन में प्रति महिला औसतन 11,500 रुपये की आय प्राप्त की गई। इसी कड़ी में अलग-अलग क्षेत्रों में सराहनीय कार्यों हेतु प्रदान किये जाने वाले मिषन शक्ति पुरस्कार हेतु बरेली के अन्नपूर्णा स्वयं सहायता समूह की अध्यक्षा कुसुम एवं अयोध्या के मां वैष्णों देवी स्वयं सहायता समूह की अध्यक्षा मानमती को प्रदेश स्तर पर विभिन्न विभागों से चयनित 11 महिलाओं में स्थान प्राप्त हुआ। उन्हें इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान के जूपिटर हाॅल में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुरस्कार देकर सम्मानित किया।
प्रदेष के अपर मुख्य सचिव चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास संजय आर. भूसरेड्डी ने बताया कि गन्ना बाहुल्य क्षेत्रों में रोजगार की अपार सम्भावनाओं के दृष्टिगत ग्रामीण महिलाओं को रोजगार देने हेतु विभाग द्वारा प्रदेश के 36 जिलों में 1,060 महिला स्वयं सहायता समूहों का गठन किया गया। उन्हें सिंगल बड एवं बड चिप विधि से गन्ने की नर्सरी तैयार किये जाने हेतु प्रशिक्षित किया गया। गठित समूहों में कुल महिला सदस्यों की संख्या 13,550 है। उन्होंने बताया कि इन महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा 592.42 लाख सीडलिंग तैयार कर 487.10 लाख सीडलिंग का वितरण किया गया। इससे 2,199 हेक्टेयर क्षेत्रफल में गन्ना प्रदर्शन की स्थापना हुई है। इससे प्रदेश में 17.59 लाख कु. उन्नतशील गन्ना बीज बुवाई हेतु उपलब्ध होगा।
इन महिला स्वयं सहायता समूहों को सीडलिंग बिक्री से 1,461.3 लाख की आय हुई तथा लगभग 4 लाख दिवस का रोजगार सृजित हुआ है। शरदकालीन बुवाई के समय प्रति महिला 11,500 रुपये की आय हुई। उन्होंने बताया कि गन्ने की खेती में महिला रोजगार सृजन के माध्यम से महिला श्रमिकों का मनोबल बढ़ा है तथा अतिरिक्त आय के सृजन से ग्रामीण क्षेत्रों के जीवन स्तर में सुधार आने के साथ ही ग्रामीण महिलाओं में उद्यमिता की भावना विकसित हो रही है। ग्रामीण अंचल की महिलाएं आत्मनिर्भरता के साथ गरिमामय जीवन यापन कर रही है। वर्ष 2021-22 से इस योजना में और अधिक महिला उद्यमियों को जोड़ा जायेगा।