नेताओं की निष्ठा या अवसरवादिता

नेता शब्द आज भले ही लोगों का उपहास करने के लिए प्रयोग होने लगा है लेकिन मूल रूप में इस शब्द में बहुत गरिमा समायी हुई है

Update: 2020-12-23 00:30 GMT

कोलकाता। नेता शब्द आज भले ही लोगों का उपहास करने के लिए प्रयोग होने लगा है लेकिन मूल रूप में इस शब्द में बहुत गरिमा समायी हुई है। हमारे वेद पुराणों में कहा गया है महाजना गता स पंथा अर्थात जिस रास्ते पर महान लोग चलते हैं, वही मार्ग है। नेता भी मार्ग निर्धारित करने वाला होता है। इसी नेता का एक रूप राजा होता है जो भूप और भगवान जैसे विशेषण भी पाता है। प्रजातंत्र में ये नेता ही राजा के प्रतिरूपी हैं। इसलिए इनके आचरण पर विशेष ध्यान दिया जाता है। चुनाव के समय एक दल से दूसरे दल में जिस तरह भगदड़ मचती है, उससे पता चलता है कि नेताओं का अब कोई चरित्र नहीं रह गया है। वे ऐसे रहवर हैं जो पीठ में छुरा घोंप देते हैं। पश्चिम बंगाल में अगले साल अप्रैल मई 2021 तक विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए वहां नेताओं में दल बदलने की प्रतिस्पर्धा शुरू हो गयी है। सत्तारूढ तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं ने अभी हाल ही अपनी पार्टी छोड़ भाजपा का दामन थामा है। तृणमूल कांग्रेस के एक बड़े नेता ने गत 20 दिसम्बर को कहा कि उसके कुछ नेताओं के हाल में दल बदलने को ज्यादा तवज्जो देने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि विश्वासघाती और पीठ पर वार करने वाले लोग चिरकाल से मौजूद हैं । ऐसे लोगों के चलते ही नेता शब्द की गरिमा गिरी है।

पश्चिम बंगाल के पंचायत मंत्री एवं विधायक सुब्रत मुखर्जी ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उनकी पार्टी न तो हैरान है और न ही हतोत्साहित, क्योंकि नेताओं के इस प्रकार पार्टी छोड़कर जाने से अप्रैल-मई में होने वाले विधानसभा चुनाव पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि पार्टी इस प्रकार की घटनाओं और विधानसभा चुनाव में 294 में से 250 सीटें जीतने के भाजपा के बेतुके दावों को अधिक महत्व नहीं देती। ध्यान देने की बात है कि तृणमूल कांग्रेस के नेता शुभेंदु अधिकारी, पार्टी के एक सांसद और पांच विधायक 19 दिसम्बर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हो गए हैं। अमित शाह ने ममता बनर्जी पर तंज करते हुए यह भी कहा था कि चुनाव के समय तक ममता बनर्जी अकेली खड़ी नजर आएंगी। पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी ने कहा कि पिछले कुछ दिन से शुभेंदु अधिकारी, भगवा दल के संपर्क में थे। शुभेंदुअधिकारी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा है कि हमारे पास इस प्रकार की सूचना थी। मीर जाफरों के दल बदलने पर हल्ला करने की कोई आवश्यकता नहीं है। इस प्रकार का विश्वासघात सदियों से होता आ रहा है। इतिहास गवाह है कि मीर जाफर एक सैन्य कमांडर था, जिसने पलासी की लड़ाई में बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला को धोखा दिया था और अंग्रेजों का साथ दिया था। इसके बाद से मीर जाफर का नाम विश्वासघात का पर्यायवाची बन गया है।

उधर, मिदनापुर में भाजपाई बने शुभेंदु अधिकारी ने 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंकने का संकल्प लेते हुए 19 दिसम्बर को विश्वास जताया कि उनकी नयी पार्टी (भाजपा) राज्य में अगली सरकार बनाएगी। शुभेंदु अधिकारी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की रैली में भाजपा में शामिल हुए थे। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अमित शाह का दौरा ही इसीलिए हुआ था क्योंकि शुभेंदु बड़े कद-काठी के नेता माने जाते हैं। वे भाजपा में शामिल होने के लिए दिल्ली नहीं जा सकते थे बल्कि दिल्ली से ही किसी बड़े नेता को आना था। शुभेंदु ने दावा किया है कि तृणमूल कांग्रेस भगवा पार्टी के कारण ही अस्तित्व में आई थी।अधिकारी ने रैली को संबोधित करते हुए कहा, मैं पहली बार अमित शाह से 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान मिला था और अभी हाल में जब मुझे कोविड था, तब मेरी पूर्व पार्टी (तृणमूल कांग्रेस) ने मेरे स्वास्थ्य के बारे में नहीं पूछा, जबकि अमित शाह ने दो बार पूछा कि मेरी तबियत कैसी है। उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि भाजपा राष्ट्रवाद और बहुलवाद में यकीन करती है। अधिकारी ने यह नहीं बताया कि भाजपा क्या पहले राष्ट्रवाद में यकीन नहीं रखती थी लैकिन आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस राज्य को स्थानीय और बाहरी लोगों के आधार पर विभाजित करना चाहती है। अधिकारी ने मिदनापुर रैली में कहा, इस तरह की संकीर्ण राजनीति के लिए तृणमूल कांग्रेस को शर्म आनी चाहिए।

उन्होंने कहा, मुझे वे लोग गद्दार कह रहे हैं जो खुद (तृणमूल कांग्रेस के) गद्दार हैं। यदि भाजपा यहां नहीं होती, तृणमूल कांग्रेस अस्तित्व में नहीं आती। अगले विधानसभा चुनाव में भाजपा बंगाल में जीत हासिल करेगी और तृणमूल कांग्रेस पराजित होगी। यही शुभेंदु अधिकारी वामपंथी सरकार को उखाड़ फेंकने में ममता बनर्जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हुए थे। आज उनकी निष्ठा बदल गयी है। बीजेपी में शामिल होने के बाद अधिकारी ने दीदी और उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी पर जमकर निशाना साधा। अभिषेक को लेकर उन्होंने "तोलाबाज भाइपो हटाओ बंगाल बचाओ" का नारा दिया। तोलाबाज भाइपो का मतलब होता है लुटेरा भतीजा।टीएमसी से बगावत करने वाले नेता ने कहा कि बंगाल को टीएमसी और भ्रष्टाचार से बचाना है और भाजपा की सरकार बनानी है। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि अब टीएमसी में लोकतंत्र नहीं बचा है और इस पार्टी में कोई भी आत्म सम्मान वाला व्यक्ति नहीं टिक सकता है।

शुभेंदु ने कहा कि इससे पहले मुझे कभी भी भाजपा में शामिल होने को नहीं कहा गया। यह बात भी ध्यान देने की हैकि शुभेंदु स्वयं बता रहे हैं कि वह भाजपा में गये नहीं, बुलाए गये हैं। उन्होंने बताया कि जब वे कोरोना संक्रमित हो गए थे तो अमित शाह ने उन्हें दो बार फोन कर उनका हाल चाल पूछा था जबकि तृणमूल के नेताओं ने उन्हें फोन भी नहीं किया था।

टीएमसी नेता ने शुभेंदु के आरोपों को खारिज किया और कहा रवींद्रनाथ टैगोर की तस्वीर के ऊपर अमित शाह की तस्वीर वाले होर्डिंग को लेकर शांतिनिकेतन में कई लोगों ने नाराजगी जाहिर की है। सुब्रत मुखर्जी ने भाजपा पर टैगोर का 'अपमान' करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पार्टी की छात्र शाखा के नेता टैगोर के अपमान'के विरोध में उनके जन्मस्थल जोरासांको में एक दिन के धरने पर बैठे थे। हालांकि तृणमूल कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता जयप्रकाश मजूमदार ने कहा, भाजपा टैगोर जैसे हमारे आदर्शों का पूरा सम्मान करती है उनके शब्दों, विचारों और लेखन के अनुसार आचरण करती है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर इस महीने की शुरुआत में हुए हमले की घटना को लेकर मुखर्जी ने कहा, ''उनके जैसे कद वाले व्यक्ति को गलत सूचना नहीं फैलानी चाहिए। उन्हें जेड-श्रेणी की सुरक्षा दी गई है, लेकिन फिर भी प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया गया। डायमंड हार्बर में उनके दौरे के दौरान उनके काफिले में कई अनधिकृत कारों को देखा गया। मंत्री ने आरोप लगाया कि शाह ने पश्चिम मेदिनीपुर जिले में एक किसान के मकान के निर्माण के बारे में गलत जानकारी दी।

उन्होंने कहा, ''किसान के आवास पर भोजन करने के बाद शाह ने कहा कि यह मकान गरीबों के लिए शुरू की गई प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनाया गया है. सच्चाई यह है कि राज्य और केंद्र सरकारें इस परियोजना का बोझ साझा करती हैं। (हिफी)

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