पिता का चाट का ठेला- JEE में बेटे को मिले 99.91 प्रतिशत

लगन हो, हौंसला हो, तो क्या कुछ नहीं मिल सकता। आर्थिक मजबूरियां भी तब दम तोड़ देती हैं, जब मां-बाप का आशीर्वाद साथ हो।

Update: 2021-03-11 15:09 GMT

गोरखपुर। लगन हो, हौंसला हो, तो क्या कुछ नहीं मिल सकता। आर्थिक मजबूरियां भी तब दम तोड़ देती हैं, जब मां-बाप का आशीर्वाद साथ हो। लाख परेशानियों के बाद भी लक्ष्य प्राप्त हो जाता है जब बड़े भाई और गुरूजनों का सानिध्य प्राप्त हो। ऐसा ही करिश्मा चाट का ठेला लगाने वाले के सुपुत्र ने कर दिखाया है। उसने जेईई की परीक्षा में 99.91 प्रतिशत अंक प्राप्त किये हैं। पुत्र की कामयाबी पर माता-पिता की खुशी का ठिकाना नहीं है।



गोरखपुर के बशारतपुर में विजय गुप्ता चाट का ठेला लगाते हैं। इसी से उनके परिवार का पालन-पोषण होता है। विवके गुप्ता पुत्र विजय गुप्ता तीन भाईयों में सबसे छोटे हैं। उनके पिता का चाट का ठेला भी लाॅकडाउन के कारण लगना बंद हो गया था। लाॅकडाउन खुला, तो सड़क निर्माण शुरू हो गया, जिसके कारण लम्बे समय तक वे चाट का ठेला नहीं लगा पाये और परिवार के सामने आर्थिक संकट गहरा गया। बावजूद इसके माता-पिता ने बेटे की पढ़ाई में कोई रूकावट नहीं आने दी। जहां विवेक गुप्ता ने बेटे की पढ़ाई के लिए उधार रकम ली, वहीं मां फूलकुमारी ने दिन-रात मेहनत कर परिवार को सहारा दिया। मां-बाप की मेहनत रंग लाई और विवेक को कामयाबी मिली। विवेक ने जेईई की परीक्षा में 99.91 प्रतिशत अंक प्राप्त किये हैं। विवेक ने कहा कि उसकी सफलता में माता-पिता व उसके बड़े भाई का विशेष योगदान है। उसके गुरूजनों ने भी उसकी हर संभव सहायता की है। उन्होंने कहा कि लाॅकडाउन में पिताजी का ठेला बंद हो गया था, बावजूद इसके उन्होंने उनकी शिक्षा में कोई कमी नहीं आने दी। वे लगातार 12 घंटे पढ़ाई करते थे। अधिकतर वे एनसीआरटी की पुस्तकें पढ़ते थे। उन्होंने बताया कि उनके सर नवनीत, सौरभ ने उनका पूरा साथ दिया। उनके सभी डाउट्स को क्लीयर किया। उन्होंने कहा कि उनका लक्ष्य आईआईटी में पढ़ने का है। अब वे जेईई एडवांस के लिए तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे छात्रों को संदेश दिया कि वे गुरूजनों की बातों को ध्यान से सुनें। गुरूजनों से अपने डाउट्स को अच्छे से क्लीयर करें। जो भी टीचर पढ़ा रहे हैं, उसे ध्यानपूर्वक सुनें।

विवेक के पिता विजय गुप्ता ने बताया कि बेटे को इंजीनियर बनाने के लिए उन्होंने कभी भी आर्थिक बोझ को उसके सामने नहीं आने दिया। उन्होंने कर्ज लिया या फिर जीतोड़ मेहनत की, लेकिन बेटे को इन सबसे दूर रखा। विवेक की मां फूलकुमारी का कहना है कि मेरे लिए यह बहुत खुशी की बात है। मेरे तीन बेटे हैं, उनकी लिए मैं अपनी सारी खुशियां त्याग सकती हूं। उन्होंने कहा कि बेटे रात दिन मेहनत करते थे। उनके पापा भी उनका हौंसला बढ़ाते थे। मेहनत का रंग अब सफलता के रूप में सामने आया है। फूलकुमारी ने कहा कि हर मां-बाप को संघर्ष करके अपने बच्चों को कामयाब बनाना चाहिए, ताकि उनके बच्चों को गली की ठोकर न मिले।

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