किसानों ने खोज निकाला पराली से कमाई का रास्ता
जिला उपायुक्त घनश्याम थोरी ने मंगलवार को बताया कि जिला प्रशासन के प्रयास से किसान पराली प्रबंधन के प्रति जागरूक हुआ है
जालंधर। पंजाब के किसानों ने धान की पराली को जलाने की बजाए इससे अच्छी कमाई करने का ढंग खोज लिया है।किसान बिजली संयत्रों को पराली बेच कर कमाई कर रहे हैं।
जिला उपायुक्त घनश्याम थोरी ने मंगलवार को बताया कि जिला प्रशासन के प्रयास से किसान पराली प्रबंधन के प्रति जागरूक हुआ है। पिछले साल ज़िले में रेक्स समेत सिर्फ़ 20 बेलर मशीने थी और इस साल सरकार की 50 प्रतिशत सब्सिडी स्कीम अधीन किसानों को 12 अन्य बेलर मशीनें दीं गई हैं। उन्होंने बताया कि यह मशीन एक दिन में 20 से 25 एकड़ धान की पराली को बेल देती है और एक एकड़ में 25 से 30 क्विंटल पराली निकलती है। पराली की यह गांठें बिजली उत्पादन प्लांट की तरफ से 135 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीदीं जा रही है। प्रशासन द्वारा इस मशीन को किसानों में लोकप्रिय बनाने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है जिससे अन्य किसान भी पराली को जलाने की बजाय इसे आमदनी का साधन बना सकें।
घनश्याम थोरी ने बताया कि नकोदर के गांव बीड़ में स्थापित छह मेगावाट की क्षमता वाला बिजली उत्पादन यूनिट 30 हजार एकड़ में पराली का प्रबंधन कर रहा है और यह प्लांट 24 घंटे काम कर रहा है। कंगन गांव के किसान मनदीप सिंह ने बताया कि वह नकोदर के गांव बीड़ में स्थापित बिजली उत्पादन यूनिट को लगभग 20,000 क्विंटल धान की पराली बेच रहा है और पराली की गांठें बनाने के बाद 135 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब के साथ बेच रहे हैं। उन्होंने कहा कि धान की पराली उनकी कमाई का स्थायी साधन बन गई है और उसे देखते हुए इलाके के अन्य किसान भी आगे आए हैं और पराली बेचने के लिए तैयार हैं।