किसान आंदोलन में कुटिल साजिश
आंदोलनकारी किसानों के बीच एक कथित शूटर का पकड़ा जाना एक भयंकर कुटिल साजिश की चेतावनी दे रहा है
नई दिल्ली। आंदोलनकारी किसानों के बीच एक कथित शूटर का पकड़ा जाना एक भयंकर कुटिल साजिश की चेतावनी दे रहा है। इससे पहले भी आरोप लग रहा था कि आंदोलन कर रहे किसानों के बीच खालिस्तानी तत्व आ गये हैं। हालांकि किसानों की तरफ से इसका खंडन किया गया है। अब नए कृषि कानून को रद्द कराने की मांग को लेकर दिल्ली-हरियाणा सिंघु बॉर्डर पर बैठे किसानों ने सनसनीखेज खुलासा किया है। सिंघु बॉर्डर पर शुक्रवार 22 जनवरी की रात किसानों ने एक संदिग्ध शूटर को पकड़ा है। संदिग्ध ने खुलासा किया कि प्रदर्शनकारी किसान हथियार लेकर जा रहे हैं या नहीं, यह पता लगाने के लिए दो टीमें लगाई गई हैं। शूटर की ओर से बताया गया कि 26 तारीख को जब चार किसान नेता मंच पर बैठे होते उसी वक्त गोली मारने के आदेश उसे दिए गए थे। इसके लिए शूटर को चार लोगों की तस्वीर भी दी गई थी। शूटर ने बताया कि वह 19 जनवरी से सिंघु बॉर्डर पर है। उसने बताया कि जब 26 जनवरी को किसान ट्रैक्टर रैली निकालते तो वह किसानों के साथ ही मिल जाता। अगर प्रदर्शनकारी परेड के साथ निकलते तो हमें उनपर फायर करने के लिए कहा गया था।
यह बहुत गंभीर मामला है। सरकार इसको सिरे से खारिज करेगी, ये भी तय है लेकिन किसानों ने जिस व्यक्ति को पकड़ा है, उसकी सच्चाई इस देश की जनता जानना चाहती है। किसान संगठनों और सरकार के बीच शुक्रवार 22जनवरी को ही ग्यारहवें दौर की बेनतीजा बातचीत के बाद विवाद और गहरा गया है। केन्द्र सरकार की तरफ से तीनों कानूनों को डेढ साल तक लागू न करने के नए प्रस्ताव के बावजूद किसानों की तरफ से उसे ठुकरा कर तीनों कानूनों की वापसी और एमएसपी को कानून का हिस्सा बनाने की मांग की गयी। सरकार ने साफ संकेत दे दिया कि अब उसके लिए झुकना संभव नहीं है। केन्द्र सरकार ने रुख कड़ा करते हुए कहा है कि तीनों कानून निलंबित करने के प्रस्ताव पर किसान विचार करें तो दोबारा बैठक करने को सरकार तैयार होगी। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर कहते हैं कि सभी संभव प्रस्ताव दिये जा चुके हैं। उधर, किसान नेता दर्शन पाल कहते हैं कि हम तीनों कानून रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी ) को कानूनी गारंटी दिये जाने के अलावा अन्य कोई बात नहीं सुनना चाहते हैं।
उधर, किसान नेता भी फूंक फूंक कर कदम उठा रहे हैं। वे जानते हैं कि उनके आंदोलन को शाहीनबाग के धरने की शक्ल देने की कूटनीति बनी थी। इसी क्रम में आंदोलन से खालिस्तानी तत्व जोड़े गये। आंदोलन कारी किसान नेताओं ने मीडिया को यथास्थिति बतायी और जनता के बीच तक यह भ्रम फैलने नहीं दिया। अब संदिग्ध व्यक्ति के पकड़े जाने पर भी किसानों ने उससे मीडिया की बात करायी है। मीडिया से बात करते हुए उस कथित शूटर ने दिल्ली पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उसका कहना है कि 26 जनवरी को कुछ गलत होने पर मंच पर बैठे चार किसान नेताओं को गोली मारने के उसे आदेश दिए गए थे। दिल्ली पुलिस केन्द्र सरकार के गृहमंत्रालय के अधीन है। पकड़े गए शूटर ने दावा किया है कि 26 जनवरी को किसान ट्रैक्टर रैली में माहौल खराब करने की कोशिश करें तो गोली मार देना।
इस प्रकार केन्द्र सरकार सीधे कठघरे में खड़ी की जा रही है। किसानों ने जिस संदिग्ध को पकड़ा है उसने बताया कि 23 से 26 जनवरी के बीच किसान नेताओं को गोली मारी जानी थी और महिलाओं का काम लोगों को भड़काना था। शूटर ने कबूल किया कि उसने जाट आंदोलन में भी माहौल बिगाड़ने का काम किया है। संदिग्ध ने खुलासा किया कि प्रदर्शनकारी किसान हथियार लेकर जा रहे हैं या नहीं, यह पता लगाने के लिए दो टीमें लगाई गई हैं। शूटर की ओर से बताया गया कि 26 तारीख को जब चार किसान नेता मंच पर बैठे होते उसी वक्त गोली मारने के आदेश उसे दिए गए थे। इसके लिए शूटर को चार लोगों की तस्वीर भी दी गई थी। शूटर ने बताया कि वह 19 जनवरी से सिंघु बॉर्डर पर है। उसने बताया कि जब 26 जनवरी को किसान ट्रैक्टर रैली निकालते तो वह किसानों के साथ ही मिल जाता। अगर प्रदर्शनकारी परेड के साथ निकलते तो हमें उनपर फायर करने के लिए कहा गया था।
पकड़े गये संदिग्ध की बातों में सच्चाई है तो इससे दिल्ली पुलिस के साथ सरकार भी कठघरे में खड़ी है। किसान नेताओं ने अगर इस प्रकार का कोई षडयंत्र रचा तो उन्हे भी इसकी सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए। हालांकि मीडिया के सामने आकर कथित संदिग्ध ने अभी तो दिल्ली पुलिस को ही मुल्जिम बनाया है।
ध्यान रहे कि केन्द्र सरकार की ओर से पारित किये गये तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर 26 नवम्बर 2020 को किसान आंदोलन शुरू हुआ था। इन लाइनों के लिखे जाने तक 56वें दिन किसान सिंधू बार्डर पर डटे थे। केन्द्र सरकार ने भी किसानों को बिना शर्त खुले मन से बात चीत करने का प्रस्ताव दिया था। इस पर पहली बार पंजाब के 32 किसान नेताओ ने पहली दिसम्बर 2020 को केन्द्र सरकारा के मंत्रियों से मुलाकात की थी। यह बैठक भी विज्ञान भवन में हुई थी। सरकार की तरफ से कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, पीयूष गोयल और पूर्व मंत्री सोम प्रकाश शामिल हुए थे। वार्ता बेनतीजा रही। इसके बाद यूपी के किसान नेता राकेश टिकैत भी जुड़े और सरकार से 11वें दौर की बात असफल रही है। (हिफी)